रायपुर: भारतीय जनता पार्टी ने रायपुर बीजेपी कार्यालय में बीजेपी प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक ली (politics on reservation in chhattisgarh High Court decision). इस मीटिंग में मोर्चा प्रकोष्ठ और आईटी सेल की भी बैठक हुई. मीटिंग में छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश सह प्रभारी नितिन नवीन भी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को लेकर आए फैसले पर बघेल सरकार को घेरा. नितिन नवीन ने कहा कि "जनजाति समाज को आरक्षण के माध्यम से हमने एक सुविधा देने की कोशिश की थी. लेकिन कांग्रेस सरकार कोर्ट में जानबूझकर हारी.(reservation in Chhattisgarh educational Institute)"
बघेल सरकार पर कोर्ट में जानबूझकर हारने का लगाया आरोप: भाजपा प्रदेश सह प्रभारी नितिन नवीन ने कहा " कांग्रेस हमेशा से आदिवासियों और जनजातियों के नाम पर राजनीति करती आई है. अपनी कुर्सी बचाने के लिए मुख्यमंत्री ऐसा काम करते रहे हैं. ओबीसी आरक्षण पर भी अपने लोगों से ये पीआईएल लगाते हैं. बल्कि कांग्रेस के नेताओं को तो यह बताना चाहिए कि प्रदेश में अपराध लगातार बढ़ रहा है. अलगअलग संगठन के लोग आज सड़कों पर हैं. किसान आज परेशान हैं. कांग्रेस सरकार जनता के पीठ में छुरा घोंपने का काम कर रही है."
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"भूपेश बघेल का शासनकाल जनजातिय विकास के लिए काला अध्याय": बीजेपी का हमला यहीं नहीं रुका. वहीं भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने भूपेश बघेल सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि " भूपेश बघेल का शासनकाल जनजाति समाज के लिए काला अध्याय है. पिछले 4 वर्षों में भूपेश बघेल द्वारा उच्च न्यायालय में गलत तथ्य प्रस्तुत करने के कारण जनजाति समाज के 32 फीसदी आरक्षण पर विश्वासघात हुआ है.
सोमवार को आया था छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (chhattisgarh high court verdict ) ने सोमवार को अपने महत्वपूर्ण फैसले में प्रदेश के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में 58 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया (58 percent reservation in educational institutions) है.चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि ''किसी भी स्थिति में आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए.हाईकोर्ट में राज्य शासन के साल 2012 में बनाए गए आरक्षण नियम को चुनौती देते हुए अलग-अलग 21 याचिकाएं दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने करीब दो माह पहले फैसला सुरक्षित रखा था. उसपर यह फैसला कोर्ट ने दिया.