रायपुर/हैदराबाद: ज्येष्ठ माह 2022 का पहला प्रदोष व्रत शुक्रवार 27 मई को है. यह व्रत हर महीने की त्रोयदशी तिथि को किया जाता है. हिंदू धर्म में त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित की गई है. इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा होती है. हिंदु धर्मगुरुओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का विधान है. भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है. इस बार ज्येष्ठ मास का प्रदोष व्रत शु्क्रवार को पड़ रहा है इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है.
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व: शुक्र प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. पंडितों के अनुसार इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती ( Worship Lord Bholenath and maa Parvati in Shukra Pradosh) की विधि विधान से पूजा करने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस बार प्रदोष व्रत पर शोभन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग है. जिससे इस व्रत का महत्व काफी बढ़ जाता है. शुक्र प्रदोष व्रत वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी परेशानियों को दूर करता है. इस व्रत को करने से मां पार्वती और भगवान शंकर की कृपा हमेशा बनी रहती है और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है.
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शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त: शुक्र प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त की बात करें तो कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मई 2022 को है. इस दिन तिथि का प्रारंभ सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर है. यह 28 मई 2022 को दोपहर 1 बकर 9 मिनट पर समाप्त होगी. अगर इस दिन प्रदोष काल की बात करें तो यह 27 मई की शाम 7 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 14 मिनट तक बना रहेगा.
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शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि को समझिए: शुक्र प्रदोष व्रत 2022 की पूजा विधि को भली भांति समझ ले (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- इस दिन जातक को सुबह जल्दी जागना चाहिए उसके बाद नित्यकर्म कर स्नान कर लेना चाहिए
- स्नान के बाद जातक को स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए
- कपड़े पहनने के बाद जातक को घर के मंदिर में दीप जला लेना चाहिए
- उसके बाद अगर संभव हो तो व्रत का संकल्प लेना चाहिए
- फिर भगवान का गंगाजल से अभिषेक करें और भगवान भोलेनाथ को भोग लगाएं
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें, ध्यान रहे इस दिन भगवान शिव के साथ अगर माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाए तो जातक को पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
- भगवान शिव की आरती करें.