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लेमरू एलिफेंट रिजर्व पर 'रार', सरकार गिना रही फायदे, तो विपक्ष उठा रहा सवाल

छत्तीसगढ़ में जंगली जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से लेमरू एलिफेंट रिजर्व बनाने के सरकारी ऐलान के बाद से सियासत के सूरमाओं की भवें तन गई हैं.

एलिफेंट रिजर्व
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Published : Sep 4, 2019, 12:00 AM IST

रायपुर: लेमरू एलिफेंट रिजर्व की जद में सरगुजा, कटघोरा, धर्मजयगढ़ और कोरबा के जंगल आएंगे और इन्हीं जंगलों में हाथियों के रहने लायक माहौल बानाकर उन्हें बसाया जाएगा, ताकि वो रिहायशी इलाकों से दूर रहे जिसके इंसान के जान-माल की सुरक्षा हो सके.

एलिफेंट रिजर्व पर सियासत

सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने 15 अगस्त को हाथियों के लिए लेमरू रिजर्व बनाने का ऐलान किया था. पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि, लेमरु दुनिया का पहला एलिफेंड रिजर्व होगा, जो हाथियों का स्थाई ठिकाना होगा.

एलिफेंट रिजर्व से जुड़ी प्रमुख बातें
• स्पेशल हाई पावर टेक्निकल कमेटी की ओर से दिए गए सुझावों के आधार पर होगा निर्माण.
• जंगली हाथियों की ओर से जान-माल पहुंचाए जाने वाले नुकसान में कमी आएगी.
• कोरबा, कठघोरा और धरमजयगढ़ का वन मंडल लेमरु हाथी रिजर्व में शामिल होगा.
• वन्यजीवों के संरक्षण और जैव विविधता के संवर्धन का दायरा बढ़ेगा.

• एलिफेंट रिजर्व बनने से क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा.
• कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर, 5 अक्टूबर, 2007 को भारत सरकार ने 1995.48 वर्ग किलोमीटर वन्य क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व निर्माण की अनुमति दी थी.
• पिछले 5 साल में हाथी और इंसान के बीच हुए संघर्ष में 65 लोग और 14 हाथियों की मौत हो गयी थी.
• पिछले 5 साल में मानव मृत्यु, खेती-बाड़ी में नुकसान, क्षतिग्रस्त मकानों आदि की क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य सरकार ने 75 करोड़ रुपयों का अनुदान दिया.
• राज्य में वन्यजीवों हेतु 11310.977 वर्ग किलोमीटर. क्षेत्र संरक्षित है जो छत्तीसगढ़ राज्य के भौगोलिक परिक्षेत्र का 8.36 प्रतिशत है.

रमन सरकार ने किया था ऐलान
सरकार की इस कोशिश को हाथी और इंसान के संघर्ष को रोकने की दिशा में उठाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा है. इससे पहले राज्य में तीन हाथी रिज़र्व हैं, लेकिन लेमरू रिजर्व उनमें से सबसे खास है. बता दें कि इसके पहले रमन सरकार ने लेमरू हाथी रिज़र्व बनाने की घोषणा की थी, केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी रमन सरकार ने इस परियोजना के लिए नोटिफिकेशन जारी नहीं किया था.

वन मंत्री ने साधा निशाना
भूपेश सरकार के वन मंत्री मोहम्मद अकबर लेमरू प्रोजेक्ट पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए कहते जो यह काम नहीं कर पाए उन्हें कुछ बोलना ही नहीं चाहिए. तो वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने सरकार से हाथी और इंसान के बीच संघर्ष रोकने के लिए बेहतर रणनीति के साथ काम करने की मांग की है.

पिछले 3 साल में 204 लोगों की मौत
हाल ही में लोकसभा में पेश एक आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ में 204 से अधिक लोगों की मौत हाथियों के कुचलने से हुई है. चौंकाने वाली बात यह है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक कर्नाटक में सबसे ज्यादा हाथी पाए गए थे. इसके बाद भी यहां केवल 83 मौतें ही दर्ज हुई हैं.

कर्नाटक में हाथी ज्यादा लेकिन मौतें कम
छत्तीसगढ़ की तुलना में कर्नाटक में मौतों का आंकड़ा करीब 40 प्रतिशत कम है. ऐसे में एक बड़ी जरुरत के लिए लेमरू में हाथियों के लिए रिजर्व बनाने के फैसले पर उठ रहे सवाल अपने आप मे उस सवाल की तरह नज़र आते हैं, जो कहते हैं क्या महज सियासत के लिए हर सवाल को जायज़ ठहराया जा सकता है.

रायपुर: लेमरू एलिफेंट रिजर्व की जद में सरगुजा, कटघोरा, धर्मजयगढ़ और कोरबा के जंगल आएंगे और इन्हीं जंगलों में हाथियों के रहने लायक माहौल बानाकर उन्हें बसाया जाएगा, ताकि वो रिहायशी इलाकों से दूर रहे जिसके इंसान के जान-माल की सुरक्षा हो सके.

