रायपुरः पितृपक्ष (Pitru paksh) के हर दिन का एक अलग ही महत्व होता है. हर तिथि खास (specific) होती है. भले ही इस पक्ष में कोई शुभ काम न हो लेकिन लोग इस पक्ष में जमकर दान और ब्राह्मण भोजन (Brahmin food) के साथ कौवों और गायों को भोजन (Food for crows and cows) कराते हैं. इस पक्ष (Paksh) में जो हमारे पूर्वज मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं, उनके लिए पूजा, दान और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है. कहते हैं कि ऐसा करने से पितरों को तृप्ति (Pitron ko tripti) मिलती है.
गुरुवार को नवमी श्राद्ध (Nawami sradh) यानी कि मातृ नवमी
पितृ पक्ष में नवमी तिथि पर दिवंगत माता के लिए श्राद्ध एवं तर्पण (Shradh and Tarpan) का विधान है. यह नवमी इसलिए खास है क्योंकि इस दिन परिवार की सभी महिलाओं की पूजा की जाती है और उनके नाम से श्राद्ध (Sradh) भोज भी किया जाता है, जिनकी मृत्यु इस तिथि को हुई थी. हालांकि कई लोग अगर कोई पुरुष इस तिथि को मृत्यु को प्राप्त हुआ हो, तो उनका श्राद्ध इस दिन करते हैं.
अगर सुहागिन महिला की मृत्यु की तिथि मालूम न हो तो
कहते हैं कि अगर किसी सुहागिन महिला की मृत्यु की तिथि मालूम न हो तो उसका श्राद्ध (Sradh) पितृ पक्ष (Pitru paksh) की नवमी तिथि पर कर सकते हैं. वहीं, इस बार नवमी गुरुवार को यानी कि 30 सितंबर को है. दरअसल, नवमी तिथि 29 सितंबर को रात्रि 8 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 30 सितंबर को रात्रि 10 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो रही है. तिथि की गणना सूर्योदय से होने के कारण मातृ नवमी का श्राद्ध (Navami Shradh) कर्म 30 सितंबर, दिन गुरूवार को किया जाएगा. इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से सुहागिन अवस्था में मृत हुई महिलाओं की आत्मा को शांति मिल सकती है.
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ये हैं कुछ खास उपाय...
- इस दिन किसी सुहागिन ब्राह्मण स्त्री को अपने घर पर ससम्मान भोजन पर बुलाकर कुतप काल में श्राद्ध विधि संपन्न कर उस महिला को उसकी रूचि के अनुसार भोजन करवाना चाहिए भोजन में खीर अवश्य होनी चाहिए. इसके बाद महिला को सुहाग की सामग्री जैसे कुंकुम, टिका, मेहंदी के साथ लाल वस्त्रों का दान करना चाहिए.
- अगर विधि-विधान से श्राद्ध न कर पाएं तो अंगार पर घी-गुड़ की आहुति दें और बोलें- ऊं मातृ देवताभ्यो नम:.
- इस दिन गाय को हरा चारा खिलाएं और मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना भी करें.
- संभव हो तो इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाएं.
- महिलाओं को कुछ वस्त्र आदि का दान करें.
- अगर घर पर किसी सुहागिन ब्राह्मण महिला न आए तो उसके घर पर भोजन सामग्री जैसे तेल, घी, दाल, चावल, आदि चीजें भिजवाएं. साथ ही सुहाग की सामग्री भी.
- इस दिन सुबह किसी नदी या तालाब में स्नान करें और सूर्यदेवता को अर्घ्य देते हुए मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करें.
- श्राद्ध की नवमी तिथि पर परिवार की बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार कुछ उपहार भेंट करें.
- इस दिन विवाहित बहन और बेटी को घर पर सपरिवार भोजन के लिए आमंत्रित करें और उन्हें भी वस्त्र आदि देकर ससम्मान विदा करें.
- इस दिन इन सभी उपायों को करने से पितरों को न सिर्फ तृप्ति प्राप्त होती है, बल्कि घर में सुख शांति बनी रहती है.