रायपुर: छत्तीसगढ़ में पंचायत विभाग में काम के बदले भुगतान न होने को लेकर अब सियासत तेज हो गई है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत राज्य सरकार की ओर से सामग्री मद की राशि का भुगतान नहीं किए जाने पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश सरकार की आलोचना की है.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने तो यहां तक कहा कि 'गैर-जरूरी कार्यों में सरकारी खजाने का इस्तेमाल करके प्रदेश सरकार ने प्रदेश को आर्थिक बदहाली के इस दौर में पहुंचा दिया है कि, अब सरकार अपने हिस्से का जरूरी भुगतान तक करने की स्थिति में भी नहीं रह गई है'. कौशिक ने कहा कि 'वहीं हमने कुछ गांवों के सरपंचों से भी बात की तो भुगतान नहीं होने और देरी होने की जानकारी मिली है'.
'आर्थिक बदहाली के दौर में पहुंचा प्रदेश'
कौशिक कहा कि 'गैर-जरूरी कार्यों में सरकारी खजाने का इस्तेमाल करके प्रदेश सरकार ने प्रदेश को आर्थिक बदहाली के इस दौर में पहुंचा दिया है. अब सरकार अपने हिस्से का जरूरी भुगतान तक करने की स्थिति में भी नहीं रह गई है. मनरेगा की सामग्री मद के लंबित भुगतान की कुल देयक राशि 396.57 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है'.
'केंद्र सरकार ने जारी की 75 फीसदी राशि'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 'इसकी वजह से ग्राम पंचायतों में आक्रोश की स्थिति पनप रही है. नाराज सरपंचों ने प्रदेश सरकार के रवैये पर जब खुली नाराजगी जताते हुए पत्र लिखा तो प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार से राशि की मांग की. केन्द्र सरकार ने अपने हिस्से की 75 फीसदी राशि जारी कर दी लेकिन इसके बावजूद प्रदेश सरकार अपने हिस्से की 25 फीसदी राशि भी नहीं दे पा रही है और पंचायतों में मनरेगा के तहत चलने वाले काम ठप्प हो रहे हैं'.