रायपुर: छत्तीसगढ़ में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. प्रदेश में रोजाना मौत के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना संक्रमण से ठीक होकर घर जाने वाले मरीजों में भी कई गंभीर बीमारियां सामने आ रही है. ऐसे में इन सभी सवालों को लेकर ETV भारत ने डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में पिछले 1 साल से कोविड ICU में ड्यूटी कर रहे डॉ. ओपी सुंदरानी से बातचीत की.
सवाल: कोरोना संक्रमण से ठीक होकर जाने वाले मरीजों को अन्य बीमारियां हो रही हैं, वह कैसे समझें कि उन्हें पोस्ट कोविड के बाद अन्य बीमारियां हो रही हैं ?
जवाब: पिछले 1 साल से हम देख रहे हैं कि कोविड संक्रमण का सिंप्टोमेटिक बिहेवियर अलग हो रहा है. मरीजों को पहले बुखार आया करता था, अब बुखार 11 से 12 दिनों में आ रहा है. सांस लेने में दिक्कत भी बाद में पता चल रही है. पिछले साल देखा जाता था कि अगर मरीज को 8-10 दिन बीत जाते थे तो मरीजों को दिक्कत नहीं होती थी. लेकिन अभी कुछ केस ऐसे देखने मिल रहे हैं, जिनमें बुखार पहले दिन आ रहा है और सांस लेने में दिक्कत 12 से 13 दिन में हो रही है. ये म्यूटेशन है या नहीं यह कह पाना भी संभव नहीं है. क्योंकि हम जीन सिक्वेंसिंग नहीं कर पा रहे हैं. प्रेजेंटेशन बदला है इसलिए सावधानी लंबे समय तक बरतना जरुरी है. अगर आज कोई मरीज पॉजिटिव होता है, या लक्षण नजर आते तो उन्हें 15 से 17 दिनों तक बेहद सावधानी रखने की जरूरत है. इसमें लोगों को ऑक्सीजन सैचुरेशन की मॉनिटरिंग 15 से 17 दिनों तक करना है.
सवाल: कोरोना से ठीक होकर जो मरीज घर जा रहे हैं, उनमें कई बीमारियां सामने आ रही हैं, उन्हें कैसी सावधानियां रखनी है ?
जवाब: ये वायरल इंफेक्शन है. किसी भी वायरल इनफेक्शन के बाद इम्यूनिटी वीक होती है. सेकेंडरी इनफेक्शन के लिए हम प्रीडिस्पोज हो जाते हैं. हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इससे सेकेंडरी इंफेक्शन आने की संभावना ज्यादा रहती है. घर जाने के बाद भी मरीज को अच्छी डाइट लेना है. आराम करना है. मास्क का इस्तेमाल करना है. भीड़भाड़ वाली जगह में जाने से बचना है.
सवाल: पहले स्ट्रेन की पोस्ट कोविड बीमारी और नए स्ट्रेन की पोस्ट कोविड बीमारियों में कोई बदलाव हुआ है क्या ?
जवाब: सबसे ज्यादा जो कोविड का वेव अभी चल रहा है, उसमें 12वें या 13वें दिन में पेशेंट को ऑक्सीजन की कमी शुरू हो रही है. ये एक टिपिकल फीचर है. ये वायरस है जो समय के साथ म्यूटेंट होगा. हर बार अलग क्लिनीक पिक्चर मिलेगी. हमें सावधनियां बरतनी होगी. अगर 12वें दिन हमें कमजोरी महसूस हो रही है या हम थक जाते हैं तो हमें यह महसूस नहीं करना है कि यह कमजोरी है. क्योंकि ये ऑक्सीजन की कमी भी हो सकती है. जब कभी भी कमजोरी हो रही है तो जरा ऑक्सीजन लेवल मॉनिटरिंग कर लें.
सवाल: गर्भवती महिलाओं को कैसा प्रिकॉशन रखना चाहिए या जो कोरोना से ठीक हो कर वापस जा रही हैं. ऐसी गर्भवती महिलाओं को क्या सावधानियां रखनी है ?
