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SPECIAL: छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत पर सियासी घमासान - elephant deaths in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में लगाातर हो रही हाथियों की मौत को लेकर सियासी हलचल तेज है. बीजेपी नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि हाथियों की मौत के पीछे कोई साजिश हो सकती है. उन्होंने उच्च स्तरीय जांच होने की मांग की है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि बीजेपी हाथियों की मौत की बिसरा रिपोर्ट को लेकर मुद्दा बना रही है. उनका कहना है कि राज्य सरकार अधिकारियों ओर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई पहले ही कर चुकी है.

death of elephants in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में हाथी की मौत पर सियासत
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Published : Jul 14, 2020, 5:43 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और सियासत भी गरम है. प्रदेश में पिछला महीना हाथियों के लिए काल बनकर आया. 11 मई से 18 जून के बीच 7 हाथियों के शव मिले. एक के बाद एक हो रही हाथियों की मौत ने सरकार की परेशानियां बढ़ा दी हैं. वहीं विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है. एक तरफ जहां विपक्ष सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रहा है, वहीं सरकार बचाव करती नजर आ रही है.

छत्तीसगढ़ में हाथी की मौत पर सियासत

विपक्ष का आरोप है कि प्रदेश सरकार हाथियों की हो रही मौत को लेकर गंभीर नहीं है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार पहले ही हाथियों की मौत के मामले में वन विभाग के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है.

हाथियों की मौत का कारण हैवी मेटल सेवन?

प्रतापपुर रेंज और बलरामपुर जिले के वन परिक्षेत्र में 10 और 11 जून को तीन हथिनियों के शव मिले थे. जिसके बाद वन विभाग ने तीनों हाथियों के शव का पोस्टमार्टम करवाया था. तीनों की बिसरा रिपार्ट आई है. रिपोर्ट के मुताबिक हाथियों की मौत हैवी मेटल के सेवन से हुई है, लेकिन अब तक यह बात साफ नहीं हो सकी है कि आखिर हाथियों के हैवी मेटल सेवन का माध्यम क्या है.

भाजपा ने जताई थी साजिश की आशंका

इस पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि बीजेपी ने पहले ही ये आशंका जताई थी कि हाथियों के मौत के पीछे किसी की साजिश है, जो अब इस जांच के बाद सामने आई है. कौशिक ने कहा कि हाथियों के मामले में उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. इसके लिए उच्च स्तर पर एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जानी चाहिए, जिससे कि यह और स्पष्ट हो सके कि किन परिस्थितियों में हाथियों की मौत हो रही है.

कार्रवाई के बाद भी बीजेपी बना रही है मुद्दा : कांग्रेस

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने धरमलाल कौशिक के बयान को स्तरहीन बताया है. उनका कहना है कि बीजेपी हाथियों की मौत की बिसरा रिपोर्ट को लेकर मुद्दा बना रही है. जबकि कांग्रेस सरकार पहले ही हाथियों की मौत को लेकर अधिकारियों ओर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है. शैलेष ने यह भी दावा किया कि आज तक वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई पहले कभी नहीं की गई थी. इसके बाद भी धरमलाल कौशिक इस मामले को लेकर मुद्दा बना रहे हैं, जो उनके पद के अनुरूप नहीं है.

अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई

हाथियों की मौत के मामले में पहले ही PCCF और DFO हटा दिए गए हैं, जबकि SDO, रेंजर, डिप्टी रेंजर और फॉरेस्ट गार्ड को निलंबित कर दिया गया है.

3 दिन में हुई थी 3 हाथियों की मौत

प्रतापपुर और राजपुर रेंज में जिन तीन हथिनी की मौत हुई थी, उनमें एक हथिनी गर्भवती थी. हथिनी का शव मिलने के बाद विभाग ने कीटनाशक से मौत की आशंका जताई थी हालांकि दूषित पानी पीने से भी मौत की बात सामने आ रही थी. दूसरी हथिनी की लाश भी दूसरे दिन ही मिली. वहीं एक अन्य हथिनी की लाश बलरामपुर जिले के राजपुर इलाके में चार दिन बाद मिली थी.

  • सूरजपुर के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में 9 और 10 जून को एक गर्भवती हथिनी सहित 2 मादा हाथियों की मौत हुई.
  • बलरामपुर के जंगल में 11 जून को एक हथिनी की मौत.

राज्य सहित केंद्रीय टीम कर रही है मामले की जांच

हाथियों की मौत के मामले में राज्य से लेकर केंद्र तक जांच चल रही है. कुछ दिनों पहले ही केंद्र और राज्य की टीम ने इस केस की जांच की है. टीम ने हाथियों की मौत पर चिंता जताते हुए मैदानी स्तर पर समन्वय की कमी बताई थी.

एक दशक में हुई लगभग 50 हाथियों की मौत

पिछले एक दशक में सरगुजा और इससे लगे सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया और जशपुर जिले में 46 हाथियों की मौत हुई है, जबकि हाथियों के आतंक से करीब 150 लोगों की मौत हो गई है.

