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धान की बर्बादी पर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने, खाद्य मंत्री बोले- 'भंडारण की उचित व्यवस्था'

छत्तीसगढ़ में करोड़ों का धान भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बर्बाद हो जाता है. इस पर बीजेपी ने राज्य सरकार से भंडारण की सही व्यवस्था करने की मांग की है. वहीं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा है कि इस बार धान की बर्बादी न हो, इसलिए सरकार उचित कदम उठा रही है.

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धान भंडारण की व्यवस्था
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Published : Jul 30, 2020, 9:11 AM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहां हर साल धान की बर्बादी की भी खबर आती है. सरकार चाहे कोई भी हो अन्न का एक-एक दाना खरीदने की बात तो करती है, लेकिन उसके भंडारण की सरकार के पास उचित व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते लाखों टन धान हर साल बर्बाद हो जाता है. हालांकि वर्तमान सरकार लगातार दावा करती आ रही है कि आने वाले समय में धान की बर्बादी नहीं होगी. धान के भंडारण की उचित व्यवस्था की जाएगी, बावजूद इसके धान के खराब होने का सिलसिला रुक नहीं रहा है.

धान की बर्बादी पर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

एक जानकारी के मुताबिक, हर साल करीब 17 लाख किसान अपना धान बेचते थे. लेकिन इस साल 19 लाख से ज्यादा किसानों ने धान बेचा है. धान खरीदी प्रदेश के 2,048 केंद्रों के माध्यम से की गई. इस साल 54 नए खरीदी केंद्र बनाए गए हैं, जबकि 48 मंडियों और 67 उप मंडियों के प्रांगण का उपयोग भी खरीदी के लिए किया गया.

सेंट्रल पूल में धान देने के बावजूद यहां के पूरे धान की खपत नहीं हो पाई है. इनमें से पीडीएस में 25.40 लाख टन, एफसीआई को 24 लाख टन और राज्य के पास 7.11 लाख टन धान रखा गया है. सबसे बड़ी समस्या धान के भंडारण की है. धान का एक बहुत बड़ा हिस्सा भंडारण के उचित व्यवस्था न होने के कारण बर्बाद हो जाता है. धान बेमौसम बारिश के चलते खुले आसमान के नीचे रखे होने के कारण बर्बाद होता है, तो कभी गोदामों में उचित व्यवस्था ना होने के चलते सड़ जाता है. यहां तक कि इस धान का एक बहुत बड़ा हिस्सा चूहे खा जाते हैं.

पढ़ें-राज्यपाल अनसुइया उइके ने गोधन न्याय योजना को सराहा : रविन्द्र चौबे

बर्बाद हुए धान का आंकड़ा नहीं किया गया जारी

हालांकि अब तक बर्बाद हुए धान का आंकड़ा सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, हर साल की तरह इस साल भी लापरवाही के चलते हजारों टन धान बर्बाद हो गया है.

धान संग्रहण का उचित भंडारण बड़ी चुनौती

प्रदेश में लगातार धान का उत्पादन बढ़ता जा रहा है और वर्तमान में धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए किए जाने के बाद किसानों ने धान की पैदावार बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. पहले की अपेक्षा इस बार किसान ज्यादा रकबे में धान की खेती कर रहे हैं. यही वजह है कि इस साल धान की पैदावार पिछले साल की अपेक्षा कहीं ज्यादा होने की संभावना है. ऐसे में सरकार के सामने इस धान का संग्रहण कर उचित भंडारण करना एक बड़ी चुनौती होगी.

पढ़ें- मलेरिया मुक्त अभियान में कोंडागांव पुलिस सक्रिय, जवानों का हुआ मलेरिया टेस्ट

भूपेश सरकार ने किसानों को दिया धोखा

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है, किसान हमारे अन्नदाता हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भूपेश सरकार ने किसानों से लंबे-चौड़े वादे किए थे, जिन्हें कांग्रेस सरकार ने पूरा नहीं किया. आज भी उन किसानों के द्वारा बेचा गया धान खुले आसमान के नीचे रखने के कारण बर्बाद हो जाता है. इसके लिए प्रदेश की भूपेश सरकार जिम्मेदार है.

