रायपुरः श्राद्ध (Shradh) खासतौर में तीन पीढ़ियों तक के पितरों का किया जाता है. पितृपक्ष (Pitru Paksha) में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है. साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है.
षष्ठी श्राद्ध (Shashthi Shradh)
षष्ठी तिथि का श्राद्ध 27 सितंबर को किया जायेगा. हालांकि श्राद्ध दोपहर के समय किया जाता है और 26 तारीख की दोपहर 1 बजकर 4 मिनट तक पंचमी तिथि रहेगी.उसके बाद षष्ठी तिथि शुरू हो जायेगी. जो 27 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. लिहाजा षष्ठी तिथि का श्राद्ध 27 सितंबर को ही किया जायेगा. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को हुआ हो. इस दिन श्राद्ध करने वाला व्यक्ति सब जगह सम्मान पाने का हकदार होता है.
इस तरह करें पितरों की पूजा
- पितरों के लिए घी का दीप जलाएं, चंदन की धूप जलाएं. पितरों का पूजन करें.देवताओं को सफेद फूल, सफेद तिल, तुलसी पत्र समर्पित करें.
- गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ मिश्रित जल की जलांजलि दें. इसके लिए एक भगोने में जल ले लें और यज्ञोपवित धारण करके तर्पण करें.
- पहले पूर्वाभिमुख होकर देवताओं को, उत्तर में मुख करके देवताओं को और दक्षिण में मुख करके पितरों को तर्पण करें. पिंडदान के साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है.
- सामान्य विधि के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है.
- पिंड बनाने के बाद हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् व जल लेकर संकल्प करें. इसके बाद इस मंत्र को पढ़े. “ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।'.
- इसके बाद पंचबलि अर्थात गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म जरूर करें.अर्थात इन सभी के लिए विशेष मंत्र बोलते हुए भोजन सामग्री निकालकर उन्हें ग्रहण कराई जाती है.
- अंत में चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालने के बाद ही भोजन के लिए थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसा जाए. षष्ठी श्राद्ध में 6 ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए.
- इस दिन जमाई, भांजे, मामा, नाती और कुल खानदान के सभी लोगों को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा जरूर दें.
- गरुड़ पुराण के अनुसार श्राद्ध करने से पूरे कुल में कोई दु:खी नहीं रहता. षष्ठी का श्राद्ध विधिवतरूप से करने से सभी तरह के कार्य सफल होते हैं.