ज्यादातर हाथियों की मौत की मुख्य वजह

कई हाथियों की मौत प्राकृतिक रूप से नहीं हुई है, बल्कि हाथियों से निजात पाने के लिए उठाए गए कदम की वजह से मौत होना बताया जा रहा है. 13 हाथियों की मौत बिजली करंट से हुई है, जबकि कुछ हाथियों की जहर से मौत हुई है. पड़ताल में यह खुलासा हुआ है कि लोग बदला लेने के लिए कहीं बिजली के तार लगा देते हैं, तो कहीं खाने-पीने की चीजों के साथ जहर रख देते हैं. इस वजह से ज्यादातर हाथियों की मौत हो रही है. कई हाथियों की मौत का कारण विभाग के लिए रहस्य बनकर ही रह गया है.

पढ़ें- संकट में गजराज: 10 दिन में 6 हाथियों ने गंवाई जान, मौत के कारण से विभाग अनजान

आरोपियों को पकड़ना वन विभाग के सामने बड़ी चुनौती

एक के बाद एक हो रही हाथियों की मौत को लेकर जहां एक तरफ राज्य सरकार अब गंभीर हुई है, तो वहीं वन विभाग अमला भी सतर्क नजर आ रहा है. लेकिन इस बीच उनके सामने हाथियों की मौत के जिम्मेदारों को पकड़ना एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि अबतक हाथियों को मौत के घाट उतारने वाले आरोपियों का सुराग वन विभाग को नहीं मिल पाया है. हालांकि जांच में अफसर आरोपियों तक पहुंच पाते हैं या नहीं इस पर संशय बना हुआ है, क्योंकि पिछले सालों में कई हाथियों की मौत हुई है और विभाग आरोपियों का पता अबतक नहीं लगा पाया है.

पढ़ें- रायपुर: हाथियों की मौत पर सरकार-विपक्ष में ठनी, बीजेपी का आरोप-कहीं तस्करी तो नहीं

इसके साथ ही हाथियों की मौत रोकने के लिए सरकार की ओर से योजनाबद्ध तरीके से काम करने अधिकारियों ने कार्ययोजना तैयार कर ली है, और इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित भी किया है, लेकिन अब तक अधिकारी इसे लेकर कोई अच्छी और कारगर योजना नहीं बना सके हैं. इस बीच सूचना आ रही है कि हाथियों और इंसानों के बीच लंबे समय से चल रहे द्वंद को खत्म करने सरकार विदेशों से एक्सपर्ट बुलाने की तैयारी में है. उनकी सलाह और सुझाव के आधार पर ही आगामी दिनों में राज्य सरकार हाथियों से निपटने की रणनीति बनाएगी.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और सियासत भी गरम है. प्रदेश में पिछला महीना हाथियों के लिए काल बनकर आया. 11 मई से 18 जून के बीच 7 हाथियों के शव मिले. एक के बाद एक हो रही हाथियों की मौत ने सरकार की परेशानियां बढ़ा दी हैं. वहीं विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है. एक तरफ जहां विपक्ष सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रहा है, वहीं सरकार बचाव करती नजर आ रही है.

छत्तीसगढ़ में हाथी की मौत पर सियासत

विपक्ष का आरोप है कि प्रदेश सरकार हाथियों की हो रही मौत को लेकर गंभीर नहीं है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार पहले ही हाथियों की मौत के मामले में वन विभाग के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है.

हाथियों की मौत का कारण हैवी मेटल सेवन?

प्रतापपुर रेंज और बलरामपुर जिले के वन परिक्षेत्र में 10 और 11 जून को तीन हथिनियों के शव मिले थे. जिसके बाद वन विभाग ने तीनों हाथियों के शव का पोस्टमार्टम करवाया था. तीनों की बिसरा रिपार्ट आई है. रिपोर्ट के मुताबिक हाथियों की मौत हैवी मेटल के सेवन से हुई है, लेकिन अब तक यह बात साफ नहीं हो सकी है कि आखिर हाथियों के हैवी मेटल सेवन का माध्यम क्या है.

भाजपा ने जताई थी साजिश की आशंका

इस पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि बीजेपी ने पहले ही ये आशंका जताई थी कि हाथियों के मौत के पीछे किसी की साजिश है, जो अब इस जांच के बाद सामने आई है. कौशिक ने कहा कि हाथियों के मामले में उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. इसके लिए उच्च स्तर पर एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जानी चाहिए, जिससे कि यह और स्पष्ट हो सके कि किन परिस्थितियों में हाथियों की मौत हो रही है.

