बस्तर: नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टियां जी जान से जुटी हैं. पार्टियों का प्रचार अपने शबाब पर है. नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सभी दलों के नेता घूम घूमकर प्रचार कर रहे हैं. ऐसे में नक्सली संगठन चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं. पूर्व में चुनावों के दौरान माओवादियों ने खूनी खेल खेला था. कई नेताओं और कार्यकर्ताों की नक्सलियों ने हत्या तक कर दी थी. हिंसक गतिविधियों को रोकने के लिए बस्तर पुलिस ने सभी जनप्रतिनिधियों के लिए गाइड लाइन जारी की है.
जनप्रतिनिधियों को मिले सुरक्षा: बस्तर पुलिस ने गाइडलाइन जारी करते हुए सुरक्षा के खास इंतजाम स्थानीय पुलिस को करने के लिए कहा है. इसके साथ ही पार्टी के नेताओं को नक्सल प्रभावित इलाकों में प्रचार पर निकलने से पहले खास सतर्कता बरतने के भी निर्देश दिए हैं. पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के जुड़े जनप्रतिनिधियों को नक्सलियों ने निशाना बनाया था. नक्सलियों के हमले में कई बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं. बस्तर आईजी सुरंदरराज पी ने कहा है कि जनप्रतिनिधियों को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.
माओवादियों के खिलाफ जिस तरह से एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया जा रहा है उससे नक्सली बौखलाए हुए हैं. इसी बौखलाहट में वो पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को निशाना बना रहे हैं. भोले भाले ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं. बीते 2 सालों में 8 जनप्रतिनिधियों की हत्या की जा चुकी है. हम जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. चिन्हित जनप्रतिनिधियों को जरुरत के हिसाब से सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं. सुरक्षा की मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं. खतरे के हिसाब से नेताओं को X,Y और Z कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की गई है - सुंदरराज पी, बस्तर आईजी
बुलेट पर भारी पड़ता है बैलेट: दशकों से नक्सल प्रभावित बस्तर में नक्सली चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करते रहे हैं. बावजूद इसके बुलेट पर बैलेट हमेशा भारी पड़ा है. नक्सली इस बात से भी ज्यादा दुखी रहते हैं कि चुनाव में ग्रामीण बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, अपने वोट का इस्तेमाल करते हैं. बस्तर आईजी की मानें तो इस बार पुलिस सुरक्षा के तमाम उपायों को अपना रही है जिससे जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हो.