रायपुर: लेमरू एलिफेंट रिजर्व की जद में सरगुजा, कटघोरा, धर्मजयगढ़ और कोरबा के जंगल आएंगे और इन्हीं जंगलों में हाथियों के रहने लायक माहौल बानाकर उन्हें बसाया जाएगा, ताकि वो रिहायशी इलाकों से दूर रहे जिसके इंसान के जान-माल की सुरक्षा हो सके.
सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने 15 अगस्त को हाथियों के लिए लेमरू रिजर्व बनाने का ऐलान किया था. पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि, लेमरु दुनिया का पहला एलिफेंड रिजर्व होगा, जो हाथियों का स्थाई ठिकाना होगा.
एलिफेंट रिजर्व से जुड़ी प्रमुख बातें
• स्पेशल हाई पावर टेक्निकल कमेटी की ओर से दिए गए सुझावों के आधार पर होगा निर्माण.
• जंगली हाथियों की ओर से जान-माल पहुंचाए जाने वाले नुकसान में कमी आएगी.
• कोरबा, कठघोरा और धरमजयगढ़ का वन मंडल लेमरु हाथी रिजर्व में शामिल होगा.
• वन्यजीवों के संरक्षण और जैव विविधता के संवर्धन का दायरा बढ़ेगा.
• एलिफेंट रिजर्व बनने से क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा.
• कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर, 5 अक्टूबर, 2007 को भारत सरकार ने 1995.48 वर्ग किलोमीटर वन्य क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व निर्माण की अनुमति दी थी.
• पिछले 5 साल में हाथी और इंसान के बीच हुए संघर्ष में 65 लोग और 14 हाथियों की मौत हो गयी थी.
• पिछले 5 साल में मानव मृत्यु, खेती-बाड़ी में नुकसान, क्षतिग्रस्त मकानों आदि की क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य सरकार ने 75 करोड़ रुपयों का अनुदान दिया.
• राज्य में वन्यजीवों हेतु 11310.977 वर्ग किलोमीटर. क्षेत्र संरक्षित है जो छत्तीसगढ़ राज्य के भौगोलिक परिक्षेत्र का 8.36 प्रतिशत है.
रमन सरकार ने किया था ऐलान
सरकार की इस कोशिश को हाथी और इंसान के संघर्ष को रोकने की दिशा में उठाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा है. इससे पहले राज्य में तीन हाथी रिज़र्व हैं, लेकिन लेमरू रिजर्व उनमें से सबसे खास है. बता दें कि इसके पहले रमन सरकार ने लेमरू हाथी रिज़र्व बनाने की घोषणा की थी, केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी रमन सरकार ने इस परियोजना के लिए नोटिफिकेशन जारी नहीं किया था.
वन मंत्री ने साधा निशाना
भूपेश सरकार के वन मंत्री मोहम्मद अकबर लेमरू प्रोजेक्ट पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए कहते जो यह काम नहीं कर पाए उन्हें कुछ बोलना ही नहीं चाहिए. तो वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने सरकार से हाथी और इंसान के बीच संघर्ष रोकने के लिए बेहतर रणनीति के साथ काम करने की मांग की है.
पिछले 3 साल में 204 लोगों की मौत
हाल ही में लोकसभा में पेश एक आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ में 204 से अधिक लोगों की मौत हाथियों के कुचलने से हुई है. चौंकाने वाली बात यह है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक कर्नाटक में सबसे ज्यादा हाथी पाए गए थे. इसके बाद भी यहां केवल 83 मौतें ही दर्ज हुई हैं.
कर्नाटक में हाथी ज्यादा लेकिन मौतें कम
छत्तीसगढ़ की तुलना में कर्नाटक में मौतों का आंकड़ा करीब 40 प्रतिशत कम है. ऐसे में एक बड़ी जरुरत के लिए लेमरू में हाथियों के लिए रिजर्व बनाने के फैसले पर उठ रहे सवाल अपने आप मे उस सवाल की तरह नज़र आते हैं, जो कहते हैं क्या महज सियासत के लिए हर सवाल को जायज़ ठहराया जा सकता है.