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घोटाला: फर्जी तरीके से BSUP मकान बेचने के आरोप में 1 आरोपी गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी रायपुर में BSUP के लिए बनाए गए मकानों को फर्जी तरीके से बेच दिया है. मकान दिलाने के नाम पर 100 से ज्यादा लोगों से ठगी की गई है.

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रायपुर में PM आवास योजना घोटाला
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Published : Feb 15, 2021, 3:47 PM IST

Updated : Feb 15, 2021, 4:44 PM IST

रायपुर: प्रधानमंत्री आवास योजना में ठगी करने के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. जबकि पीएम आवास योजना में घोटाले के 3 आरोपी अब भी फरार हैं. आरोपियों में 2 पुरुष और एक महिला शामिल हैं. पुलिस के मुताबिक सुनील नायक, प्रीति नायक और अजय कुमार फरार हैं. पुलिस ने ए रविराव को गिरफ्तार किया है. चारों आरोपियों पर मकान दिलाने के नाम पर 100 से ज्यादा लोगों से ठगी करने का आरोप है.

नगर निगम ने 98 लोगों के नाम से बीएसयूपी मकान आवंटित करने का लिस्ट जारी किया था. इस लिस्ट में शातिरों ने फर्जीवाड़ा कर दिया. 258 लोगों के नाम पर अलॉटमेंट की फर्जी लिस्ट बना ली. हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद इस मामले का खुलासा हुआ.

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अवैध तरीके से मकान का आवंटन

शातिर गैंग ने फर्जी तरीके से नगर निगम की सील और लेटर पैड तैयार किया था. प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर शहर के सड्डू, बोरियाकला और अन्य इलाकों में बने बीएसयूपी मकानों को अवैध तरीके से आवंटित कर दिया. एक परिवार से 1 लाख 30 हजार रुपये वसूल किए थे.

दायर याचिका के मुताबिक गैंग ने इसके बाद एक और चाल चली. जिन लोगों को मकान आवंटित हुए थे, उन्हें नगर निगम का फर्जी नोटिस जारी कर तत्काल मकान खाली करने या फिर सवा लाख रुपये जमा करने के लिए कहा. नोटिस के खिलाफ कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई. इसके बाद फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है.

पीसीसी चीफ के नाम और लेटर से ठगी

पीड़ित परिवारों ने बताया कि ठगों ने उन्हें मकान दिलाने का सपना दिखाया था. हमें घर मिलेगा इसके लिए हमने रुपये जमा कर दिए, लेकिन घर नहीं मिला. उन्होंने बताया कि रुपये मिलने के बाद ठगों ने उनका कॉल उठाना भी बंद कर दिया. फर्जीवाड़े में यह भी खुलासा हुआ है कि पीएम आवास के नाम पर ठगी करने के लिए गैंग ने पीसीसी अध्यक्ष का नाम और पत्र का भी इस्तेमाल किया है.

SPECIAL: चुनाव बीत गए, नेता वादे कर लौट गए, पर नहीं मिला आशियाना

नगर निगम प्रशासन में हड़कंप

हाईकोर्ट के नोटिस के बाद उजागर हुए इस फर्जीवाड़े के बाद नगर निगम प्रशासन सकते में है. निगम आयुक्त ने इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई है. जिस जोन के कमिश्नर के फर्जी साइन और सील का इस्तेमाल हुआ है, उनका तबादला जून 2020 में हो चुका है. तबादले के दो महीने बाद जाली दस्तखत से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया. मामले में शहर के मेयर एजाज ढेबर ने भरोसा दिलाया है कि धोखाधड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. पीड़ितों को उनकी रकम वापस दिलाई जाएगी.

रायपुर: प्रधानमंत्री आवास योजना में ठगी करने के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. जबकि पीएम आवास योजना में घोटाले के 3 आरोपी अब भी फरार हैं. आरोपियों में 2 पुरुष और एक महिला शामिल हैं. पुलिस के मुताबिक सुनील नायक, प्रीति नायक और अजय कुमार फरार हैं. पुलिस ने ए रविराव को गिरफ्तार किया है. चारों आरोपियों पर मकान दिलाने के नाम पर 100 से ज्यादा लोगों से ठगी करने का आरोप है.

नगर निगम ने 98 लोगों के नाम से बीएसयूपी मकान आवंटित करने का लिस्ट जारी किया था. इस लिस्ट में शातिरों ने फर्जीवाड़ा कर दिया. 258 लोगों के नाम पर अलॉटमेंट की फर्जी लिस्ट बना ली. हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद इस मामले का खुलासा हुआ.

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अवैध तरीके से मकान का आवंटन

शातिर गैंग ने फर्जी तरीके से नगर निगम की सील और लेटर पैड तैयार किया था. प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर शहर के सड्डू, बोरियाकला और अन्य इलाकों में बने बीएसयूपी मकानों को अवैध तरीके से आवंटित कर दिया. एक परिवार से 1 लाख 30 हजार रुपये वसूल किए थे.

दायर याचिका के मुताबिक गैंग ने इसके बाद एक और चाल चली. जिन लोगों को मकान आवंटित हुए थे, उन्हें नगर निगम का फर्जी नोटिस जारी कर तत्काल मकान खाली करने या फिर सवा लाख रुपये जमा करने के लिए कहा. नोटिस के खिलाफ कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई. इसके बाद फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है.

पीसीसी चीफ के नाम और लेटर से ठगी

पीड़ित परिवारों ने बताया कि ठगों ने उन्हें मकान दिलाने का सपना दिखाया था. हमें घर मिलेगा इसके लिए हमने रुपये जमा कर दिए, लेकिन घर नहीं मिला. उन्होंने बताया कि रुपये मिलने के बाद ठगों ने उनका कॉल उठाना भी बंद कर दिया. फर्जीवाड़े में यह भी खुलासा हुआ है कि पीएम आवास के नाम पर ठगी करने के लिए गैंग ने पीसीसी अध्यक्ष का नाम और पत्र का भी इस्तेमाल किया है.

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नगर निगम प्रशासन में हड़कंप

हाईकोर्ट के नोटिस के बाद उजागर हुए इस फर्जीवाड़े के बाद नगर निगम प्रशासन सकते में है. निगम आयुक्त ने इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई है. जिस जोन के कमिश्नर के फर्जी साइन और सील का इस्तेमाल हुआ है, उनका तबादला जून 2020 में हो चुका है. तबादले के दो महीने बाद जाली दस्तखत से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया. मामले में शहर के मेयर एजाज ढेबर ने भरोसा दिलाया है कि धोखाधड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. पीड़ितों को उनकी रकम वापस दिलाई जाएगी.

Last Updated : Feb 15, 2021, 4:44 PM IST
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