'धान की बर्बादी रोकने सरकार पूरी तरह तैयार'

वहीं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि सरकार ने धान संग्रहण केंद्र में भंडारण की व्यवस्था की है. कई जगह पर पक्के चबूतरे बनाए गए हैं, सेट लगाया जा रहा है और सरकार आने वाले समय में धान संग्रहण की उचित व्यवस्था करने की तैयारी में जुटी हुई है. मंत्री अमरजीत का दावा है कि आने वाले समय में धान खुले आसमान के नीचे नहीं रखा जाएगा, इस पर कार्ययोजना बनाकर काम किया जा रहा है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहां हर साल धान की बर्बादी की भी खबर आती है. सरकार चाहे कोई भी हो अन्न का एक-एक दाना खरीदने की बात तो करती है, लेकिन उसके भंडारण की सरकार के पास उचित व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते लाखों टन धान हर साल बर्बाद हो जाता है. हालांकि वर्तमान सरकार लगातार दावा करती आ रही है कि आने वाले समय में धान की बर्बादी नहीं होगी. धान के भंडारण की उचित व्यवस्था की जाएगी, बावजूद इसके धान के खराब होने का सिलसिला रुक नहीं रहा है.

धान की बर्बादी पर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

एक जानकारी के मुताबिक, हर साल करीब 17 लाख किसान अपना धान बेचते थे. लेकिन इस साल 19 लाख से ज्यादा किसानों ने धान बेचा है. धान खरीदी प्रदेश के 2,048 केंद्रों के माध्यम से की गई. इस साल 54 नए खरीदी केंद्र बनाए गए हैं, जबकि 48 मंडियों और 67 उप मंडियों के प्रांगण का उपयोग भी खरीदी के लिए किया गया.

सेंट्रल पूल में धान देने के बावजूद यहां के पूरे धान की खपत नहीं हो पाई है. इनमें से पीडीएस में 25.40 लाख टन, एफसीआई को 24 लाख टन और राज्य के पास 7.11 लाख टन धान रखा गया है. सबसे बड़ी समस्या धान के भंडारण की है. धान का एक बहुत बड़ा हिस्सा भंडारण के उचित व्यवस्था न होने के कारण बर्बाद हो जाता है. धान बेमौसम बारिश के चलते खुले आसमान के नीचे रखे होने के कारण बर्बाद होता है, तो कभी गोदामों में उचित व्यवस्था ना होने के चलते सड़ जाता है. यहां तक कि इस धान का एक बहुत बड़ा हिस्सा चूहे खा जाते हैं.

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बर्बाद हुए धान का आंकड़ा नहीं किया गया जारी

हालांकि अब तक बर्बाद हुए धान का आंकड़ा सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, हर साल की तरह इस साल भी लापरवाही के चलते हजारों टन धान बर्बाद हो गया है.

धान संग्रहण का उचित भंडारण बड़ी चुनौती

प्रदेश में लगातार धान का उत्पादन बढ़ता जा रहा है और वर्तमान में धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए किए जाने के बाद किसानों ने धान की पैदावार बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. पहले की अपेक्षा इस बार किसान ज्यादा रकबे में धान की खेती कर रहे हैं. यही वजह है कि इस साल धान की पैदावार पिछले साल की अपेक्षा कहीं ज्यादा होने की संभावना है. ऐसे में सरकार के सामने इस धान का संग्रहण कर उचित भंडारण करना एक बड़ी चुनौती होगी.

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भूपेश सरकार ने किसानों को दिया धोखा

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है, किसान हमारे अन्नदाता हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भूपेश सरकार ने किसानों से लंबे-चौड़े वादे किए थे, जिन्हें कांग्रेस सरकार ने पूरा नहीं किया. आज भी उन किसानों के द्वारा बेचा गया धान खुले आसमान के नीचे रखने के कारण बर्बाद हो जाता है. इसके लिए प्रदेश की भूपेश सरकार जिम्मेदार है.

'धान की बर्बादी रोकने सरकार पूरी तरह तैयार'

वहीं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि सरकार ने धान संग्रहण केंद्र में भंडारण की व्यवस्था की है. कई जगह पर पक्के चबूतरे बनाए गए हैं, सेट लगाया जा रहा है और सरकार आने वाले समय में धान संग्रहण की उचित व्यवस्था करने की तैयारी में जुटी हुई है. मंत्री अमरजीत का दावा है कि आने वाले समय में धान खुले आसमान के नीचे नहीं रखा जाएगा, इस पर कार्ययोजना बनाकर काम किया जा रहा है.

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