रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार लगातार केंद्र सरकार से जीएसटी की बकाया राशि भुगतान की मांग कर रही है. इतना ही नहीं अब केंद्र सरकार के द्वारा जो जीएसटी क्षतिपूर्ति दी जाती थी, उसे भी बंद किया जा रहा है. इस क्षतिपूर्ति को वापस देने की मांग भी राज्य सरकार कर रही है. इसके लिए बकायदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को दो बार पत्र भी लिखा (Chhattisgarh is not getting GST amount ) है.
सीएम बघेल केंद्र सरकार को दो बार लिख चुके हैं पत्र: पहले मार्च में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र लिखकर जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद किए जाने पर आपत्ति जताई थी. मुख्यमंत्री ने इस पत्र के जरिए GST की क्षतिपूर्ति को 5 साल के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि 2021 के दिसंबर में दिल्ली में राज्यों के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्रियों के साथ बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा कर चिंता जाहिर की गयी थी. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि उत्पादक राज्यों को राजस्व की भरपाई की कोई वैकल्पिक स्थाई व्यवस्था केंद्र सरकार द्वारा शीघ्र की जानी चाहिए. इस पत्र के बाद अब अप्रैल में एक बार फिर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जीएसटी क्षतिपूर्ति को वापस देने की मांग की है.
जीएसटी की राशि न मिलने से प्रदेश का विकास प्रभावित: कांग्रेस का आरोप है कि जीएसटी की राशि न मिलने से छत्तीसगढ़ में संचालित शासकीय योजनाएं एवं विकास प्रभावित हो रही है. इस विषय में कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रदेश प्रभारी सचिव सप्तगिरी शंकर उल्का ने बताया कि " इस राशि के न मिलने से छत्तीसगढ़ की शासकीय योजनाएं प्रभावित हो रही है. यही वजह है कि लगातार इस राशि के भुगतान को लेकर राज्य सरकार केंद्र सरकार को पत्र लिख रही है. केंद्र सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ के साथ पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है. केंद्र सरकार भाजपा शासित राज्यों को समय पर जीएसटी की राशि का भुगतान कर देती है लेकिन जहां भाजपा की सरकार नहीं है. वहां राशि भुगतान में देरी की जाती है. छत्तीसगढ़ के साथ भी इस तरह का रवैया अपनाया जा रहा है. इस जीएसटी की राशि का भुगतान न होने से कहीं ना कहीं प्रदेश की विकास की योजनाएं प्रभावित हो रही है."
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जिन योजनाओं के लिए भेजा गया था पैसा उसमें खर्च नहीं हुआ: भाजपा ने भी जीएसटी के मामले को लेकर राज्य सरकार को घेरते हुए कहा "केंद्र सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं का छत्तीसगढ़ में सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है, जिस वजह से इन योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है.'' इस विषय में भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी का कहना है ''छत्तीसगढ़ में जो केंद्रीय मंत्री आ रहे हैं वे इन्हीं सब बातों की समीक्षा करेंगे. पैसे का सही तरीके से योजनाओं पर उपयोग हुआ है कि नहीं. जिन योजनाओं के लिए पैसा भेजा गया, उसमें वह खर्च हुआ या नहीं. जो कार्यक्रम केंद्र सरकार के द्वारा चलाया जा रहा है. उसका क्रियान्वयन सही ढंग से हुआ है कि नहीं? जो राशि दूसरे मामले में खर्च की गई है? तो क्यों की गई है? इन सब की जानकारी छत्तीसगढ़ आने वाले केंद्रीय मंत्री ले रहे हैं. रिपोर्ट के आधार पर आगे काम किया जाएगा.''
समय पर होना चाहिए जीएसटी राशि का भुगतान: इस विषय में अर्थशास्त्री प्रोफेसर तपेश गुप्ता का कहना है ''जीएसटी की राशि का भुगतान राज्य सरकारों को समय पर होना चाहिए. इससे शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से हो सके. उसमें किसी तरह की बाधा उत्पन्न ना हो. जीएसटी की राशि के लिए केंद्र सरकार को एक तिथि निर्धारित कर देनी चाहिए कि वह प्रति महीने या 2 महीने में या फिर 3 महीने की किसी एक तारीख को इस राशि का भुगतान करे, जिससे उस हिसाब से राज्य सरकार अपनी योजना बना सके. जीएसटी की राशि समय पर ना मिलने की वजह से विकास कार्यों में कुछ हद तक व्यवधान उत्पन्न हो सकता है. शासकीय प्रक्रिया के तहत इन राशि के भुगतान में देरी को एक सामान्य प्रक्रिया बताया जा रहा है. यह तो पहले ही निर्धारित किया गया था कि जीएसटी की क्षतिपूर्ति राशि 5 सालों के लिए होगी लेकिन अब छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्य में इसकी समय सीमा आगे बढ़ाए जाने के लिए केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं.''
