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बुजुर्ग ही नहीं हर उम्र के लोगों को होती है कम सुनने की समस्या, जानिए चिकित्सक की राय - ईएनटी स्पेशलिस्ट राकेश गुप्ता

People of all ages have hearing loss problems: आज के समय में हर उम्र के लोगों में कम सुनने की समस्या है. जिसके बारे में विस्तार से जानने के लिए ईटीवी भारत ने ईएनटी स्पेशलिस्ट राकेश गुप्ता से बातचीत की. विस्तृत जानकारी के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

People of all ages have low hearing problems
हर उम्र के लोगों को होती है कम सुनने की समस्या
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Published : Feb 12, 2022, 3:44 PM IST

Updated : Feb 12, 2022, 4:33 PM IST

रायपुर: आमतौर पर बुजुर्गों में कम सुनाई देने की शिकायत होती थी. लेकिन सुनाई कम देने की समस्या अन्य आयु वर्ग के लोगों में भी आमतौर पर देखने को मिल रही है. जिसके पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं. बीमारी भी एक वजह है. तेज शोर सुनने से भी सुनाई कम देने लगता है. इस समस्या को लेकर ईएनटी स्पेशलिस्ट राकेश गुप्ता (ENT specialist Rakesh Gupta) से ईटीवी भारत ने बातचीत की. आइए जानते हैं उनका इस विषय में क्या कहना है.

ईएनटी स्पेशलिस्ट राकेश गुप्ता

यह भी पढ़ें: Dog terror in raipur: रायपुर में कुत्तों का आतंक, लगातार बढ़ रही डॉग बाइट्स की घटनाएं

कानों में मवाद हो सकता है कारण

बुजुर्गों या फिर अन्य आयु वर्ग के लोगों में सुनाई कम देने की समस्या को लेकर ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश गुप्ता का कहना है कि सुनाई कम देने के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं. कान का बहना, कान से मवाद निकलना, कान के परदे में छेद या सुराग हो जाने से कान बहना शुरू हो जाता है. यह आबादी के 8 से 10 फीसद लोगों में होता है. निम्न आयु वर्ग के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उनमें इस तरह की समस्या अधिक दिखाई देती है. वह सुनाई कम देने के शिकार हो जाते हैं. बुजुर्गों में अक्सर देखा जाता है कि सुनाई देने वाली नस में कमजोरियों के साथ ही दूसरे तरह की बीमारी के कारण तेज शोर और अत्यधिक दवा के सेवन से भी यह समस्या देखने को मिलती है.

डीजे साउंड से होती है समस्या

अलग-अलग बीमारियों के कारण वर्तमान में हर आयु वर्ग के लोगों में सुनाई कम देने की समस्या देखने को मिल रही है. सावधानी के साथ इसका इलाज संभव है. कान हमेशा के लिए सुरक्षित और सेफ रहेंगे और कानों में सुनाई भी बराबर देगा. हेडफोन लगाने, मोबाइल का लगातार इस्तेमाल करने जैसी चीजों से कान प्रभावित होता है. कान संवेदनशील होता है. उच्च आवृत्ति की तेज ध्वनि सुनने से भी कानों पर इसका सीधा असर पड़ता है. किसी भी त्योहार या पर्व के समय डीजे की आवाज लंबे समय तक सुनने के कारण भी कानों पर इसका असर पड़ता है.

यह भी पढ़ें: Big negligence of Korba health department: रेफरल रैकेट की बलि चढ़ी पहाड़ी कोरवा आदिवासी महिला ने तोड़ा दम, ये है पूरा मामला

डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए

ईएनटी स्पेशलिस्ट ने बताया कि कान और आंख दोनों ही संवेदनशील हैं. दोनों की सफाई भी जरूरी है. ऐसे में कई बातों का भी ध्यान रखना होता है. कई बार कान में जमे कचरे या मैल को साफ करते समय सावधानी बरतनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इससे भी सुनाई देने की क्षमता कम हो जाती है. कान को साफ करने के लिए कॉटन का उपयोग नहीं करना चाहिए. साल में दो बार डॉक्टर की सलाह से कान में दवा डालने से मैल गीला होकर कान से बाहर निकल आता है.