कार्रवाई के बाद भी बीजेपी बना रही है मुद्दा : कांग्रेस

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने धरमलाल कौशिक के बयान को स्तरहीन बताया है. उनका कहना है कि बीजेपी हाथियों की मौत की बिसरा रिपोर्ट को लेकर मुद्दा बना रही है. जबकि कांग्रेस सरकार पहले ही हाथियों की मौत को लेकर अधिकारियों ओर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है. शैलेष ने यह भी दावा किया कि आज तक वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई पहले कभी नहीं की गई थी. इसके बाद भी धरमलाल कौशिक इस मामले को लेकर मुद्दा बना रहे हैं, जो उनके पद के अनुरूप नहीं है.

अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई

हाथियों की मौत के मामले में पहले ही PCCF और DFO हटा दिए गए हैं, जबकि SDO, रेंजर, डिप्टी रेंजर और फॉरेस्ट गार्ड को निलंबित कर दिया गया है.

3 दिन में हुई थी 3 हाथियों की मौत

प्रतापपुर और राजपुर रेंज में जिन तीन हथिनी की मौत हुई थी, उनमें एक हथिनी गर्भवती थी. हथिनी का शव मिलने के बाद विभाग ने कीटनाशक से मौत की आशंका जताई थी हालांकि दूषित पानी पीने से भी मौत की बात सामने आ रही थी. दूसरी हथिनी की लाश भी दूसरे दिन ही मिली. वहीं एक अन्य हथिनी की लाश बलरामपुर जिले के राजपुर इलाके में चार दिन बाद मिली थी.

  • सूरजपुर के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में 9 और 10 जून को एक गर्भवती हथिनी सहित 2 मादा हाथियों की मौत हुई.
  • बलरामपुर के जंगल में 11 जून को एक हथिनी की मौत.

राज्य सहित केंद्रीय टीम कर रही है मामले की जांच

हाथियों की मौत के मामले में राज्य से लेकर केंद्र तक जांच चल रही है. कुछ दिनों पहले ही केंद्र और राज्य की टीम ने इस केस की जांच की है. टीम ने हाथियों की मौत पर चिंता जताते हुए मैदानी स्तर पर समन्वय की कमी बताई थी.

एक दशक में हुई लगभग 50 हाथियों की मौत

पिछले एक दशक में सरगुजा और इससे लगे सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया और जशपुर जिले में 46 हाथियों की मौत हुई है, जबकि हाथियों के आतंक से करीब 150 लोगों की मौत हो गई है.

ज्यादातर हाथियों की मौत की मुख्य वजह

कई हाथियों की मौत प्राकृतिक रूप से नहीं हुई है, बल्कि हाथियों से निजात पाने के लिए उठाए गए कदम की वजह से मौत होना बताया जा रहा है. 13 हाथियों की मौत बिजली करंट से हुई है, जबकि कुछ हाथियों की जहर से मौत हुई है. पड़ताल में यह खुलासा हुआ है कि लोग बदला लेने के लिए कहीं बिजली के तार लगा देते हैं, तो कहीं खाने-पीने की चीजों के साथ जहर रख देते हैं. इस वजह से ज्यादातर हाथियों की मौत हो रही है. कई हाथियों की मौत का कारण विभाग के लिए रहस्य बनकर ही रह गया है.

पढ़ें- संकट में गजराज: 10 दिन में 6 हाथियों ने गंवाई जान, मौत के कारण से विभाग अनजान

आरोपियों को पकड़ना वन विभाग के सामने बड़ी चुनौती

एक के बाद एक हो रही हाथियों की मौत को लेकर जहां एक तरफ राज्य सरकार अब गंभीर हुई है, तो वहीं वन विभाग अमला भी सतर्क नजर आ रहा है. लेकिन इस बीच उनके सामने हाथियों की मौत के जिम्मेदारों को पकड़ना एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि अबतक हाथियों को मौत के घाट उतारने वाले आरोपियों का सुराग वन विभाग को नहीं मिल पाया है. हालांकि जांच में अफसर आरोपियों तक पहुंच पाते हैं या नहीं इस पर संशय बना हुआ है, क्योंकि पिछले सालों में कई हाथियों की मौत हुई है और विभाग आरोपियों का पता अबतक नहीं लगा पाया है.

पढ़ें- रायपुर: हाथियों की मौत पर सरकार-विपक्ष में ठनी, बीजेपी का आरोप-कहीं तस्करी तो नहीं

इसके साथ ही हाथियों की मौत रोकने के लिए सरकार की ओर से योजनाबद्ध तरीके से काम करने अधिकारियों ने कार्ययोजना तैयार कर ली है, और इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित भी किया है, लेकिन अब तक अधिकारी इसे लेकर कोई अच्छी और कारगर योजना नहीं बना सके हैं. इस बीच सूचना आ रही है कि हाथियों और इंसानों के बीच लंबे समय से चल रहे द्वंद को खत्म करने सरकार विदेशों से एक्सपर्ट बुलाने की तैयारी में है. उनकी सलाह और सुझाव के आधार पर ही आगामी दिनों में राज्य सरकार हाथियों से निपटने की रणनीति बनाएगी.

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