रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक शासकीय कर्मचारी संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार हड़ताल पर हैं (Politics on strike of officers employees in Cg). रायपुर में हर महीने प्रदर्शन हो रहा है. 22 अगस्त से छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन की हड़ताल जारी है. हड़ताल प्रदर्शन को बीजेपी का समर्थन है. दूसरे दल भी हड़ताल में दिलचस्पी ले रहे हैं और सरकार को घेर रहे हैं. अब ऐसे हड़ताल का असर कहीं ना कहीं आगामी विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता (Chhattisgarh Officer Employees Federation strike) है.
बीजेपी का अधिकारी कर्मचारियों की हड़ताल को समर्थन: भाजपा अधिकारी और कर्मचारियों के आंदोलन में खुलकर सामने आ गई है. जहां एक और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने धरना स्थल पहुंचकर कर्मचारी अधिकारियों के आंदोलन को समर्थन दिया. वहीं भाजपा के अन्य नेता एक के बाद एक कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने की सरकार से मांग कर रहे हैं. इस तरह भाजपा एक के बाद एक कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बना रही है (Employees Federation strike on demand of hra and da).
सरपंच संघ की हड़ताल पर विपक्ष ने बघेल सरकार को घेरा: हाल ही में सरपंच संघ भी अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. जिसे लेकर भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर जोरदार हमला बोला है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ओपी चौधरी ने कहा कि "भूपेश बघेल जी, सरपंच साथी भी आज हड़ताल कर धरने पर बैठने को मजबूर हैं. ग्राम पंचायतों में विकास शून्यता की स्थिति है. भारत सरकार से ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त की राशि सीधे दी जाती है.इस पर उनका मौलिक अधिकार है. लेकिन आप पंचायतों की जरूरत के अनुसार उसका भी उपयोग करने नहीं दे रहे हैं. गौठान के नाम पर आपके ठेकेदार उसका बंदरबांट कर रहे हैं. प्रदेश को विकास शून्यता और ठेकेदारी से बाहर लाइए. जब पंचायती राज व्यवस्था की रीढ़ सरपंच ही हड़ताल और धरने पर बैठने को मजबूर है.तो प्रदेश का क्या होगा" हड़ताल के मुद्दे पर बीजेपी नेता धरमलाल कौशिक ने भी सरकार को घेरा है.
ये भी पढ़ें: रायपुर में कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने मशाल रैली निकालकर कहा अपना अधिकार लेकर रहेंगे
कांग्रेस ने बीजेपी पर किया पलटवार: वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी का कहना है कि "प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी लचर स्थिति में है और अब सरकारी कर्मचारी रूपी बैसाखी के सहारे खड़ा होना चाहती है. 15 साल जब यह सत्ता में थे तब तो कभी उन्होंने केंद्र के पैमानों पर न तो डीए दिया. ना कोई अन्य सुविधा कर्मचारियों को मुहैया कराई. भाजपा साढ़े तीन बरसों में मुद्दों से जूझ रही है और अब उन्हें लग रहा है कि शासकीय कर्मचारियों के मांगों के साथ खड़े हो जाएं. भूपेश सरकार ने कर्मचारियों कि लंबित वर्षों पुरानी मांगों को पूरा किया है. चाहे वह पुरानी पेंशन योजना की बात करें जिसमें लाखों कर्मचारी का हित होना है. सप्ताह में 2 दिन का अवकाश दिया. कोरोना काल जैसी विपरीत परिस्थितियों में देश में जहां हर राज्य में कर्मचारियों की तनखा पर कटौती हुई. लेकिन छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के कहने पर ₹1 की भी कटौती नहीं हुई. आज भी कहीं ना कहीं 6% महंगाई भत्ता बढ़ाया गया है. 28% डीए दिया जा रहा है. उनकी मांगें जायज हो सकती है लेकिन भाजपा आज किस मुंह से मांग कर रही है. आज भाजपा को बैसाखी की आवश्यकता इसलिए पड़ रही है क्योंकि वह लंगड़ी लूली हो चुकी है "
बता दें कि प्रदेश के लाखों शासकीय कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. वही संविदा कर्मचारी भी समय-समय पर अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन और आंदोलन करते रहे हैं. इसके अलावा शिक्षाकर्मी आंगनबाड़ी सफाई कर्मी सहित अन्य कर्मचारी भी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत रहे हैं. यही वजह है कि अब भाजपा इन कर्मचारियों के साथ खड़ी नजर आ रही है. भाजपा उनकी मांगों को जायज ठहराते हुए सरकार से जल्द से जल्द उसे पूरा करने की मांग कर रही है. भाजपा इन कर्मचारियों के माध्यम से कहीं न कहीं सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है. अब देखने वाली बात है कि आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तलाश रही भाजपा इस कर्मचारी रूपी बैसाखी के सहारे कितना आगे बढ़ सकती है. सत्ता पर काबिज कांग्रेस को इसका कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है. यह तो समय ही बताएगा.