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एक लाख का ऐसा शॉल, जो ठंडी में छुड़ा दे पसीना

आजादी के 75 वें वर्षगांठ को देश अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के रूप में मना रहा है. इसी कड़ी में राजधानी रायपुर के ग्रास मेमोरियल मैदान (Grass Memorial Ground) में स्पेशल हैंडलूम एक्सपो-2021 (Handloom Expo 2021) के तहत बुनकरों द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी में स्टॉल लगाए गए है.

Handloom Expo 2021
स्पेशल हैंडलूम एक्सपो
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Published : Nov 16, 2021, 7:54 PM IST

Updated : Nov 16, 2021, 9:56 PM IST

रायपुर: आजादी के 75 वें वर्षगांठ को देश अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के रूप में मना रहा है. इसी कड़ी में राजधानी रायपुर के ग्रास मेमोरियल मैदान (Grass Memorial Ground) में स्पेशल हैंडलूम एक्सपो-2021 (Handloom Expo 2021) के तहत बुनकरों द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई है. जिसमें विभिन्न प्रदेशों के बुनकर अपने स्टॉल लगाए हैं. स्टॉल में जम्मू कश्मीर की शॉल सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. क्योंकि यह एक ऐसा शॉल है, जो ठंडी में भी पसीना छुड़ा देता है. जिसकी कीमत करीब एक लाख रुपये बताई जा रही है.

स्पेशल हैंडलूम एक्सपो-2021

यह भी पढ़ें: World Prematurity Day 2021: प्रीमैच्योर डिलीवरी की क्या है वजह, कैसे इस समस्या से बचें जानिए यहां ?

लोग बुनकरों से जान रहे विशेषता

आत्मनिर्भर भारत की ओर से लगाए गए इस स्टॉल में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. देश भर से आए बुनकरों में जम्मू कश्मीर के बुनकर विशेष पश्मीना शॉल (Pashmina shawls) और साड़ी (saree) लाए हुए हैं. इसकी कीमत भी एक लाख रुपये है, जो सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है. इस शॉल को बुनकरों ने अपने हाथों से आकर्षक कलाकृतियां देकर तैयार किया है. इसमें पारंपरिक डिजाइन भूली गई है. यह वहां की मिली-जुली संस्कृति को दर्शाता है. जहां हिंदू मुस्लिम शांति से रहते हैं. ऐसे में एक्सपो में पहुंच रहे लोग बुनकर से इसकी विशेषता जान रहे हैं.

भेड़ के बाल से बनता है पशमीना शॉल

जम्मू कश्मीर से आए बुनकर जावेद बताते हैं कि उनके पास आरी वर्क और कानी वर्क वाले गर्म कपड़े हैं. आरी वर्क एक तिपाई की मदद से किया जाता है, जो कि खासतौर पर अनंतनाग में पाया जाता है. वहीं कानी वर्क ज्यादातर श्रीनगर में किया जाता है. इसके अलावा पश्मीना का शॉल उनके पास है, जो लद्दाख के भेड़ के ऊन से तैयार किया गया है. इसे बनाने में उन्हें करीब 1 महीने का समय लगता है

मन छू लेगी बनारस की तनछुई साड़ी

यूं तो महिलाओं को हर साड़ी पसंद आती है. वे साड़ी की खरीदारी को कभी मना भी नहीं करती. हैंडलूम एक्सपो में बनारस की तनछुई जामेवाड़ साड़ी महिलाओं का मन मोह रही है. कारीगर अंसार अहमद बताते हैं कि इसे एक माह में तैयार किया गया है. इसमें चांदी की जरी का प्रयोग किया जाता है, जो इसके आकर्षण को बढ़ा रहा है. लंबे समय तक रखने पर भी इसका आकर्षण कम नहीं होता. एक साड़ी को दो से तीन बुनकर मिलकर तैयार करते हैं. इसकी कीमत करीब 35 हजार रुपये है

एक दर्जन से अधिक राज्यों के स्टॉल

सिविल लाइन स्थित ग्रास मेमोरियल मैदान में लगे हैंडलूम एक्सपो में एक दर्जन से अधिक राज्यों के बुनकर अपने स्टॉल लगाए हैं. यहां विभिन्न प्रकार की आकर्षक साड़ियों के साथ शॉल, स्वेटर और कालीन के स्टॉल लगे हैं. सबसे अधिक स्टॉल उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बुनकरों के स्टॉल हैं.

