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छत्तीसगढ़ में रामनामी समाज में दिखाई देता है राम भक्ति परंपरा का अद्भुत रूप

छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग ने जिले में राम मूर्त और अमूर्त स्वरूप विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया है.

Ramnami Society of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज
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Published : Feb 7, 2021, 3:08 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 3:52 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ को माता कौशल्या का मायका कहा जाता है. भगवान श्रीराम का ननिहाल छत्तीसगढ़ है. लिहाजा यहां के लोग भगवान श्रीराम को भांचा कहते हैं. छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग ने जिले में राम मूर्त और अमूर्त स्वरूप विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है. संगोष्ठी में देशभर से आए शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए.

रिसर्चर ललित शर्मा

पढे़ं:अरपा महोत्सव: साइक्लोथॉन का किया गया शुभारंभ

रामनामी समाज में राम भक्ति का अद्भुत रूप

संगोष्ठी में शोधार्थी ललित शर्मा ने अपना व्याख्यान राम भक्ति की पराकाष्ठा छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज विषय पर प्रस्तुत किया. ललित शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में राम भक्ति की परंपरा का अद्भुत रूप रामनामी समाज में दिखाई देता है. रामनामी समाज अपने सिर से पैर तक राम नाम का चित्र बनाते हैं और निराकार रूप में राम की उपासना कराते हैं. रामनामी समाज राम नाम को अपने रोम रोम में बसाए हुए हैं. राम का नाम उनके ह्रदय में बसा हुआ है. ऐसी भक्ति हमें विश्व में कहीं भी दिखाई नहीं देती है, केवल रामनामी समाज में देखने को मिलती है.

120 साल में नख से सिर तक राम नाम लिखाने वाले कम हो जाएंगे


ललित शर्मा ने बताया कि जब वे शोधकार्य कर रहे थे. उस समय उन्होंने रामनामी समाज के संत मेहता लाल टंडन से पूछा कि राम नाम लिखने की परंपरा कम होती जा रही है. संत टंडन ने बताया कि राम नाम लिखने की परंपरा पिछले 120 वर्षों से अनवरत चली आ रही है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ को माता कौशल्या का मायका कहा जाता है. भगवान श्रीराम का ननिहाल छत्तीसगढ़ है. लिहाजा यहां के लोग भगवान श्रीराम को भांचा कहते हैं. छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग ने जिले में राम मूर्त और अमूर्त स्वरूप विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है. संगोष्ठी में देशभर से आए शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए.

रिसर्चर ललित शर्मा

पढे़ं:अरपा महोत्सव: साइक्लोथॉन का किया गया शुभारंभ

रामनामी समाज में राम भक्ति का अद्भुत रूप

संगोष्ठी में शोधार्थी ललित शर्मा ने अपना व्याख्यान राम भक्ति की पराकाष्ठा छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज विषय पर प्रस्तुत किया. ललित शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में राम भक्ति की परंपरा का अद्भुत रूप रामनामी समाज में दिखाई देता है. रामनामी समाज अपने सिर से पैर तक राम नाम का चित्र बनाते हैं और निराकार रूप में राम की उपासना कराते हैं. रामनामी समाज राम नाम को अपने रोम रोम में बसाए हुए हैं. राम का नाम उनके ह्रदय में बसा हुआ है. ऐसी भक्ति हमें विश्व में कहीं भी दिखाई नहीं देती है, केवल रामनामी समाज में देखने को मिलती है.

120 साल में नख से सिर तक राम नाम लिखाने वाले कम हो जाएंगे


ललित शर्मा ने बताया कि जब वे शोधकार्य कर रहे थे. उस समय उन्होंने रामनामी समाज के संत मेहता लाल टंडन से पूछा कि राम नाम लिखने की परंपरा कम होती जा रही है. संत टंडन ने बताया कि राम नाम लिखने की परंपरा पिछले 120 वर्षों से अनवरत चली आ रही है.

Last Updated : Feb 7, 2021, 3:52 PM IST
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