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अनुसुइया की नियुक्ति से अटकलें, क्या छत्तीसगढ़ से भी कोई बनेगा राज्यपाल - रमन सिंह

अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाए जाने से यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या छत्तीसगढ़ के किसी वरिष्ठ नेता को भी किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है.

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Published : Jul 18, 2019, 11:04 PM IST

Updated : Jul 19, 2019, 4:42 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नई राज्यपाल के रूप में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की उपाध्यक्ष और राज्यसभा की पूर्व सदस्य अनुसुइया ऊइके की नियुक्ति की गई है. पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा की रहने वाली अनुसुइया को राज्यपाल बनाने के बाद अब छत्तीसगढ़ के भी कई वरिष्ठ नेताओं को दूसरे राज्यों के राज्यपाल बनाए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं.

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राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि छत्तीसगढ़ से कुछ नामों को तवज्जों मिल सकता है. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रहे बलरामजी दास टंडन के निधन के बाद से ही पूर्णकालिक राज्यपाल का पद खाली था. इसके बाद से ही मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को छत्तीसगढ़ राज्य का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था.

एमपी के छिंदवाड़ा की रहने वाली हैं अनुसुइया
हाल ही में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया गया है, क्योंकि वे लंबे समय से सत्ता और संगठन में काम कर रही है. अविभाजित मध्यप्रदेश के दरमियान भी वहछत्तीसगढ़ में खासा दखल रखती थीं, इस लिहाज से छत्तीसगढ़ से उनका पुराना नाता है. छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं ने भी उन्हें बधाई देते हुए कहा है कि 'वह संगठन की वरिष्ठ नेता रही हैं और छत्तीसगढ़ से पूरी तरह से परिचित हैं.

छत्तीसगढ़ के नेताओं का लग सकता है नंबर
मध्य प्रदेश की वरिष्ठ राज्यसभा सदस्य रही अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाने के बाद छत्तीसगढ़ से भी कई वरिष्ठ सांसदों के राज्यपाल बनाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रमेश नैयर कहते हैं कि 'अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान छत्तीसगढ़ संभाग से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को राज्यपाल बनाया गया था और वे उत्तर प्रदेश में एक अच्छे राज्यपाल के रूप में याद किए जाते हैं. अब मध्य प्रदेश से ही अनुसूईया ऊइके को राज्यपाल बनाने के बाद छत्तीसगढ़ के कई वरिष्ठ नेताओं को भी राज्यपाल बनाए जाने की संभावना है.

'कई नेताओं को मिल सकती है तरजीह'
नैयर ने कहा कि 'खासतौर पर बात की जाए तो रायपुर के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय का नाम राज्यपाल बनाने के पैनल में प्रमुखता से देखा जा सकता है.

साय या बैस को मिल सकता है मौका
उन्होंने कहा कि 'जहां नंदकुमार साय संस्कृत के महान ज्ञाता हैं और उन्हें सत्ता और संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है, तो वहीं रमेश बैस भी केंद्रीय मंत्री से लेकर 6 बार के सांसद रहते हुए संसदीय ज्ञान का अच्छा अनुभव रखते हैं. ऐसे में इन दो नेताओं की उपस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को लेकर वे कहते हैं कि 'वे तो 15 सालों तक राज्य सरकार के मुखिया रहे हैं'.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नई राज्यपाल के रूप में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की उपाध्यक्ष और राज्यसभा की पूर्व सदस्य अनुसुइया ऊइके की नियुक्ति की गई है. पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा की रहने वाली अनुसुइया को राज्यपाल बनाने के बाद अब छत्तीसगढ़ के भी कई वरिष्ठ नेताओं को दूसरे राज्यों के राज्यपाल बनाए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं.

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राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि छत्तीसगढ़ से कुछ नामों को तवज्जों मिल सकता है. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रहे बलरामजी दास टंडन के निधन के बाद से ही पूर्णकालिक राज्यपाल का पद खाली था. इसके बाद से ही मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को छत्तीसगढ़ राज्य का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था.

एमपी के छिंदवाड़ा की रहने वाली हैं अनुसुइया
हाल ही में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया गया है, क्योंकि वे लंबे समय से सत्ता और संगठन में काम कर रही है. अविभाजित मध्यप्रदेश के दरमियान भी वहछत्तीसगढ़ में खासा दखल रखती थीं, इस लिहाज से छत्तीसगढ़ से उनका पुराना नाता है. छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं ने भी उन्हें बधाई देते हुए कहा है कि 'वह संगठन की वरिष्ठ नेता रही हैं और छत्तीसगढ़ से पूरी तरह से परिचित हैं.

छत्तीसगढ़ के नेताओं का लग सकता है नंबर
मध्य प्रदेश की वरिष्ठ राज्यसभा सदस्य रही अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाने के बाद छत्तीसगढ़ से भी कई वरिष्ठ सांसदों के राज्यपाल बनाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रमेश नैयर कहते हैं कि 'अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान छत्तीसगढ़ संभाग से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को राज्यपाल बनाया गया था और वे उत्तर प्रदेश में एक अच्छे राज्यपाल के रूप में याद किए जाते हैं. अब मध्य प्रदेश से ही अनुसूईया ऊइके को राज्यपाल बनाने के बाद छत्तीसगढ़ के कई वरिष्ठ नेताओं को भी राज्यपाल बनाए जाने की संभावना है.