साड़ियों के दाम

  • मसराइज सिल्क - 3500 रुपये
  • जामदानी साड़ी - 35000 रुपये
  • मधुबनी साड़ी - 30000 हजार रुपये
  • तनछुई जामेवार - 35,000 रुपये
  • साटन सिल्क - 22000 रुपये
  • टीसू औरगंना - 11000 रुपये
  • सैफून - 10000 रुपये

रायपुर: आजादी के 75 वें वर्षगांठ को देश अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के रूप में मना रहा है. इसी कड़ी में राजधानी रायपुर के ग्रास मेमोरियल मैदान (Grass Memorial Ground) में स्पेशल हैंडलूम एक्सपो-2021 (Handloom Expo 2021) के तहत बुनकरों द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई है. जिसमें विभिन्न प्रदेशों के बुनकर अपने स्टॉल लगाए हैं. स्टॉल में जम्मू कश्मीर की शॉल सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. क्योंकि यह एक ऐसा शॉल है, जो ठंडी में भी पसीना छुड़ा देता है. जिसकी कीमत करीब एक लाख रुपये बताई जा रही है.

स्पेशल हैंडलूम एक्सपो-2021

यह भी पढ़ें: World Prematurity Day 2021: प्रीमैच्योर डिलीवरी की क्या है वजह, कैसे इस समस्या से बचें जानिए यहां ?

लोग बुनकरों से जान रहे विशेषता

आत्मनिर्भर भारत की ओर से लगाए गए इस स्टॉल में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. देश भर से आए बुनकरों में जम्मू कश्मीर के बुनकर विशेष पश्मीना शॉल (Pashmina shawls) और साड़ी (saree) लाए हुए हैं. इसकी कीमत भी एक लाख रुपये है, जो सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है. इस शॉल को बुनकरों ने अपने हाथों से आकर्षक कलाकृतियां देकर तैयार किया है. इसमें पारंपरिक डिजाइन भूली गई है. यह वहां की मिली-जुली संस्कृति को दर्शाता है. जहां हिंदू मुस्लिम शांति से रहते हैं. ऐसे में एक्सपो में पहुंच रहे लोग बुनकर से इसकी विशेषता जान रहे हैं.

भेड़ के बाल से बनता है पशमीना शॉल

जम्मू कश्मीर से आए बुनकर जावेद बताते हैं कि उनके पास आरी वर्क और कानी वर्क वाले गर्म कपड़े हैं. आरी वर्क एक तिपाई की मदद से किया जाता है, जो कि खासतौर पर अनंतनाग में पाया जाता है. वहीं कानी वर्क ज्यादातर श्रीनगर में किया जाता है. इसके अलावा पश्मीना का शॉल उनके पास है, जो लद्दाख के भेड़ के ऊन से तैयार किया गया है. इसे बनाने में उन्हें करीब 1 महीने का समय लगता है

मन छू लेगी बनारस की तनछुई साड़ी

यूं तो महिलाओं को हर साड़ी पसंद आती है. वे साड़ी की खरीदारी को कभी मना भी नहीं करती. हैंडलूम एक्सपो में बनारस की तनछुई जामेवाड़ साड़ी महिलाओं का मन मोह रही है. कारीगर अंसार अहमद बताते हैं कि इसे एक माह में तैयार किया गया है. इसमें चांदी की जरी का प्रयोग किया जाता है, जो इसके आकर्षण को बढ़ा रहा है. लंबे समय तक रखने पर भी इसका आकर्षण कम नहीं होता. एक साड़ी को दो से तीन बुनकर मिलकर तैयार करते हैं. इसकी कीमत करीब 35 हजार रुपये है

एक दर्जन से अधिक राज्यों के स्टॉल

सिविल लाइन स्थित ग्रास मेमोरियल मैदान में लगे हैंडलूम एक्सपो में एक दर्जन से अधिक राज्यों के बुनकर अपने स्टॉल लगाए हैं. यहां विभिन्न प्रकार की आकर्षक साड़ियों के साथ शॉल, स्वेटर और कालीन के स्टॉल लगे हैं. सबसे अधिक स्टॉल उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बुनकरों के स्टॉल हैं.

साड़ियों के दाम

  • मसराइज सिल्क - 3500 रुपये
  • जामदानी साड़ी - 35000 रुपये
  • मधुबनी साड़ी - 30000 हजार रुपये
  • तनछुई जामेवार - 35,000 रुपये
  • साटन सिल्क - 22000 रुपये
  • टीसू औरगंना - 11000 रुपये
  • सैफून - 10000 रुपये
Last Updated : Nov 16, 2021, 9:56 PM IST
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