रायपुर : छत्तीसगढ़ में कई ऐसे मामले निकल कर सामने आए हैं. जहां नाबालिग बच्चों ने पोर्न की लत के कारण दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दिया है. Porn Addiction Increases Rape Crimes in cg यहां तक की दुष्कर्म करने के बाद मर्डर और कई संगीन अपराध भी सामने आए हैं. नाबालिगों को फोन एडिक्शन से किस तरह दूर रखा जाए , यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने एक्सपर्ट से बातचीत की.Children trapped in porn addiction
क्यों बढ़ा बच्चों में पोर्न एडिक्शन : समाज सेविका और शिक्षिका शमीना खान ने बताया " कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन के समय से बच्चों के हाथ में मोबाइल आया है. बच्चा पढ़ाई तो मोबाइल में करता था. Minor involved in rape and crime लेकिन अन्य समय में बच्चा मोबाइल में क्या कर रहा है. Porn addiction fatal to society ज्यादातर पैरेंट्स में इसका ध्यान नहीं दिया है. कई पेरेंट्स ऐसे हैं. जिन्होंने अपने बच्चों को मोबाइल तो दिया लेकिन उन्हें मोबाइल चलना नही आता. मैं सोचती हूं कि ऐसे बच्चे ज्यादा पोर्न साइट देख रहे हैं. कुछ पैरेंट्स कई बार चेक कर लेते हैं. लेकिन मिडिल क्लास और लो मिडिल क्लास के पैरेंट्स हैं. उनके बच्चों के साथ ज्यादा समस्या आ रही है.पोर्न देखना आज के समय में इतना खतरनाक हो गया है कि उसका एडिक्शन नहीं रोका जा सकता. बच्चों को अगर किसी चीज के लिए रोका जाए तो बच्चे अब अपने पैरेंट्स और टीचर को ही धमकाते हैं. स्कूल एजुकेशन में आज के समय में सेक्स एजुकेशन तो है. लेकिन आज भी उन्हें अच्छे से नहीं पढ़ाया जाता. बच्चों को यह बताने की जरूरत है कि एक उम्र के बाद उनके बॉडी में हार्मोनल चेंज आएंगे और उन सभी चीजों कैसे निपटना है.'' rape and crime against women in chhattisgarh
कैसे रोक सकते हैं लत : शमीना खान ने बताया कि '' पोर्न एडिक्शन या पोर्न से दूर रखने के लिए परिजनों को यह करना चाहिए कि वे अपने बच्चों के स्किल डेवलपमेंट में काम करें और उन्हें इंगेज करें. porn addiction increases rape crimes पहले के समय में घर में माता पिता उम्र बढ़ने के दौरान लड़कियों को सिलाई कढ़ाई जैसी चीजों में बिजी रखते थे. जिससे उनका ध्यान वहां नहीं जाता था. उसी तरह से लड़कों को भी कसरत और खेल में इंगेज किया जाता था.आज के समय में भी बच्चों को स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करने की आवश्यकता है ताकि उनका ध्यान इन सभी चीजों से हटे.''Porn Addiction Increases
काउंसलिंग करने की जरूरत : शमीना खान ने बताया कि '' आज के समय परिजनों को थोड़ी बंदिश रखने की जरूरत है. उन्हें समय-समय पर अपने गाइड करना और मॉनिटरिंग करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही अगर परिजन अपने बच्चों से सेक्स एजुकेशन या पोर्न एडिक्शन से संबंधित खुल कर बात नहीं कर सकते हैं तो उस दौरान परिजनों को काउंसलर की मदद लेने की आवश्यकता है.इसके साथ ही आज के समय में स्कूलों में भी काउंसलर की आवश्यकता है जो बच्चों का समय-समय पर मार्गदर्शन करें.''Porn addiction fatal to society
जानिए पोर्न एडिक्शन पर शिक्षाविद् की राय : शिक्षाविद जवाहर सूरीसेट्टी का कहना है " पोर्न देखना सामान्य है लेकिन जब हद पार करके, उसके बगैर जीना मुश्किल जैसा लगे, यह एक तरह की प्रवृत्ति आ जाती है. खासतौर पर टीनएजर्स और यंग एडल्ट्स में ऐसी चीजें आती है तो उसे एडिक्शन कहा जाता है. इतना हावी हो जाता है कि अगर आप नहीं देख पाते तो उस दौरान एंजाइटी हो जाती है डिप्रेशन तक हो जाता है. अगर बच्चे में यह प्रवृत्ति बैठ गई है और बहुत आसानी से अगर वह मोबाइल में यह चीज देख रहा है तो उसे यह महसूस होता है कि उसे भी यह चीजें आसानी से हासिल हो सकती है. उस दौरान अगर कोई मना कर देता है, तो वह उसे हासिल करने के लिए कुछ भी कर बैठता है, यह पोर्न एडिक्शन की एक बहुत बड़ी तकलीफ है.''Rape Crimes in cg