ये भी हो सकती है बड़ी समस्या

कभी-कभी संक्रमण के कारण भी कान की हड्डी गल जाती है, जिसके कारण कान के पर्दे में सुराग हो जाता है. ऐसे में इसका आसान ऑपरेशन होता है. इससे आसानी से बचा जा सकता है. लगातार किसी के कान से बदबूदार पदार्थ के साथ ही मवाद या इंफेक्शन होता है तो यह एक गंभीर समस्या है. ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.

रायपुर: आमतौर पर बुजुर्गों में कम सुनाई देने की शिकायत होती थी. लेकिन सुनाई कम देने की समस्या अन्य आयु वर्ग के लोगों में भी आमतौर पर देखने को मिल रही है. जिसके पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं. बीमारी भी एक वजह है. तेज शोर सुनने से भी सुनाई कम देने लगता है. इस समस्या को लेकर ईएनटी स्पेशलिस्ट राकेश गुप्ता (ENT specialist Rakesh Gupta) से ईटीवी भारत ने बातचीत की. आइए जानते हैं उनका इस विषय में क्या कहना है.

ईएनटी स्पेशलिस्ट राकेश गुप्ता

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कानों में मवाद हो सकता है कारण

बुजुर्गों या फिर अन्य आयु वर्ग के लोगों में सुनाई कम देने की समस्या को लेकर ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश गुप्ता का कहना है कि सुनाई कम देने के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं. कान का बहना, कान से मवाद निकलना, कान के परदे में छेद या सुराग हो जाने से कान बहना शुरू हो जाता है. यह आबादी के 8 से 10 फीसद लोगों में होता है. निम्न आयु वर्ग के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उनमें इस तरह की समस्या अधिक दिखाई देती है. वह सुनाई कम देने के शिकार हो जाते हैं. बुजुर्गों में अक्सर देखा जाता है कि सुनाई देने वाली नस में कमजोरियों के साथ ही दूसरे तरह की बीमारी के कारण तेज शोर और अत्यधिक दवा के सेवन से भी यह समस्या देखने को मिलती है.

डीजे साउंड से होती है समस्या

अलग-अलग बीमारियों के कारण वर्तमान में हर आयु वर्ग के लोगों में सुनाई कम देने की समस्या देखने को मिल रही है. सावधानी के साथ इसका इलाज संभव है. कान हमेशा के लिए सुरक्षित और सेफ रहेंगे और कानों में सुनाई भी बराबर देगा. हेडफोन लगाने, मोबाइल का लगातार इस्तेमाल करने जैसी चीजों से कान प्रभावित होता है. कान संवेदनशील होता है. उच्च आवृत्ति की तेज ध्वनि सुनने से भी कानों पर इसका सीधा असर पड़ता है. किसी भी त्योहार या पर्व के समय डीजे की आवाज लंबे समय तक सुनने के कारण भी कानों पर इसका असर पड़ता है.

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डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए

ईएनटी स्पेशलिस्ट ने बताया कि कान और आंख दोनों ही संवेदनशील हैं. दोनों की सफाई भी जरूरी है. ऐसे में कई बातों का भी ध्यान रखना होता है. कई बार कान में जमे कचरे या मैल को साफ करते समय सावधानी बरतनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इससे भी सुनाई देने की क्षमता कम हो जाती है. कान को साफ करने के लिए कॉटन का उपयोग नहीं करना चाहिए. साल में दो बार डॉक्टर की सलाह से कान में दवा डालने से मैल गीला होकर कान से बाहर निकल आता है.

ये भी हो सकती है बड़ी समस्या

कभी-कभी संक्रमण के कारण भी कान की हड्डी गल जाती है, जिसके कारण कान के पर्दे में सुराग हो जाता है. ऐसे में इसका आसान ऑपरेशन होता है. इससे आसानी से बचा जा सकता है. लगातार किसी के कान से बदबूदार पदार्थ के साथ ही मवाद या इंफेक्शन होता है तो यह एक गंभीर समस्या है. ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.

Last Updated : Feb 12, 2022, 4:33 PM IST
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