रायपुर: कोरोना संक्रमण की वजह से सामान्य जन जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं त्योहारों पर भी इसका असर देखने को मिला है. देशभर में ईद आज मनाई जा रही है. लेकिन पहले के मुकाबले इस बार इसका रंग फीका पड़ गया है. कोरोना संक्रमण के दौरान छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में ईद मनाने के लिए प्रशासन ने कुछ गाइडलाइन जारी की थी. जिसमें ईदगाह में नमाज अदा करने की मंजूरी नहीं दी गई है. मस्जिदों में भी सिर्फ एक समय में पांच लोगों को नमाज अदा करने करने की अनुमति है. जिसे देखते हुए लोगों ने घरों में ही नमाज अदा की और ईद मनाई.
ईद के मौके पर ETV भारत ने लोगों से बातचीत की. मोनीश रजा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण लोगों ने अपने-अपने घरों में नामज अदा की है. उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक घरों में ईद की नमाज अदा की गई और दुआ की गई कि जल्द से जल्द इस महामारी से लोगों को निजात मिले. घरों में नमाज पढ़ने के साथ आपस में ही सेवई खाकर ईद मनाई जा रही है.
पिछले दो साल से खत्म हो गया उत्साह
गुलाम मुस्तफा ने बताया कि पिछले 2 साल से उत्साह खत्म हो गया है. ईद के अलावा हर त्यौहार का उत्साह कम है. हिंदुस्तान में इस संक्रमण को देखते हुए जारी किए गए निर्देशों का पालन किया जा रहा है. इसे देखते हुए घरों में ही ईद की नामज अदा की गई है. दुआ की गई कि जल्द से जल्द इस महामारी से छुटकारा दिलाया जाए और पूरी दुनिया में खुशहाली वापस लौटे.
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पुराने कपड़ो में मनाई गई ईद
गुलाम मुस्तफा ने मिराज फैजाबादी का शेर पढ़ते हुए कहा कि "कल अगर ईद का दिन होगा तो क्या पहनेंगे, चांद से कह दो कि हम तैयार नहीं हैं." अभी ऐसे हालात हैं कि चांद देखने के बाद भी हमने ईद नहीं मनाई. इस बार बच्चों ने भी पुराने कपड़ो के साथ ही ईद मनाई है.
पवित्र त्यौहार है ईद
मौलाना मो. अली फारूकी ने बताया कि ईद का त्यौहार बेहद पवित्र त्यौहार है. रमजान के महीने में रात भर इबादत किया जाता है और दिन में रोजा रखा जाता है. 30 दिनों बाद ईद का त्यौहार आता है. उन्होंने बताया कि ईद के दिन ईदगाह में नमाज पढ़ी जाती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार घरों में ही नमाज अदा की गई है. सभी को अपने घरों में अपने परिवार के साथ नमाज अदा करने के लिए कहा गया है.