रायपुर : कथित सेक्स सीडी मामले में घिर चुके भाजपा नेता और पूर्व मंत्री राजेश मूणत एपिसोड (Political tussle in Chhattisgarh from Rajesh Munat episode) के बाद छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. मूणत केस के बहाने भाजपा के दिग्गज एकजुट भी नजर आए और विधानसभा थाने में पहुंचकर अपनी मौजूदगी भी दर्ज कराई. हालांकि लता मंगेशकर के निधन पर बंद नहीं बुलाने की बात कहकर इस मुद्दे को थोड़ा विराम भी दिया गया है. फिर भी राजेश मूणत के इस एपिसोड के जरिए लंबे समय बाद बीजेपी एक्शन मोड में भी दिखी.
मूणत के आरोप पर किसी को नहीं हो रहा विश्वास!
हालांकि राजेश मूणत ने पुलिसकर्मियों पर जो आरोप लगाए हैं, उस पर किसी को सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा है. मूणत ने आरोप लगाया है कि पुलिस वालों ने उनके साथ मारपीट की और उनसे अभद्रता की. यह बात लोगों को हजम नहीं हो रही है. 15 साल भाजपा सरकार में मंत्री रहे राजेश मूणत के साथ कोई थाना प्रभारी या फिर कॉन्स्टेबल जैसा पुलिसकर्मी मारपीट भी कर सकता है, इस तरह के आरोप के पीछे कई तरह के कयास लग रहे हैं. इसी बीच यह बात भी सामने आ रही है कि राजेश मूणत द्वारा पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को दी गई गाली के मामले को दबाने के लिए मारपीट का आरोप लगाया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओ ने अपने हाईकमान से पूर्व मंत्री राजेश मूणत को लेकर शिकायत भी की है.
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मंत्री के बर्ताव पर सबकी राय अलग-अलग
बता दें कि पूर्व मंत्री के बर्ताव को लेकर जानकारों की अलग-अलग राय है. अपने इसी आक्रामक व्यवहार के चलते राजेश मूणत को अपना विधानसभा क्षेत्र भी खोना पड़ा है. जबकि विकास के मामले में उनका क्षेत्र सबसे आगे था. आखिर इस पूरी घटना के पीछे क्या कारण है? इसके क्या सियासी मायने हैं? ईटीवी भारत ने इसको जानने की कोशिश की. इसको लेकर ईटीवी भारत ने पक्ष-विपक्ष सहित राजनीति के जानकारों से चर्चा की. आइए जानते हैं इस मामले पर उनकी राय क्या है.
कांग्रेस सरकार में हो रही अति : उपासने
भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि इस सरकार में अति हो रही है. लगातार इस सरकार में घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं. चाहे कवर्धा का मामला हो, पत्रकारों के साथ मारपीट हो या फिर रेत माफिया और शराब माफियाओं का सक्रिय होना. कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ में आतंक स्थापित कर रही है. लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने की दिशा में यह सरकार लगातार बढ़ रही है. जब श्रीराम के बारे में अपशब्द कहे जाते हैं तो उन पर कार्रवाई नहीं होती. गांधीजी को लेकर कुछ कहा जाता है तो राष्ट्रद्रोह का मामला दायर किया जाता है. महीनों जेल में प्रताड़ित किया जाता है, जब अति हो जाती है तो आक्रोश की अभिव्यक्ति देखने को मिलती है.
छत्तीसगढ़ में आक्रोश और चिढ़ का माहौल बनाने की कोशिश कर रही सरकार
सच्चिदानंद उपासने ने यह भी कहा कि अगर आप कार्यकर्ताओं को डंडे से मारेंगे, अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाएंगे और प्रदर्शन के अधिकार छीनेंगे तो इस तरह की अभिव्यक्ति आक्रोश के रूप में देखने को मिलती ही है. कांग्रेस इसको बढ़ावा देने का काम कर रही है. अगर कोई अपराधी है तो वह कांग्रेस पार्टी है, उसके कार्यकर्ता और नेता हैं. कांग्रेस छत्तीसगढ़ में आक्रोश और चिढ़ाने का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस द्वारा जो श्रद्धा के केंद्र हैं, उन पर कहीं न कहीं टिप्पणी की जा रही है. आदर्श नेताओं पर टिप्पणियां की जा रही है तो यह आक्रोश देखने को मिलता है. इसका यह मतलब नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता टकराहट के मूड में हैं.
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राजेश मूणत पर एससी-एसटी के तहत होनी चाहिए कार्रवाई : गुरु रुद्र कुमार
वहीं मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि दो दिन पहले जो घटना हुई, वह मेरे ही बंगले के सामने हुई. हमसे मिलने के लिए मेरे प्रभारी जिला क्षेत्र मुंगेली के कुछ बच्चे अपनी समस्या लेकर आए हुए थे. मैंने उनकी समस्या सुनी और जल्द समाधान का आश्वासन दिया. फिर बच्चे बंगले से बाहर निकले. उसी दौरान केंद्रीय मंत्री का काफिला वहां से गुजर रहा था. इस कारण बच्चे बंगले के बाहर थोड़ी देर रुक गए. जैसे ही काफिला रोड के दूसरी तरफ पहुंचा, भाजपा कार्यकर्ता डिवाइडर कूदकर दौड़ते आए और उन बच्चों को मारना शुरू कर दिया. यह कहकर कि उनलोगों ने क्यों काला कपड़ा पहना हुआ है. अब काला कपड़ा पहनना कोई गुनाह तो नहीं है. बच्चे मुझसे मिलने आए थे. उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि रायपुर में कौन आने वाला है. जिस तरीके से गाली-गलौज राजेश मूणत ने की है, उनपर एससी-एसटी एक्ट के तहत आगे कार्रवाई हो ऐसी मैं उम्मीद करता हूं.
मूणत के इसी व्यवहार के चलते विधानसभा में मिली थी हार : रामअवतार
वहीं इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोग चाहे वो राजनेता हों, सरकारी कर्मचारी हों, पत्रकार हों या अधिकारी हों, हर किसी की अपनी एक मर्यादा है. भारतीय संस्कृति के अनुसार अदब और सम्मान देते हुए किसी से व्यवहार करेंगे तभी आप सम्मान पा सकेंगे. राजेश मूणत के व्यवहार को लेकर चर्चाएं तो बहुत हो रही हैं. वह कितने में दोषी हैं, कितने में नहीं इसपर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है. जो लोग निजी जीवन में सरल और शालीन होते हैं, वही आईकॉन बनते हैं.
विरोध हिंसक हो या अहिंसक, राजनीतिक दल और नेता लें यह निर्णय...
वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी के मुताबिक जहां तक दो दिन पुरानी घटना का सवाल है तो पुलिस के साथ जिस तरह की घटना हुई है, उसे अच्छा तो नहीं कहा जा सकता. लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का हक है. विरोध का स्वरूप हिंसक रूप में हो या अहिंसक रूप में, इसका निर्णय राजनीतिक दल और नेताओं को लेना चाहिए. दो दिन पहले हुई घटना का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है. इसपर सभी की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं. यह वायरल वीडियो एडिटेड है या सही वीडियो है, इसकी भी जांच होनी चाहिए. विधानसभा चुनाव में राजेश मूणत की हार का कारण उनका व्यवहार है. उनकी कार्यप्रणाली है. उनसे लोग आहत होते हैं. स्वाभिमानी किस्म के जो आदमी होते हैं, वह राजेश मूणत से मिलने में थोड़ा हिचकिचाते हैं. निजी जीवन में कोई व्यक्ति अगर मर्यादित हो तो वह ज्यादा अच्छा रहता है.