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भाजपा सरकार में हुए 1000 करोड़ रुपए के इस घोटाले पर अब बढ़ने लगी है राजनीतिक हलचल - scam during BJP government in chhattisgarh

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान हुए करोड़ों रुपए के घोटाले की आंच पार्टी पर बढ़ने लगी है.

one thousand crore rupees scam
एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला
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Published : Feb 2, 2020, 11:26 AM IST

Updated : Feb 2, 2020, 2:50 PM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए लगभग एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले की आंच पार्टी पर आने लगी है. इस मुद्दे को लेकर जहां कांग्रेस हमलावर है, वहीं भाजपा को रक्षात्मक रुख अपनाने को मजबूर होना पड़ रहा है.

एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला

यह मामला नि:शक्तजन स्त्रोत संस्थान से जुड़ा हुआ है और यह घोटाला रमन सिंह के शासन काल में हुआ है. इस संस्थान के हर जिले में कार्यालय और हर कार्यालय में 18-20 से ज्यादा कर्मचारियों की तैनाती कर लाखों रुपये का वेतन निकाला गया, जबकि कार्यालय कहीं हैं ही नहीं. यह खुलासा एक कर्मचारी की सूझबूझ और सूचना का अधिकार (RTI) कानून के जरिए हुआ है.

संविदा कर्मचारी ने दी मामले की जानकारी

इस घोटाले के खुलासे की कहानी भी रोचक है. रायपुर निवासी कुंदन सिंह समाज कल्याण विभाग के राज्य नि:शक्त जन स्त्रोत संस्थान (फिजिकल रेफरल रिहेब्लिटेशन सेंटर) में संविदा कर्मचारी थे. उन्होंने अपने आपको स्थायी करने के लिए समाज कल्याण विभाग को आवेदन दिया. तब उन्हें यह जानकारी दी गई कि वह समाज कल्याण विभाग के नहीं, बल्कि पीआरआरसी के स्थायी कर्मचारी हैं और उनका नियमित रूप से वहीं से वेतन जारी हो रहा है.

RTI से ली जानकारी

यह पता चलने पर कुंदन ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी ली. तब उन्हें पता चला कि रायपुर में मुख्यालय और सभी जिलों में जिला कार्यालय हैं, जिनमें 18 से 20 कर्मचारी तैनात हैं. बाद में यह खुलासा हुआ कि अधिकारियों ने सांठगांठ कर कर्मचारियों की नियुक्ति कर करोड़ों का घोटाला किया है.

मामले में अधिकारियों के नाम आए सामने

सूत्रों के अनुसार, इस मामले में 12 अधिकारियों के नाम सामने आए हैं, जिनमें सात आईएएस हैं. पीठ ने सुनवाई के बाद 24 अक्टूबर, 2019 को फैसला सुरक्षित रखा था. यह घोटाला जिस समय हुआ, उस समय समाज कल्याण मंत्री रेणुका सिंह थीं, जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं. हाल ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत के दौरान इस मामले में रेणुका से जवाब मांगा था.

ज्ञात हो कि पीआरआरसी की स्थापना नि:शक्त लोगों के लिए उपकरण बनाने और उपलब्ध कराने के नाम पर की गई थी, मगर इस संस्थान ने फर्जी कर्मचारियों के नाम पर वेतन का भुगतान कर बड़ा घोटाला किया.

खाओ और खाने दो का आरोप

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, "15 साल रमन सरकार का नारा रहा कि खाओ और खाने दो. जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए कहते थे कि न खाऊंगा न खाने दूंगा. भ्रष्टाचार, घोटाले और कमीशनखोरी के रमन सिंह सरकार के 15 साल छत्तीसगढ़ कभी नहीं भूलेगा. NGO के माध्यम से प्रदेश के लाखों करोड़ रुपए सरकार ने बर्बाद कर दिए. अभी ऐसे कई मामले निकलेंगे."

अधिकारियों की बताई गई गड़बड़ी

वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता केदार गुप्ता का कहना है कि जिन अधिकारियों ने गड़बड़ी की है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. इससे रमन सिंह सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. वहीं इस मामले पर केंद्रीय राज्य मंत्री और तत्कालीन रमन सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं रेणुका ने कहा है कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. यह मामला उनके कार्यकाल खत्म होने के बाद का है.