बंदिश लगाना हल या नुकसानदायक : जवाहर सूरीसेट्टी के मुताबिक '' क्योंकि सेक्स एक नेचुरल चीज है अगर उन सभी चीजों में ज्यादा बंदिश लगाई जाए तो कई बार समस्याएं आती है. पोर्न एडिक्शन और इंटरनेट एडिक्शन दोनों साथ साथ चलते हैं. कोई भी नाबालिग पोर्न एडिक्ट है. तो वह इंटरनेट का है डेट. इंटरनेट पर बच्चा क्या देख रहा है. यह कंट्रोल करने के लिए कई एप्लीकेशन आ गए हैं, उन्हें भी इस्तेमाल करना चाहिए. अगर एंड्राइड यूजर हैं तो वह एप्रिजन नामक एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर आईओएस ऑपरेटिंग मोबाइल ऐप यूज कर रहे हैं तो उसमें फॉरेस्ट नामक एप्लीकेशन कर इस्तेमाल कर मॉनिटरी और बंदिश लगा सकते हैं.अगर बच्चा ज्यादा ही पोर्न एडिक्शन का शिकार हो गया है तो उस दौरान उसे काउंसलिंग की जरूरत है. इसके साथ ही परिवार के रिलेशनशिप से भी पोर्न एडिक्शन दूर होता है. परिवार में जो बच्चों को संगत नहीं मिल पा रही है तो बच्चा इस तरह की चीजें करता.''
जानिए पोर्न एडिक्शन पर मनोवैज्ञानिक की राय : मनोवैज्ञानिक जेसी आजवानी ने बताया "पोर्न देखना एक तरह का एडिक्शन है और इसे मेंटल डिसऑर्डर के रूप में भी देखा जाता है. जिस तरह दूसरे एडिक्शन का दुष्प्रभाव होता है.उसी तरह पोर्न एडिक्शन का दुष्प्रभाव सोशल बिहेवियर पर पड़ता है. पोर्न देखने से कामुक उत्तेजना आती है लेकिन बच्चों के लिए यह उम्र नहीं है कि वह काम उत्तेजना को संतोष करें, अगर कोई मैरिड व्यक्ति यह देखता है तो यह अलग बात है लेकिन इन बच्चों के देखने के लिए यह सही नहीं है.''
मॉडर्न टेक्नोलॉजी से भी रख सकते हैं नजर : Minor involved in rape and crimeमनोवैज्ञानिक जेसी आजवानी ने बताया कि परिजन मॉडर्न टेक्नोलॉजी से अपने बच्चों को वंचित नहीं कर सकते. शुरुआत से ही जब मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बच्चों को परिचित कराया जाता है. तब से मॉनिटरिंग करने की आवश्यकता है. वही पेरेंट्स अपने बच्चों से एक प्रकार का कमिटमेंट भी करवाएं की उनके द्वारा जो मोबाइल या लैपटॉप दिया जा रहा है वह केवल एकेडमिक मदद के लिए शैक्षणिक ज्ञान वर्धन के लिए है. इसमें बहुत सारी ऐसी भी चीज है जिनको देखना गलत है. अगर बच्चे के कमिटमेंट करने के बाद भी अगर वह पोर्न देखता है तो ऐसे में लगातार उसकी मॉनिटरिंग करने की आवश्यकता है, परिजन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर डिवाइस में सेंसर भी लगा सकते हैं ताकि बच्चे पोर्न साइट पर नहीं जा पाए.
नाबालिग बच्चों पर बड़ा असर : पोर्न एडिक्शन के कारण बच्चे बड़ी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. उसे साथी उनके शैक्षणिक मार्ग बाधित होता है. इसके साथ ही उसकी गतिविधियां असामाजिक हो जाती हैं. अगर परिजन और शिक्षक जागरूक रहेंगे तो निश्चित तौर पर बच्चों को इससे दूर रखा जा सकता है.उन पर नियंत्रण किया जा सकता है. अगर देर रात बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो जरूर जाकर चेक करें और रात्रि में बच्चों से मोबाइल लेकर देखें.ताकि बच्चे जो देर रात इंटरनेट का गलत इस्तेमाल करते हैं उसके दुरुपयोग से भी बच सकें.Rape Crimes in cg