जवाब: प्रेग्नेंसी में दो लोगों की जिंदगी एक साथ जुड़ी होती है. बहुत सी ऐसी दवाइयां हैं जिन्हें हम प्रेग्नेंसी के दौरान नहीं दे सकते, जो बच्चों के लिए नुकसानदेह होती. एक्स-रे और सीटी स्कैन करना प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत मुश्किल हो जाता है. क्योंकि रेडिएशन से बच्चे को खतरा होता है. प्रेग्नेंसी वाले केस में बहुत ही ज्यादा सावधानियां रखने की जरूरत है.
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सवाल: बहुत से मरीज हैं जिनमें शुगर लेवल बढ़ने, ब्लड क्लॉट बनने की शिकायत आ रही है, उन्हें क्या सावधनियां बरतनी चाहिए ?
जवाब: शुगर की समस्या पहले स्ट्रेन के दौरान भी थी. ये नया नहीं है. कोविड में इंसुलिन रजिस्टर जैसा डेवलप हो रहा है, जिसमें शुगर ज्यादा बढ़ रहे है. हर वो मरीज जो ICU में होता है या जिन्हें ऑक्सीजन की जरुरत होती है, उन्हें स्टूराइड देते हैं. जिसका फीचर होता है कि वह शुगर का लेवल बढ़ाता है. कोविड आपने आप में भी शुगर का लेवल बढ़ाता है. इस वजह से शुगर हाई हो जाती है. इसे दवाइयों के सहारे भी कंट्रोल किया जा सकता है. कुछ समय बाद ये नॉर्मल भी हो जाता है. क्लॉट्स वाली समस्या पहले भी थी, अभी भी है. क्योंकि ब्लड गाढ़ा हो जाता है. इसलिए ब्लड थिनर्स रिकमेंडेड है. पोस्ट कोविड में ध्यान रखना पड़ेगा कि हाथ में कमजोरी आई या हाथ में तिरछापन महसूस हो रहा है. तो लकवे का कोई भी लक्षण नजर आए तो डॉक्टर को दिखाना जरूरी है.
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सवाल: कोविड से ठीक होकर जो घर जा रहे हैं उन्हें कैसी डाइट लेना चाहिए ?
जवाब: वायरल इंफेक्शन में तीन चीजें बहुत जरूरी होती है. एडिकेस हाइड्रेशन, जिनमें हमारे शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. खाना पौष्टिक और अच्छा होना चाहिए. क्योंकि इससे यूनिटी बढ़ती है और नींद अच्छी लेनी चाहिए. जो मरीज कोविड से ठीक होकर घर जा रहे हैं उन्हें इन सभी चीजों को फॉलो तो करना ही है, इसमें हाथ धोना, सैनिटाइजेशन करना भी जरूरी है.
सवाल: आम लोगों को आप क्या सलाह देना चाहेंगे ?
जवाब: अभी सबसे ज्यादा अगर प्रेशर है तो वह मेडिकल स्टाफ पर है और हमको ये चीज समझनी होगी कि हम वेंटिलेटर बढ़ा सकते हैं, ICU बेड बढ़ा सकते हैं, लेकिन हम डॉक्टर का ओवरटाइम नहीं बढ़ा सकते. ICU में काम करने वाले डॉक्टर हम एक रात में उनकी संख्या नहीं बढ़ा सकते. वे लिमिटेड हैं. एक क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट बनने में 10 साल का समय लगता है. लोगों को संदेश यही है कि कुछ भी सिम्टम्स नजर आता है तो अपने आप को आइसोलेट करें और टेस्ट करवाएं. बिना डॉक्टर की सलाह के घर में बैठकर सेल्फ मेडिकेशन न करें. वही एक ऐसी कंडीशन है जो पेशेंट को ICU ले जाने की हालत में ले जाती है.
दूसरा, रेमडेसिविर के पीछे लोगों का जो पागलपन है, वो असल में बहुत लिमिटेड पेशेंट के लिए यूजफुल है. यूजफुल ऐसा नहीं है कि वह मरीज को ठीक कर देता है. ये दवाई उसकी रिकवरी को फास्ट कर देती है. रेमडेसिविर के पीछे पागल न बनें. डॉक्टर की सलाह से ट्रीटमेंट कराएं. जरूरत के हिसाब से मरीजों को ये इंजेक्शन लगाया जा रहा है. लोगों को समझना होगा कि कोविड ट्रीटमेंट एक स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट है. आप उसे डॉक्टर के भरोसे छोड़ दीजिए.