रायपुरः छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए लगभग एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले की आंच पार्टी पर आने लगी है. इस मुद्दे को लेकर जहां कांग्रेस हमलावर है, वहीं भाजपा को रक्षात्मक रुख अपनाने को मजबूर होना पड़ रहा है.

एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला

यह मामला नि:शक्तजन स्त्रोत संस्थान से जुड़ा हुआ है और यह घोटाला रमन सिंह के शासन काल में हुआ है. इस संस्थान के हर जिले में कार्यालय और हर कार्यालय में 18-20 से ज्यादा कर्मचारियों की तैनाती कर लाखों रुपये का वेतन निकाला गया, जबकि कार्यालय कहीं हैं ही नहीं. यह खुलासा एक कर्मचारी की सूझबूझ और सूचना का अधिकार (RTI) कानून के जरिए हुआ है.

संविदा कर्मचारी ने दी मामले की जानकारी

इस घोटाले के खुलासे की कहानी भी रोचक है. रायपुर निवासी कुंदन सिंह समाज कल्याण विभाग के राज्य नि:शक्त जन स्त्रोत संस्थान (फिजिकल रेफरल रिहेब्लिटेशन सेंटर) में संविदा कर्मचारी थे. उन्होंने अपने आपको स्थायी करने के लिए समाज कल्याण विभाग को आवेदन दिया. तब उन्हें यह जानकारी दी गई कि वह समाज कल्याण विभाग के नहीं, बल्कि पीआरआरसी के स्थायी कर्मचारी हैं और उनका नियमित रूप से वहीं से वेतन जारी हो रहा है.

RTI से ली जानकारी

यह पता चलने पर कुंदन ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी ली. तब उन्हें पता चला कि रायपुर में मुख्यालय और सभी जिलों में जिला कार्यालय हैं, जिनमें 18 से 20 कर्मचारी तैनात हैं. बाद में यह खुलासा हुआ कि अधिकारियों ने सांठगांठ कर कर्मचारियों की नियुक्ति कर करोड़ों का घोटाला किया है.

मामले में अधिकारियों के नाम आए सामने

सूत्रों के अनुसार, इस मामले में 12 अधिकारियों के नाम सामने आए हैं, जिनमें सात आईएएस हैं. पीठ ने सुनवाई के बाद 24 अक्टूबर, 2019 को फैसला सुरक्षित रखा था. यह घोटाला जिस समय हुआ, उस समय समाज कल्याण मंत्री रेणुका सिंह थीं, जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं. हाल ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत के दौरान इस मामले में रेणुका से जवाब मांगा था.

ज्ञात हो कि पीआरआरसी की स्थापना नि:शक्त लोगों के लिए उपकरण बनाने और उपलब्ध कराने के नाम पर की गई थी, मगर इस संस्थान ने फर्जी कर्मचारियों के नाम पर वेतन का भुगतान कर बड़ा घोटाला किया.

खाओ और खाने दो का आरोप

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, "15 साल रमन सरकार का नारा रहा कि खाओ और खाने दो. जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए कहते थे कि न खाऊंगा न खाने दूंगा. भ्रष्टाचार, घोटाले और कमीशनखोरी के रमन सिंह सरकार के 15 साल छत्तीसगढ़ कभी नहीं भूलेगा. NGO के माध्यम से प्रदेश के लाखों करोड़ रुपए सरकार ने बर्बाद कर दिए. अभी ऐसे कई मामले निकलेंगे."

अधिकारियों की बताई गई गड़बड़ी

वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता केदार गुप्ता का कहना है कि जिन अधिकारियों ने गड़बड़ी की है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. इससे रमन सिंह सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. वहीं इस मामले पर केंद्रीय राज्य मंत्री और तत्कालीन रमन सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं रेणुका ने कहा है कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. यह मामला उनके कार्यकाल खत्म होने के बाद का है.

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1000 cr scam


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Last Updated : Feb 2, 2020, 2:50 PM IST
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