रायपुर : छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव है.कांग्रेस चाहती है कि एक बार फिर वो सत्ता में काबिज हो. इसके लिए वो अभी से तैयारी कर रही है. इसी तैयारी को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने संगठन बदलाव को लेकर जोर दिया है. जिसमें उन्होंने रजामंदी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी चर्चा की है. लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व ने अभी तक छत्तीसगढ़ में संगठन बदलाव को लेकर कोई संकेत नहीं दिए हैं.
सीएम भूपेश क्यों चाहते हैं परिवर्तन : यदि हम कांग्रेस शासन के पिछले चार सालों को देखें तो आपको इस परिवर्तन की वजह साफ दिखेगी. प्रदेश में स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव और सीएम भूपेश बघेल के बीच रह रहकर अनबन की खबरें आती रहती हैं. वहीं पिछले कुछ महीनों से पीसीसी चीफ मोहन मरकाम और टीएस सिंहदेव की नजदीकियां बढ़ी हैं. ऐसे में सीएम भूपेश ये नहीं चाहते कि आने वाले चुनाव में उनके खिलाफ नाराजगी का असर चुनाव पर पड़े.लिहाजा वो आने वाले चुनाव में अपनी टीम उतारना चाहते हैं.ताकि संगठन में कोई भी अंतर्विरोध ना रहे.लिहाजा पीसीसी चीफ मोहन मरकाम का कार्यकाल पूरा हो चुका है.इसलिए सीएम भूपेश के पास एक मौका है कि प्रदेश में किसी और को संगठन की कमान सौंपी जाए.लेकिन ये निर्णय आलाकमान ही करेगा.
मोहन मरकाम को हटाने से क्या होगा असर : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार शशांक शर्मा मानते हैं कि ''इस साल प्रदेश में चुनाव है.आदिवासी समाज का एक बड़ा वोट बैंक है जो चुनाव पर असर डालता है. ऐसे में चुनाव से पहले एक आदिवासी लीडर जिसने संगठन को अच्छे से संभाला है.यदि उन्हें हटाया जाएगा तो इसका नकारात्मक असर संगठन के साथ-साथ पार्टी पर भी पड़ेगा. इसलिए ये भी मुमकिन है कि आने वाले दिनों में उन्हें दोबारा पीसीसी की कमान सौंप दी जाए.
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मोहन मरकाम के बाद कौन बन सकता है अध्यक्ष : सूत्रों की माने तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस में ऐसे कई नाम है जो पीसीसी चीफ की रेस में आगे चल रहे हैं. इसमें सबसे पहला नाम मंत्री अमरजीत भगत का है. जो सीएम भूपेश के करीबी माने जाते हैं.वहीं दूसरा नाम आबकारी मंत्री कवासी लखमा का है.कवासी लखमा बस्तर के प्रभारी मंत्री के साथ-साथ आदिवासियों के बीच काफी लोकप्रिय भी हैं. वहीं पार्टी के अंदर रामपुकार सिंह और खेलसाय सिंह का भी नाम चल रहा है.