5 वर्षों में 45 हजार करोड़ से अधिक का मिला जीएसटी: जानकारी के मुताबिक प्रदेश में जीएसटी कलेक्शन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इन पांच वर्षों में प्रदेश से केंद्र को 45 हजार करोड़ से अधिक का जीएसटी मिला है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में जीएसटी कलेक्शन में 35.27 फीसद की बढ़त हुई. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों स्टील की कीमतें तेजी से बढ़ी. इस कारण जीएसटी कलेक्शन में इतनी अधिक वृद्धि देखने को मिल रही है. विभागीय अधिकारियों के अनुसार इन पांच वर्षों में प्रदेश को सीजीएसटी के रूप में 45784.87 करोड़ मिला है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में सीजीएसटी के रूप में 4763.87 करोड़ मिला था, इसके बाद जीएसटी कलेक्शन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. साल 2018-19 में 8950 करोड़, साल 2019-20 में 9422 करोड़, साल 2020-21 में 9627 करोड़ और साल 2021-22 में 13022 करोड़ जीएसटी कलेक्शन हुआ है. इस तरह 5 सालों में लगभग 45800 करोड़ रुपए जीएसटी के रूप में प्रदेश से केंद्र को मिला है.
विभिन्न योजनाओं में केंद्रांश की कटौती: बताया जा रहा है कि, पहले कि कई योजनाओं में केंद्रांश की कटौती को लेकर वाणिज्यकर मंत्री टी.एस सिंहदेव का कहना था " पहले फाइनेंस कमीशन के तहत राज्यों को 32 फीसद राशि दी जाती थी, जिसे बढ़ाकर 42 फीसद कर दिया गया. लेकिन दूसरी ओर अन्य योजनाओं में केंद्रांश में कटौती कर दी गई. यहां तक कि केंद्र सरकार से पोषित कई योजनाओं को बंद भी कर दिया गया. एक तरफ केंद्र सरकार ने राशि बढ़ायी और दूसरी तरफ उसे वापस ले लिया. उदाहरण के तौर पर मॉडल स्कूल की योजना जिसे केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया था. बाद में सरकार ने कहा कि अब हम इसमें पैसा नहीं देंगे राज्य सरकार इसका संचालन करे.''
केंद्र सरकारा ने बजट में की कटौती: कांग्रेस मीडिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार ने मनरेगा के बजट में 24 फीसद की कटौती की. मनरेगा में पिछले साल 11.6 करोड़ लोगों ने रोजगार मांगा था. इनमें से 2 करोड़ लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया था. इस वर्ष की गयी 25 फीसद कटौती से विकास कार्य प्रभावित होगा. किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले उपज के लिये बजट में भी 8 फीसद की कटौती कर दी गई है. किसानों को मिलने वाली खाद सब्सिडी को 1.40 लाख करोड़ से घटा कर 1.05 लाख करोड़ कर दिया. खाद सब्सिडी में भी 35 हजार करोड़ की कमी की गई है. गरीब महिलाओं को जनधन योजना के तहत मिलने वाले 30 हजार करोड़ की सब्सिडी को भी खत्म कर दिया. प्रधानमंत्री आवास में केंद्रीय अंश को भी 40 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया. राज्यों के माध्यम से चलाये जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं में केंद्रांश की रेशियों को घटाकर 75 एवं 25 कर दिया है. महिला बाल विकास और एनआरएचएम जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं में भी कटौती की गई है. राज्यों को मिलने वाले राजस्व में जीएसटी लागू कर पहले ही कटौती कर दी गई थी.
गौर हो कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट भाषण के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया था कि वर्ष 2021-22 के राज्य बजट में केन्द्रीय करों एवं केन्द्रीय सहायता अनुदान मद में कुल में 44 हजार 325 करोड़ का प्रावधान रखा गया था. वर्ष 2022-23 के केन्द्रीय बजट को देखते हुए इस वर्ष राज्य के बजट में कुल 44 हजार 573 करोड़ की राशि केन्द्र से प्राप्त होना अनुमानित है. जून 2022 के पश्चात जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान समाप्त किये जाने के कारण केन्द्रीय प्राप्तियों में कम वृद्धि अनुमानित है.