नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के दो समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने के लिए सोमवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया गया. मणिपुर हिंसा पर विपक्षी दलों और सदस्यों की नारेबाजी के बीच केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने इस विधेयक को पेश किया है.
इस विधेयक में क्या है: इस विधेयक के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार ने महरा और महारा समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है. भारत के रजिस्ट्रार जनरल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने प्रस्तावित संशोधन पर सहमति व्यक्त की है. परिवर्तन को प्रभावी बनाने के लिए संविधान में अनुसूचित जाति आदेश1950 में संशोधन करना आवश्यक है.
विधेयक के वित्तीय ज्ञापन में क्या है: विधेयक के वित्तीय ज्ञापन के अनुसार, इस कदम से अनुसूचित जातियों के विकास के लिए बनाई गई योजनाओं से इस वर्ग को लाभ मिलेगा. इनके लाभों पर कुछ अतिरिक्त आवर्ती और गैर-आवर्ती व्यय शामिल होंगे. जिसके लिए नए जोड़े गए समुदायों से संबंधित व्यक्ति संसद द्वारा उपाय पारित होने के बाद हकदार बन जाएंगे. लेकिन इस स्तर पर इस खाते पर होने वाले संभावित व्यय का अनुमान लगाना संभव नहीं है.
अनुसूचित जातियों से जुड़ें अनुच्छेद से जुड़ी बातें जानिए: संविधान के अनुच्छेद 341 के खंड 1 के प्रावधानों के तहत, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में अनुसूचित जातियों से जुड़े कई आदेश जारी किए गए थे. इसमें कुल 6 आवासीय आदेश जारी किए गए थे. इन आदेशों को समय-समय पर संसद के अधिनियमों द्वारा संशोधित किया गया है.
महरा और महारा समुदाय को एससी यानी की अनुसूचित जाति की सूची में जारी करने की कवायद संसद के मानसून सत्र से पहले शुरू हो गई थी. छत्तीसगढ़ सरकार ने महरा और महारा समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. जिसे केंद्र की मोदी सरकार ने संसद में पेश किया है.