रायपुर: छत्तीसगढ़ में मानसूनी बारिश का मौसम शुरू हो गया है. इस समय प्रदेश के किसान अपने खेती-किसानी के कामों में व्यस्त हो जाते हैं. बारिश के मौसम में खेती के साथ ही वन वृक्षों और उद्यान रोपण का भी उपयुक्त समय होता है. वर्षा आधारित वनवृक्ष और उद्यान रोपण का सही समय जुलाई और अगस्त के महीने को माना जाता है, क्योंकि इसी समय अच्छी बारिश होती है. जिन किसानों को उद्यान की स्थापना करनी है, उन्हें आम, नींबू, अनार और चीकू सहित अन्य फलों की फसल (Plant Rainfed Forest Trees and Gardens) लगानी चहिए है. अन्य मौसम की तुलना में बारिश का मौसम इनकी फसलों के लिए उपयुक्त होता है. वन वृक्षों के साथ ही उद्यान रोपण करते समय किसानों को किस्मों के हिसाब से वृक्षों की दूरियां और गड्ढे की खुदाई करनी चाहिए. आइए इन फसलों के बारे में फल वैज्ञानिक क्या कहते हैं, विस्तार से जानते हैं.
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बहुवर्षीय वृक्ष की अधिकतम दूरी 6 मीटर होनी चाहिए: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के फल वैज्ञानिक डॉ घनश्याम दास साहू बताते हैं कि "बहुवर्षीय पौधों का वृक्षारोपण करते समय इस बात का ध्यान रखना होता है कि कतार से कतार की अधिकतम दूरी 6 मीटर की हो और एक पौधे से दूसरी पौधे की दूरी भी 6 मीटर होनी चाहिए. किसान अगर चाहे तो खेत कम होने पर सघन बागवानी भी कर सकते हैं. ऐसे में किसान एक से 2 मीटर की दूरी पर एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी रखकर वृक्षारोपण (Plant Rainfed Forest Trees and Gardens) कर सकते हैं."
किसान आंवला, बेल और करोंदा का बीजारोपण करें: वन वृक्षों जैसे साल, सागौन, बहुगुणी चंदन, आंवला, चिरौंजी, तेंदू जैसे वृक्ष को लगाते समय जुलाई महीने में बीज डालना चहिए. जिससे आने वाले लगभग 8 सालों में इमारती लकड़ी तैयार होती है. दूसरे अन्य फल भी ले सकते हैं. बारिश के समय में किसान अपने खेतों के मेढ़, बंजर जमीन पर भी वृक्षारोपण कर सकते हैं. भाठा जमीन के लिए आंवला, बेल और करोंदा का बीजारोपण भी कर सकते हैं.