रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य संविदा विद्युत कर्मचारी संघ के बैनर तले विद्युत संविदाकर्मी 10 मार्च से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. मंगलवार को आंदोलन के 20 वें दिन विद्युत संविदाकर्मियों ने हवन-यज्ञ किया. प्रदर्शन स्थल पर आंदोलनकारियों ने हनुमान चालीसा पाठ के साथ हवन-यज्ञ किया. विद्युत संविदाकर्मियों ने शीघ्र नियमितीकरण की कामना के साथ पूजा-अर्चना किया.
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23 मार्च को पुलिस से बहस: विद्युत संविदाकर्मी इससे पहले आंदोलन के 14वें दिन 23 मार्च को राजधानी के धरनास्थल में जुटे थे. वे पावर कंपनी प्रबंधन और राज्य सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने जा रहे थे. पुलिस ने सप्रे स्कूल के पास प्रदर्शनकारियों को रोका. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच काफी देर तक बहस भी हुई. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर बैठकर पावर कंपनी प्रबंधन और सरकार के खिलाफ जमकर नारे भी लगाए थे
22 मार्च को किया था अर्धनग्न प्रदर्शन:रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर विद्युत विभाग के प्रदेश भर के संविदा कर्मचारी 10 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं. विद्युत पावर प्रबंधन और शासन को जगाने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन करके उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं. बावजूद इसके विद्युत पावर प्रबंधन और राज्य सरकार के द्वारा अब तक कोई भी सुध नहीं ली गई है. आंदोलन के 13 वें दिन 22 मार्च को बिजली विभाग में काम करने वाले प्रदेश भर के सैकड़ों संविदा कर्मचारियों ने अपने आधे कपड़े उतारकर अर्धनग्न प्रदर्शन किया. राज्य सरकार और पावर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर गुस्सा निकाला और नारेबाजी भी की.
10 मार्च से कर रहे हैं संविदा कर्मचारी अनिश्चितकालीन आंदोलन: संविदा कर्मचारियों ने आंदोलन के पहले दिन 10 मार्च से संविदा कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि मंडल एवं सदस्य जनता के बीच पहुंचकर भीख मांगकर अपना विरोध जताया था. अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन करने के बावजूद भी राज्य सरकार और पावर कंपनी प्रबंधन खामोश है. बिजली संविदा कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग है. पहली मांग रिक्त पदों पर कम्पनी में कार्यरत विद्युत संविदा कर्मियों को नियमित नियुक्ति देने की है. वहीं दूसरी मांग विद्युत दुर्घटनाओं में शहीद संविदा कर्मियों के परिवार को अनुकम्पा नियुक्ति दिए जाने की है.
लाइन परिचारक संविदाकर्मियों को 2 वर्ष में नियमित करने की परम्परा: छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कम्पनी में लाइन परिचारक संविदाकर्मियों को 2 साल के संविदा/परिवीक्षा अवधि पूर्ण करने पर नियमित करने का परम्परा रही है. कांग्रेस सरकार के आने के बाद इस परम्परा पर रोक लग गई है. संविदाकर्मी 2 वर्ष में नियमित हो जाने की उम्मीद से अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने के लिए इस विभाग में आ जाते हैं. आए दिन उनके साथ विद्युत दुर्घटनाएं होते रहती हैं, जिसमें कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी और कई लोग आज भी घायल अवस्था में अपना जीवनयापन कर रहे हैं.