रायपुर: कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले अपने जन घोषणा पत्र में एलान किया था कि यदि प्रदेश में उनकी सरकार बनती है तो वह किसानों को 2500 रुपये धान का समर्थन मूल्य देगी. इसके बाद कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो गई लेकिन काबिज होने के बाद अब किसानों को बोनस के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
पहले केंद्र ओर राज्य सरकारों के बीच फंसे पेंच के कारण किसानों को बोनस की राशि नहीं दी जा सकी. क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को साफ कह दिया था यदि राज्य सरकार 2500 रुपये समर्थन मूल्य पर धान खरीदेगी तो केंद्र सरकार उनके पूल में आने वाले धान को नहीं लेगी. बाद में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के नियमों के तहत 1815 और 1835 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों से धान लिया. इसके कारण किसानों को कांग्रेस की ओर से एलान किए गए 2500 रुपए समर्थन मूल्य से 665 और 685 रुपए कम मिला.
हालांकि इस राशि को राज्य सरकार ने बोनस के रूप में किसानों के खातों में डाले जाने का एलान किया था. इसके लिए कमेटी भी बनाई गई थी जो यह निर्धारित करती कि किसानों के खातों में बोनस की राशि किस तरीके से दी जाए. इसके बाद अब राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इस अंतर की राशि को 10 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों के खातों में जमा किया जाएगा.
पढ़ें-योजनाओं का श्रेय लेने में जुटी केंद्र और राज्य सरकार, जरूरतमंद अब भी बेहाल
योजना की शुरुआत 21 मई को होगी
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और कृषि सहायता के लिए खरीफ 2019 में पंजीकृत और उपार्जित रकबे के आधार पर धान मक्का और गन्ना फसल के लिए 10 हजार प्रति एकड़ की दर से अनुदान की राशि किसानों के खातों में डाली जाएगी. इसके लिए बजट में 5100 करोड़ का प्रावधान किया गया है इस योजना के तहत राज्य के 18 लाख 75 हजार किसानों को लाभ मिलेगा. साथ ही खरीफ 2020 में आगामी वर्षों में दलहन और तिलहन फसलों में पंजीकृत और अधिसूचित रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को सहायता के रूप में दी जाएगी. इस योजना की शुरुआत 21 मई से होगी.
योजना पर विवाद शुरू
लेकिन सरकार योजना शुरू होने के पहले ही विवादों में घिर गई है, क्योंकि विपक्ष का आरोप है कि सरकार के इस निर्णय से किसानों को प्रति एकड़ 275 रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है. 1 एकड़ में 15 क्विंटल धान होता है और इस 15 क्विंटल धान के अंतर की राशि प्रति एकड़ 10275 होती है. ऐसे में सरकार की ओर से किसानों को मात्र प्रति एकड़ 10 हजार दिया जा रहा है. यानि की 275 रुपए कम दिया जाएगा. यदि क्विंटल के हिसाब से मूल्य निकाला जाए तो 18.33 पैसे प्रति क्विंटल सरकार किसानों को कम देगी. यदि इस राशि को धान के उत्पादन के हिसाब से जोड़ा जाए तो करोड़ों रुपए होंगे.
पढ़ें-SPECIAL : शासन ने खाते में दिए पैसे, लेकिन हितग्राही घर नहीं लाए घरेलू गैस सिलेंडर
'किसानों के खाते में राशि जमा कराएगी सरकार'
जब किसानों को 275 रुपए कम दिए जाने के मामले को लेकर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे से बात की गई तो उन्होंने कहा 'यह राशि किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपए के हिसाब से राउंड फिगर में दी जा रही है. सिर्फ धान पर ही नहीं बल्कि अन्य कृषि उत्पादों जैसे गन्ना, मक्का, दलहन और तिलहन की फसलों पर भी सरकार राजीव गांधी न्याय योजना के तहत राशि किसानों के खातों में जमा कराएगी'.
'किसानों के साथ छलावा कर रही सरकार'
वहीं भाजपा ने इसे कांग्रेस सरकार के द्वारा किसानों के साथ छलावा बताया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि 'सरकार की ओर से दी जाने वाली राशि में किसानों का हक मारा जा रहा है. यह राशि भी किसानों को सरकार किस्तों में देने जा रही है. कांग्रेस सरकार किसानों के साथ खेल,खेल रही है'.
पढ़ें-धरने पर बैठे यशवंत सिन्हा- ईटीवी भारत से बोले, मजदूरों को कुछ नहीं मिला
योजना शुरू होने से पहले बहस शुरू
राजीव गांधी किसान न्याय योजना अभी शुरू भी नहीं हुई उससे पहले ही इसे लेकर पक्ष-विपक्ष में तर्क-वितर्क शुरू हो गया है. जहां एक ओर कांग्रेस सरकार किसानों को धान समर्थन मूल्य के अंतर की राशि राउंड फिगर में देने की बात कर रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा अंतर की राशि में हाथ मारने का आरोप कांग्रेस सरकार पर लगा रही है.