रायपुर: छत्तीसगढ़ में पूर्वर्ती और वर्तमान सरकार के लिए गए कर्ज पर राजनीति गरमाई हुई है. एक तरफ बीजेपी वर्तमान की भूपेश सरकार पर राज्य को कर्जदार बनाने का आरोप लगा रही है, तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व की रमन सरकार पर छत्तीसगढ़ को कर्ज में डूबाने का आरोप लगाया है. पक्ष-विपक्ष दोनों का ही एक-दूसरे पर जनता के हित के लिए काम न किए जाने का आरोप है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मिली जानकारी के मुताबित राज्य सरकार पर कुल 57 हजार 848 करोड़ रुपए का कर्ज है. राज्य में एक दिसंबर 2018 से 31 जनवरी 2020 तक 17 हजार 729 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है. राज्य में अधोसंरचना और अन्य विकास कार्यों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से बाजार ऋण, नाबार्ड की ग्रामीण अधोसंरचना विकास निधि और एशियाई विकास बैंक/ विश्व बैंक से कर्ज लिया गया है.
- भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से बाजार ऋण के रूप में 16 हजार 400 करोड़ रुपए ऋण लिया गया है.
- नाबार्ड की ग्रामीण अधोसंरचना विकास निधि से 934 करोड़ 38 लाख रुपए ऋण लिया गया है.
- एशियाई विकास बैंक/ विश्व बैंक से 394 करोड़ 74 लाख रुपए का ऋण लिया गया है.
प्रदेश का कुल बजट 1 लाख 2 हजार करोड़ रुपए
छत्तीसगढ़ का कुल बजट साल 2020-21 के लिए 1 लाख 2 हजार करोड़ का है, जबकि बीते साल 2019-20 का मूल बजट 95 हजार 899 करोड़ का था. बाद में तीन बार अनुपूरक बजट पेश हुआ. इसके बाद कुल बजट 1 लाख 787 करोड़ रुपए तक पहुंच गया.
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कोरोना के कारण विपरीत आर्थिक परिस्थितियों में भी कांग्रेस सरकार को अपने वादों को पूरा करने में बड़ी सफलता मिली है. त्रिवेदी ने भाजपा सरकार के अंतिम चार साल (2014-2018) में लिए कर्जों का ब्योरा जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में भाजपा की रमन सरकार ने 2014-15 से जनवरी 2018 तक रिजर्व बैंक से 18 हजार 350 करोड़ का कर्ज लिया था.
तात्कालिन बीजेपी सरकार के लिए हुए कर्ज
- 2014 में 4 किस्तों में 2200 करोड़ का कर्ज लिया गया.
- 2015 में 6 किस्तों में 5000 करोड़ का कर्ज लिया गया.
- 2016 में 3 किस्तों में 1850 करोड़ का कर्ज लिया गया.
- 2017 में 5 किस्तों में 7200 करोड़ का कर्ज लिया गया.
- 2018 में करीब 2200 करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया गया है.
शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने के बाद भी भाजपा की रमन सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 2100 रूपए, 5 साल तक 300 रूपए बोनस, 5 हार्सपावर पंपों की मुफ्त बिजली, हर आदिवासी परिवार से एक युवा को नौकरी, बेरोजगारी भत्ता, हर आदिवासी परिवार को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय जैसे वादों को नहीं निभाया.
कांग्रेस का बीजेपी पर पलटवार
त्रिवेदी ने तंज कसते हुए कहा कि, 'अपने अंतिम कार्यकाल के 4 साल में 20 हजार करोड़ का कर्ज लेकर भी 300 रूपए बोनस और 2100 रूपए समर्थन मूल्य नहीं दे पाने वाली भाजपा, 2500 रूपए समर्थन मूल्य देने वाली और किसानों का कर्जमाफ करने वाली कांग्रेस सरकार से किस मुंह से सवाल करती है ?'
शैलेष ने कहा कि प्रदेश की भूपेश सरकार ने 19 लाख किसानों के 11 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया. इसके साथ ही शैलेष ने कांग्रेस सरकार के किए गए कार्यों का बखान किया.
- किसानों का धान 2500 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदा गया.
- 400 यूनिट तक बिजली बिल आधा किया गया.
- 260 करोड़ रुपए का सिंचाई कर माफ किया गया.
- तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि 2500 से बढ़ाकर 4 हजार रुपए किया गया.
- 5 डिसमिल तक जमीनों की बंद रजिस्ट्री शुरू की गई.
- जमीनों की दर में 30 फीसदी की कटौती की गई और डायवर्सन के नियम शिथिल किए गए.
