रायपुर: गुरुवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे. उन्होंने रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में जनसभा को संबोधित किया. राहुल गांधी के दौरे के दौरान सीएम पद के लिए दावेदार पर राजनीति का दौर हावी रहा. हालांकि इस दौरान भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के साथ राहुल की नजदीकियों की चर्चा दिनभर देखने को मिली. बघेल और सिंहदेव में से कौन राहुल के काफी नजदीक है. इस तरह के कयास भी दिनभर जारी रही. राहुल के साथ नज़दीकियों की बात की जाए तो ,जिस तरह से भूपेश बघेल लगातार राहुल गांधी के साथ बने रहे उन्होंने 1 मिनट के लिए भी राहुल गांधी को अकेले नहीं छोड़ा या फिर यूं कहें कि किसी अन्य नेता मंत्री विधायक के साथ नहीं छोड़ा. पल पल हर कदम पर भूपेश बघेल राहुल गांधी के साथ थे.
सिंहदेव को राहुल गांधी से रखा गया दूर !
वहीं बात की जाए टीएस सिंहदेव की तो वह राहुल गांधी के आसपास होते हुए भी ना के बराबर थे. क्योंकि वह पूरे कार्यक्रम के दौरान या तो राहुल गांधी के पीछे नजर आए या फिर कई बार राहुल गांधी से काफी दूर हो गए. एयरपोर्ट से बस में रवाना होते समय भी भूपेश बघेल राहुल गांधी के नजदीक थे. जबकि सीधे उनके आसपास भी नजर नहीं आ रहे थे. साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित प्रदर्शनी के भ्रमण सहित अन्य कार्यक्रमों में भी भूपेश बघेल लगातार राहुल गांधी के साथ बने रहे. जबकि सहदेव कुछ जगह राहुल गांधी के पीछे और कुछ जगह राहुल गांधी से काफी दूर नजर आए. भूमिहीन मजदूरों के साथ भोजन के दौरान भी सिंहदेव, राहुल गांधी से काफी दूर थे.
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जनसभा के मंच पर भी राहुल से दूर दिखे सिंहदेव
यदि मंच की बात की जाए तो मंच में भी राहुल गांधी से टीएस सिंहदेव एक कुर्सी की दूरी पर थे. जबकि प्रायः जो कार्यक्रम होते थे उसमें टीएस सिंहदेव भूपेश बघेल के साथ नजर आते थे. या फिर जो मुख्य अतिथि होते थे उनके आजू-बाजू बघेल और सिंहदेव होते थे. लेकिन इस बार राहुल गांधी और सिंहदेव के बीच में मोहम्मद अकबर बैठे नजर आए. यह बैठक व्यवस्था भी आम लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पूरे कार्यक्रम के दौरान सिंहदेव, राहुल गांधी के नजदीक न हो इस बात का शायद विशेष ध्यान रखा गया था.
बघेल के भाषण के दौरान सिंहदेव ने राहुल से की बात
लेकिन पूरे कार्यक्रम के बीच एक समय ऐसा आया जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कुछ समय के लिए राहुल गांधी से दूर होना पड़ा. वह समय था मंच पर भाषण देने का. जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंच पर भाषण देने उठे तो उस दौरान उनके भाषण के बीच में टी एस सिंहदेव अपनी कुर्सी से तीन बार थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर उठ उठ कर राहुल गांधी के पास गए. एक बार तो उन्होंने अकबर को अपनी कुर्सी पर बैठा ढिया और खुद राहुल गांधी के बाजू में कुर्सी पर बैठकर उनसे कुछ चर्चा करने लगे .हालांकि तीन तीन बार में टी एस सिंहदेव ने राहुल गांधी से क्या चर्चा की, किन मुद्दों पर बात की या फिर किस चीज को लेकर वे राहुल गांधी के पास गए थे यह स्पष्ट नहीं हो पाया है
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राहुल से सिंहदेव की चर्चा ने बढ़ाया सियासी पारा
लेकिन सिंहदेव का बार-बार उठकर राहुल गांधी के पास जाना और वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठना, लगातार चर्चा में बना रहा. क्योंकि अगर सिंहदेव चाहते तो एयरपोर्ट से लेकर साइंस कॉलेज मैदान पहुंचने और प्रदर्शनी में भ्रमण के दौरान भी राहुल गांधी से चर्चा कर सकते थे. लेकिन उन्होंने यह चर्चा भूपेश बघेल की अनुपस्थिति में राहुल गांधी से की और यही वजह है कि राहुल गांधी के साथ सिंहदेव की चर्चा अब सुर्खियों में है. इस घटना ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर कई तरह की आशंकाएं और संभावनाएं पैदा कर दी है और खासकर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री परिवर्तन को लेकर फिर से एक बार सियासत शुरू हो गई है.
जिस तरह से बघेल की अनुपस्थिति में सिंहदेव ने राहुल गांधी से मंच पर तीन बार बातचीत की है. उस पर कयास लगाए जा रहे हैं कि हो ना हो कोई गंभीर बात रही होगी. जिसे बताने सिंहदेव बार-बार अपनी कुर्सी छोड़कर राहुल गांधी के नजदीक पहुंचे. बहरहाल इन दोनों के बीच हुई बातचीत की तो जानकारी नहीं है. लेकिन यह मुलाकात जरूर सुर्खियों में बनी हुई है जिस पर अब लोग जानने के इच्छुक हैं कि आखिर बाबा ने राहुल गांधी से क्या बातचीत की और क्या जानकारी दी.
टीएस सिंहदेव अपने मौके का कर रहे इंतजार-शशांक शर्मा
राजनीतिक विश्लेषण शशांक शर्मा का मानना है कि राजनीति में कुछ भी शांत नहीं होता. राजनीति का अच्छा खिलाड़ी अपने समय का इंतजार करता है. शायद टी एस सिंहदेव अपने समय का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि राहुल गांधी के दौरे से पहले उन पर आरोप लगे,जिसमें उन्होंने कहा कि मेरी छवि को खराब करने की साजिश रची जा रही है. यह चीज उनके राजनीतिक संतुलन को डिस्टर्ब करती है. शशांक शर्मा ने कहा कि हो सकता है कि सिंहदेव अपनी बारी का इंतजार कर रहे हों. क्योंकि राजनीति में कोई भी घटना कभी खत्म नहीं होती है. समय के साथ वह फिर से उभरती है. मुझे लगता है कि टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच मुख्यमंत्री पद की दावेदारी है उसका शायद तीसरा दौर आ सकता है.
कहा जाता है कि जब किसी की प्रतिबद्धता रहती है तो वह शख्स सोच समझकर चाल चलता है. ऐसे में अगर उस शख्स के सामने बैनर पोस्टर निकाले जाते हैं तो एक समझदार राजनेता यह समझ जाता है कि उसे किस समय अपनी बात रखनी है और उसे किस समय अपने राजनेता तक पहुंचाना है. इसलिए जब कल मुख्यमंत्री भाषण दे रहे थे और टीएस सिंहदेव को भी यह पता था कि, वह इसे छोड़ कर नहीं आ सकते. राजनीतिक हलकों में यह कयास लगाई जा रही है कि उसी दौरान सिंहदेव ने अपनी बात अपने नेता तक पहुंचा दी है.