रायपुर: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाए लॉकडाउन से देश का कोई क्षेत्र अछूता नहीं है. खासकर शिक्षा जगत में इस लॉकडाउन का खासा असर देखने को मिल रहा है. बच्चों की पढ़ाई हो या नए सत्र की शुरुआत लॉकडाउन की वजह से ये सब प्रभावित हो रहे हैं. जिसका असर स्कूल प्रबंधन पर भी पड़ रहा है.
लेकिन इन सब परेशानियों को लांघते हुए इस डिजिटल जमाने का लोग भरपूर फायदा उठ रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन टीचिंग एक पुल का काम कर रहा है, जो इस समय स्टूडेंस और पढ़ाई के बीच के फासले को मिटा रहा है.
व्हाट्सएप के जरिेए होमवर्क
लॉकडाउन के दौरान जहां बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, वहीं बच्चे लंबे समय से पढ़ाई से भी दूर हैं. बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए स्कूल प्रबंधन स्मार्ट टीचिंग को बढ़ावा दे रहा है. व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों को असाइनमेंट दिया जा रहा है. बच्चे भी असाइनमेंट बनाकर उसी ग्रुप में सबमिट कर रहे हैं. सोशल मीडिया के साथ ही वीडियो कॉल के जरिए भी स्टूडेंट्स की क्लास ली जा रही है. फिर चाहे वो स्कूलों की पढ़ाई हो या फिर कॉलेज की. सभी के लिए ऑनलाइन क्लास चलाई जा रही है. डिजिटल तरीके से ही छात्रों को पढ़ाया जा रहा है.
ऑनलाइन ले रहे क्लास: अर्पितानंद
आनंद मार्ग स्कूल के डायरेक्टर आचार्य अर्पितानंद अवधूत ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से स्कूल 13 मार्च से बंद हैं. जिसके लिए हमने ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की है. शिक्षक बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं.
एग्जाम नहीं दे पाने का दुख: ऋषिका
थर्ड स्टैंडर्ड में पढ़ने वाली स्टूडेंट ऋषिका बुंदेल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वह एग्जाम नहीं दे पाई, उसका उन्हें दुख है. अगर एग्जाम देकर पास होते तो बहुत अच्छा लगता. पढ़ाई के बारे में ऋषिका बताती हैं कि वे ऑनलाइन ही सारी पढ़ाई कर रही हैं.
स्कूल प्रबंधन के लिए परेशानी
शिक्षाविद् शशांक शर्मा ने बताया कि सभी स्कूलों में टैक्नोलॉजी के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है. डिजिटल टैक्नोलॉजी ऐसे समय में वरदान साबित हो रही है. लॉकडाउन की वजह से स्कूल प्रबंधन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सराकर का तीन महीने की फीस नहीं लेने का फैसला ठीक नहीं है.
टैक्नोलॉजी का फायदा
इस लॉकडाउन ने तो जैसे सभी को अटका कर रख दिया है. न तो लोग स्कूल जा पा रहे हैं और न ही अपना काम कर पा रहे हैं. ऐसे में इंटरनेट बहुत कारगर साबित हो रहा है.