एलिफेंट रिजर्व पर सियासत

सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने 15 अगस्त को हाथियों के लिए लेमरू रिजर्व बनाने का ऐलान किया था. पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि, लेमरु दुनिया का पहला एलिफेंड रिजर्व होगा, जो हाथियों का स्थाई ठिकाना होगा.

एलिफेंट रिजर्व से जुड़ी प्रमुख बातें
• स्पेशल हाई पावर टेक्निकल कमेटी की ओर से दिए गए सुझावों के आधार पर होगा निर्माण.
• जंगली हाथियों की ओर से जान-माल पहुंचाए जाने वाले नुकसान में कमी आएगी.
• कोरबा, कठघोरा और धरमजयगढ़ का वन मंडल लेमरु हाथी रिजर्व में शामिल होगा.
• वन्यजीवों के संरक्षण और जैव विविधता के संवर्धन का दायरा बढ़ेगा.

• एलिफेंट रिजर्व बनने से क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा.
• कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर, 5 अक्टूबर, 2007 को भारत सरकार ने 1995.48 वर्ग किलोमीटर वन्य क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व निर्माण की अनुमति दी थी.
• पिछले 5 साल में हाथी और इंसान के बीच हुए संघर्ष में 65 लोग और 14 हाथियों की मौत हो गयी थी.
• पिछले 5 साल में मानव मृत्यु, खेती-बाड़ी में नुकसान, क्षतिग्रस्त मकानों आदि की क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य सरकार ने 75 करोड़ रुपयों का अनुदान दिया.
• राज्य में वन्यजीवों हेतु 11310.977 वर्ग किलोमीटर. क्षेत्र संरक्षित है जो छत्तीसगढ़ राज्य के भौगोलिक परिक्षेत्र का 8.36 प्रतिशत है.

रमन सरकार ने किया था ऐलान
सरकार की इस कोशिश को हाथी और इंसान के संघर्ष को रोकने की दिशा में उठाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा है. इससे पहले राज्य में तीन हाथी रिज़र्व हैं, लेकिन लेमरू रिजर्व उनमें से सबसे खास है. बता दें कि इसके पहले रमन सरकार ने लेमरू हाथी रिज़र्व बनाने की घोषणा की थी, केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी रमन सरकार ने इस परियोजना के लिए नोटिफिकेशन जारी नहीं किया था.

वन मंत्री ने साधा निशाना
भूपेश सरकार के वन मंत्री मोहम्मद अकबर लेमरू प्रोजेक्ट पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए कहते जो यह काम नहीं कर पाए उन्हें कुछ बोलना ही नहीं चाहिए. तो वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने सरकार से हाथी और इंसान के बीच संघर्ष रोकने के लिए बेहतर रणनीति के साथ काम करने की मांग की है.

पिछले 3 साल में 204 लोगों की मौत
हाल ही में लोकसभा में पेश एक आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ में 204 से अधिक लोगों की मौत हाथियों के कुचलने से हुई है. चौंकाने वाली बात यह है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक कर्नाटक में सबसे ज्यादा हाथी पाए गए थे. इसके बाद भी यहां केवल 83 मौतें ही दर्ज हुई हैं.

कर्नाटक में हाथी ज्यादा लेकिन मौतें कम
छत्तीसगढ़ की तुलना में कर्नाटक में मौतों का आंकड़ा करीब 40 प्रतिशत कम है. ऐसे में एक बड़ी जरुरत के लिए लेमरू में हाथियों के लिए रिजर्व बनाने के फैसले पर उठ रहे सवाल अपने आप मे उस सवाल की तरह नज़र आते हैं, जो कहते हैं क्या महज सियासत के लिए हर सवाल को जायज़ ठहराया जा सकता है.

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छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों और मानवों सँघर्ष को रोकने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए बड़े फैसले पर विपक्षी सवाल उठाने लगे है। जिस फैसले से हाथी प्रभावित क्षेत्रों में उम्मीद जागी है ।वह सियासत का मुद्दा बन गया है।
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Vo1 -

छत्तीसगढ़ को 3 मुख्यमंत्री मिले, अजीत जोगी, डॉ रमन सिंह और भूपेश बघेल ,लेकिन हाथियों और मानवों के बीच संघर्ष रोकने सबसे बड़ा फैसला भूपेश बघेल ने लिया। भूपेश बघेल सरकार ने लेमरू एलीफेंट रिजर्व बनाने का फैसला लिया है। लेमरू में सरगुजा, कटघोरा, धर्मजयगढ़ और कोरबा वनमंडल के जंगल आएंगे. सरकार ने ये फैसला कई वजहों से लिया है. सबसे बड़ी वजह हाथी और मानव के बीच लगातार द्वंद को रोकना है. दरअसल, सरकार ने लेमरु पर मुहर लगाकर इस क्षेत्र के नीचे मौजूद खनिज संसाधनों को हड़पने की होड़ को भी रोक दिया है. साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित कर दिया है. लेमरू हसदेव अरंड क्षेत्र में स्थित होगा. जिसमें उम्दा किस्म का कोयला है. अब सवाल यह है कि पिछली सरकारे ऐसा फैसला क्यों नही ले पाई। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और रमन सरकार में वन मंत्री रहे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी लेमरू पर चिंतन की जरूरत पर बल दे रहे हैं। जोगी तो यहां तक कह रहे है कि लेमरू में एलिफेंट रिज़र्व बनाने की घोषणा महज सरकारी दिखावा है। हाथियों को वहां रोका जाना सम्भव नही है।