- 15 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई और सरकारी नौकरी में नई भर्तियां चालू की गई.
- न्याय योजना के माध्यम से किसानों को धान के अंतर राशि का भुगतान किया जा रहा है.
- लगभग 19 लाख किसानों के खातों में 1500 करोड़ की पहली किश्त भी दे चुकी है.
- किसानों को धान के बोनस के साथ 20 हजार 95 रुपए मिले.
- खरीफ बीमा आरबीसी के तहत सहायता राशि दी गई.
- 355 रुपए समर्थन मूल्य से 250 करोड़ रुपए की गन्ना खरीदी की गई.
- 83.67 मीट्रिक टन धान के लिए 15 हजार 231 करोड़ का भुगतान हुआ.
शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि राजीव किसान न्याय योजना के तहत किसानों को धान बोनस की दूसरी किश्त देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार सिर्फ 1300 करोड़ लेने जा रही है. इस वित्तीय वर्ष में संस्थाओं से ली गई यह पहली राशि है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार 12 हजार करोड़ तक कर्ज ले सकती है. रिजर्व बैंक ने ही छत्तीसगढ़ सरकार को 12 हजार करोड़ की क्रेडिट लिमिट दी है. दूसरी तरफ जीएसटी क्षतिपूर्ति और अन्य केंद्रीय योजनाओं को मिलाकर केंद्र से राज्य को दस हजार करोड़ मिले हैं. मनरेगा में जो राशि मिली है, उसमें काम देने के मामले में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है.
'प्रदेश पर कर्ज लादकर अर्थतंत्र बर्बाद करने में जुटी कांग्रेस सरकार'
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि भूपेश सरकार हजारों करोड़ रुपए का कर्ज लादकर प्रदेश के अर्थतंत्र को तबाह करने पर तैयार है. कर्ज लेकर किसानों को अंतर राशि का भुगतान करना है, तो फिर किश्तों के बजाय सरकार अंतर राशि एकमुश्त क्यों नहीं दे रही है. भाजपा का यह भी आरोप है कि सरकार ने पिछले साल का भुगतान ही पूरा नहीं किया है और मौजूदा खरीफ सत्र के लिए पंजीयन की प्रक्रिया शुरू करने जा रही.
'एकमुश्त दी जाए किसानों को उनकी अंतर राशि'
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता उपासने ने पिछले खरीफ सत्र के धान मूल्य की अंतर राशि के भुगतान के नाम पर प्रदेश सरकार द्वारा 1300 करोड़ रुपए का कर्ज लेने पर तीखा हमला किया. उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि इतने कर्ज को चुकाने के लिए सरकार को बिलकुल फिक्र नहीं है. उपासने ने यह मांग की है कि जब प्रदेश सरकार कर्ज लेकर किसानों को अंतर राशि का भुगतान कर रही है, तो फिर किश्तों में यह राशि देने के बजाय किसानों को उनकी अंतर राशि एकमुश्त दी जाए ताकि, अभी खेता-किसानी के काम में लगे किसानों को इससे राहत मिल सके.
उपासने का कहना है कि, 'जब सरकार के पास पिछले बकाया भुगतान के लिए ही पैसे नहीं हैं और वह कर्ज ले रही है, तो आगामी धान खरीदी के लिए सरकार के पास पैसे कहां से आएंगे? क्या सरकार धान खरीदने के नाम पर फिर से नौटंकियां करके किसानों के साथ आर्थिक अन्याय करेगी?'
बीते दिनों ETV भारत से खास बात के दौरान टीएस सिंहदेव ने बताया कि प्रदेश में बहुत सारे काम काज बंद पड़े हैं, जिसको पूरा करने के लिए भूपेश सरकार लोन लेने की तैयारी में है. इससे प्रदेश में बंद पड़े विकास कार्य और रुकी हुई योजनाओं को पटरी पर लाया जा सकेगा. टीएस सिंहदेव ने बताया कि प्रदेश को फिर से खुशहाल करने के लिए सरकार दो किश्तों पर लोन लेगी, जिसके लिए आवेदन किया जा चुका है. सिंहदेव के मुताबिक पहली किश्त में 792 करोड़ रुपये लेगी. इसके साथ ही दूसरी किश्त 762 करोड़ रुपये की है. सरकार कुल 1 हजार 554 करोड़ रुपये का लोन लेने जा रही है, जिससे प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना समेत कई योजनाओं के तहत होने वाले कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी.
बता दें कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की थी. पक्ष-विपक्ष में कर्ज को लेकर घमासान मचा हुआ है. कर्ज को लेकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति का दौर थमता नज़र नहीं आ रहा है.