'कई नेताओं को मिल सकती है तरजीह'
नैयर ने कहा कि 'खासतौर पर बात की जाए तो रायपुर के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय का नाम राज्यपाल बनाने के पैनल में प्रमुखता से देखा जा सकता है.

साय या बैस को मिल सकता है मौका
उन्होंने कहा कि 'जहां नंदकुमार साय संस्कृत के महान ज्ञाता हैं और उन्हें सत्ता और संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है, तो वहीं रमेश बैस भी केंद्रीय मंत्री से लेकर 6 बार के सांसद रहते हुए संसदीय ज्ञान का अच्छा अनुभव रखते हैं. ऐसे में इन दो नेताओं की उपस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को लेकर वे कहते हैं कि 'वे तो 15 सालों तक राज्य सरकार के मुखिया रहे हैं'.

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(फिड बाईट और पीटीसी लाइव यू से गई है)

छत्तीसगढ़ में नए राज्यपाल के रूप में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की उपाध्यक्ष और राज्यसभा की पूर्व सदस्य अनुसुईया ऊइके की नियुक्ति की गई है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा की रहने वाली अनुसुईया को राज्यपाल बनाने जे बाद अब छत्तीसगढ़ के भी कई वरिष्ठ नेताओं को दूसरे राज्यों के राज्यपाल बनाए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गई है। राजनीतिक विशेषज्ञों ने भी माना है कि छत्तीसगढ़ से कुछ नामो को तवज्जों मिल सकती है। पेश है विशेष रिपोर्ट
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वीओ

एक बार फिर से छत्तीसगढ़ के राज्यपाल की नियुक्ति कर दी गई है, इसमें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष और राज्यसभा के पूर्व सदस्य रही अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया गया है । संगठन में कई सालों तक सेवा देने के बाद उन्हें इस पद से नवाजा गया है। दरअसल छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रहे बलरामजी दास टंडन के निधन के बाद से ही पूर्णकालिक राज्यपाल का पद खाली था । 14 अगस्त 2018 को दिल का दौरा पड़ने से श्री टंडन का निधन हो गया था, इसके बाद से ही मध्य प्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को छत्तीसगढ़ राज्य का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था । अब पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया गया है क्योंकि वह लंबे समय से सत्ता और संगठन में काम कर रही है। अविभाजित मध्यप्रदेश के दरमियान भी छत्तीसगढ़ में काफी बार पहुंची है, इस लिहाज से छत्तीसगढ़ से उनका नाता पुराना है। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं ने भी उन्हें बधाई देते हुए कहा है कि वह संगठन की वरिष्ठ नेता रही है और छत्तीसगढ़ से चित परिचित हैं।

बाइट धरमलाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष, छत्तीसगढ़

वीओ 2

अब मध्य प्रदेश की वरिष्ठ राज्यसभा सदस्य रही अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाने के बाद छत्तीसगढ़ से भी कई वरिष्ठ सांसदों के राज्यपाल बनाने की अटकलें भी तेज हो गई है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रमेश नैयर कहते हैं कि अविभाजित मध्यप्रदेश के दरमियान छत्तीसगढ़ क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को राज्यपाल बनाया गया था और वह उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में एक अच्छे राज्यपाल के रूप में याद किए जाते हैं। अब मध्य प्रदेश से ही अनुसूईया ऊइके को राज्यपाल बनाने के बाद छत्तीसगढ़ के कई वरिष्ठ नेताओं को भी राज्यपाल बनाए जाने की संभावना लग रही है। खासतौर पर बात की जाए तो रायपुर के वरिष्ठ सांसद रहे रमेश बैंस और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय का नाम राज्यपाल बनाने के पैनल में प्रमुखता से देखा जा सकता है। जहां नंदकुमार साय संस्कृत के महान ज्ञाता और सत्ता और संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। वही रमेश बैस भी केंद्रीय मंत्री से लेकर 6 बार के सांसद रहते हुए संसदीय ज्ञान का अच्छा अनुभव रखते हैं। ऐसे में इन दो नेताओं की उपस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को लेकर भी कहते हैं कि वैसे तो वे 15 सालों तक सपा सरकार के मुखिया होने का भरपूर लाभ ले चुके हैं।

बाइट- रमेश नैयर, वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

Conclusion:फाइनल वीओ-

राजनीतिक जीवन में एक अच्छे रिटायरमेंट के लिहाज से राज्यपाल का पद सम्मान जनक माना जाता है। ऐसे में सभी की आकांक्षाएं होती है कि वह इस तरह के पद में सुशोभित हो। ताकि जीवन मे एक इतने बड़े ओहदे का पद जुड़ सके।

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
Last Updated : Jul 19, 2019, 4:42 PM IST
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