बाईट- अजीत जोगी ,पूर्व मुख्यमंत्री, छग
बाईट- विक्रम उसेंडी,पूर्व वन मंत्री छग

Vo2 -

गौरतलब है कि भूपेश बघेल ने 15 अगस्त को हाथियों के लिए लेमरू रिज़र्व की घोषणा की थी. रायपुर पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में भूपेश बघेल ने कहा था कि लेमरू दुनिया में अपनी तरह का पहला ‘एलीफेंट रिजर्व’ होगा, जहां हाथियों का स्थाई ठिकाना होगा. प्रदेश के सबसे जैव विविधता से परिपूर्ण जंगल में स्थित इस रिजर्व में हाथियों के लिए भरपूर भोजन और पानी की व्यवस्था होगी. सरकार का दावा है कि

(फ्लैश पॉइंट्स)

• लेमरु हाथी रिजर्व के निर्माण से जंगली हाथियों द्वारा होने वाली जान-माल की हानि में कमी आएगी.

• वन्यजीवों के संरक्षण और जैव विविधता के संवर्धन का दायरा बढ़ेगा.

• लेमरु हाथी रिजर्व का निर्माण स्पेशल हाई पावर टेक्निकल कमेटी द्वारा प्रदत्त सूचनाओं और सुझावों के आधार पर किया जाएगा.

• कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर, 5 अक्टूबर, 2007 को भारत सरकार ने 1995.48 वर्ग कि.मी. वन्य क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व निर्माण की अनुमति दी थी.

• छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा, कठघोरा और धरमजयगढ़ का वन मण्डल लेमरु हाथी रिजर्व के अंतर्गत शामिल होगा.

• मानव और हाथियों के बीच का सौहार्द्यपूर्ण सहनिवास इस क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा देगा.

• पिछले 5 वर्षों में हाथियों और मानवों के संघर्ष में 65 व्यक्तियों और 14 हाथियों की मृत्यु हो गयी थी.

• पिछले 5 वर्षों में, मानव मृत्यु, खेती-बाड़ी में नुकसान, क्षतिग्रस्त मकानों आदि की क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य सरकार ने 75 करोड़ रुपयों का अनुदान दिया.

• राज्य में वन्यजीवों हेतु 11310.977 वर्ग कि.मी. क्षेत्र संरक्षित है जो छत्तीसगढ़ राज्य के भौगोलिक परिक्षेत्र का 8.36 प्रतिशत है.



सरकार के इस कदम को इसे हाथी और मानव के संघर्ष के ठोस समाधान की दिशा में उठाये गये कदम के रूप में देखा जा रहा है. इससे पहले राज्य में तीन हाथी रिज़र्व हैं, लेकिन लेमरू रिजर्व उनमें से सबसे खास है. बता दें कि इसके पहले रमन सरकार ने लेमरू हाथी रिज़र्व बनाने की घोषणा की थी, केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी रमन सरकार ने इस परियोजना के लिए नोटिफिकेशन नहीं जारी किया था. भूपेश सरकार के वन मंत्री मोहम्मद अकबर लेमरू प्रोजेक्ट पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए कहते जो यह काम नही कर पाए उन्हें कुछ बोलना ही नही चाहिए।

बाईट- मोहम्मद अकबर,वन मंत्री,छग


Conclusion:Fvo--

हाल ही में लोकसभा में प्रस्तुत एक आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ में 204 से अधिक लोगों की मौत हाथियों के कुचलने से हुई है. चौकाने वाली बात यह है कि 2021 की जनगणना के मुताबिक कर्नाटक में सबसे ज्यादा हाथी पाए गए थे. इसके बाद भी यहां केवल 83 मौतें ही दर्ज हुई हैं. छत्तीसगढ़ की तुलना में कर्नाटक में मौतों का आंकड़ा करीब 40 प्रतिशत कम है. ऐसे में एक बड़ी जरुरत के लिए लेमरू में हाथियों के लिए रिजर्व बनाने के फैसले पर उठ रहे सवाल अपने आप मे उस सवाल की तरह नज़र आते है,जो कहते है क्या महज सियासत के लिए हर सवाल को जायज़ ठहराया जा सकता है?

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
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