रायपुर: हरि विष्णु समस्त पापों से हमें मुक्ति दिलाने वाले माने गए हैं. 28 मार्च यानी सोमवार को श्रवण नक्षत्र सिद्ध और सिद्धि योग में पामोचनी एकादशी मनाई जाएगी. इस शुभ दिन निर्जला फलाहारी सजल और एकाशना व्रत उपवास करने से हरि विष्णु का अनुग्रह और कृपा प्राप्त होती है. सर्वार्थ सिद्धि योग एक बहुत ही महत्वपूर्ण योग माना गया है. श्रवण में भौम, युति और राहु योग भी बन रहा है.
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पापमोचनी एकादशी का पूजा विधि: पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से संतान की प्राप्ति कार्यों की बाधाएं, विपदा संकट और समस्त तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं. इस शुभ दिन हरि विष्णु नारायण की पूजा करने का विधान है. सुबह में स्नान ध्यान से निवृत्त होकर आज के दिन हरि विष्णु को लाल अथवा पीले कपड़े में सम्मान के साथ आसन दिया जाता है. चार बार जल का अभिषेक, अक्षत, चावल, पुष्पक, नैवेद्य, मिष्ठान, ऋतु फल, पंचामृत, अबीर गुलाल, रोली, चंदन, अष्ट, चंदन, गोपी चंदन और रक्त चंदन का अभिषेक कर हरि विष्णु की पूजा की जाती है.
मंडप के चारों ओर केले के पत्र को सजाने से सर्व कामनाएं पूर्ण होती है. साथ ही आज के दिन गरीबों और जरूरतमंदों दिव्यांगों को यथाशक्ति दान करने का भी विधान है. आज के दिन बेसहारा अनाथ बच्चों को भी भोजन कराने का विधान है. जिससे हरि विष्णु की कृपा हमें प्राप्त होती है. आज समस्त पापों से भी मुक्ति का दिन है. आज सुबह से लेकर सोने के समय तक अच्छे कार्य ही करनी चाहिए.
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पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त: 27 मार्च रविवार को सायकाल 6:04 से एकादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. यह दूसरे दिन 28 मार्च 2022 सोमवार शाम 4:15 तक रहेगी. रविवार को सोने से पहले ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शुभ माना गया है. अनेक परंपरा में दशमी के दिन फलाहार लेने की परंपरा है. जो लोग फलाहार नहीं कर पाए वे यह सुनिश्चित करें कि दसवीं का भोजन पूर्ण सात्विक और तामसिक होना चाहिए. संक्षेप में एकादशी व्रत करने के पहले के दिन का भोजन शुद्ध शाकाहारी पवित्र और सात्विक होना चाहिए. गर्मी की वजह से आप निर्जला एकादशी नहीं रख पा रहे हैं तो सजल एकादशी की जा सकती है. आज के दिन मौसमी फलों, दूध, दही और खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में इन्हें ग्रहण किया जा सकता है.
व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति: विष्णु सहस्त्रनाम श्रीमद्भगवद्गीता विष्णु चालीसा लक्ष्मी चालीसा आदित्य हृदय स्त्रोत ओम नमो भगवते वासुदेवाय इस महामंत्र का पाठ करना बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है. इसी तरह आज के शुभ दिन पीले वस्त्र पहनकर उपवास व्रत और पूजन करना चाहिए. पूजन के अंत में हरी विष्णु की आरती का गायन श्रद्धापूर्वक करना चाहिए. आरती के बाद कर्पूर से विष्णु की आरती की जानी चाहिए. यह व्रत वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. जाने अनजाने मनुष्य योनि में बहुत सारे पाप हो जाते हैं. इन समस्त पापों से मुक्ति के लिए यह व्रत अनंत आस्था और श्रद्धा के साथ सभी को शुरू करना चाहिए.