रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोमवार को छत्तीसगढ़ बजट पेश करने वाले हैं. इस बजट में किसे क्या मिलेगा इस पर पूरे प्रदेश की नजर टिकी हुई है. राजनीतिक दलों की बात की जाए तो बजट पेश होने के पहले ही वे आमने-सामने नजर आ रहे हैं. बीजेपी-कांग्रेस पेश होने वाले बजट को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. जहां एक ओर सत्तापक्ष कोरोना काल के बावजूद पेश होने वाले बजट को बेहतर बताने में जुटा हुआ है. वहीं विपक्ष बजट पेश होने के पहले ही उसे निराशाजनक करार दे रहा है.
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि कोरोना के समय भूपेश सरकार ने चुनौतियां का डटकर सामना किया. खासकर वित्तीय चुनौती से भी जमकर लड़े. शैलेष ने कहा कि कोरोना के दौरान राज्य की आय कम हुई. सारा व्यापार ठप पड़ा था. लॉकडाउन के बहुत सारे दुष्प्रभाव देखने को मिले. साढ़े 6 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर वापस आए. मजदूरों को क्वॉरेंटाइन किया गया. सरकार ने उनकी कोरोना टेस्टिंग की व्यवस्था की. पहले एक कॉलेज में टेस्टिंग की व्यवस्था थी. आज राज्य के हर मेडिकल कॉलेज में टेस्टिंग की व्यवस्था है. सूखे राशन की व्यवस्था सरकार ने की. इन चुनौतियों के बीच नया बजट आने वाला है. शैलेष ने इस दौरान केंद्र सरकार पर अपनी जिम्मेदारी से भागने का भी आरोप लगाया.
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'बजट में कही कटौती ना हो जाए'
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि बजट को लेकर जिस प्रकार से उम्मीद जताई जा रही है. मुझे लगता है कि यह बजट भी हताश और निराश करने वाला होगा. जिस प्रकार से आर्थिक बदहाली की स्थिति है, ऐसा ना हो कि बजट में कटौती हो जाए. कौशिक ने कहा कि पिछली प्रशासकीय स्वीकृति अभी भी नहीं हुई है. बजट को लेकर के जो जन घोषणापत्र हैं. उनके पूरे होने की उम्मीद भी नहीं दिखाई दे रही है. इस बजट में जो राशि का प्रावधान किया जाएगा, यह आने वाले समय में दिखाई देगा. मुझे नहीं लग रहा है कि बहुत कुछ होने वाला है.
केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप
कांग्रेस के शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि 'छत्तीसगढ़ का विकास पीएम मोदी की मेहरबानी से नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के मजदूर, किसान, नौजवानों की मेहनत से हो रहा है. छत्तीसगढ़ को मिलने वाली वित्तीय राशि पीएम मोदी की मेहरबानी नहीं है. छत्तीसगढ़ के लोगों का अधिकार है. मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के अधिकार छीनने में लगी हुई है. केंद्र सरकर कहती है कि एफसीआई के गोदामों में छत्तीसगढ़ के किसानों का चावल नहीं रखा जाएगा. कभी जीएसटी की बकाया राशि देने से इंकार करती है'.