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बस एक क्लिक पर गोंडी में सुनिए खबर भी और कहानी भी

छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके में रहने वाले ज्यादातर लोग पढ़ नहीं पाते हैं, ऐसे में ट्रिपल आईटी नया रायपुर द्वारा विकसित आदिवासी रेडियो एप उन्हें उनकी भाषा में खबर और किताबों को पढ़कर सुनाएगा. इस एप में टेक्स्ट टू स्पीच तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसमें लिखे हुए समाचार को अब मशीन की मदद से सुना जा सकेगा.

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Published : Aug 2, 2019, 7:17 PM IST

रायपुर: तकनीक ने लोगों की जिंदगी को इस कदर आसान बना दिया है कि अब अखबार और किताबें भी आप अपनी क्षेत्रीय भाषा में सुन सकते हैं. माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च और सीजी नेट के साथ मिलकर ट्रिपल आईटी नया रायपुर ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो आपको आपकी भाषा में अखबार सुनाएगी.

बस एक क्लिक पर गोंडी में सुनिए खबर

सीजीनेट के शुभ्रांशु चौधरी बताते हैं, छत्तीसगढ़ की गोंडी और अन्य आदिवासी भाषा जिसमें ज्यादातर लोग पढ़ नहीं सकते हैं, उनको ये आदिवासी रेडियो एप उनकी भाषा में खबर और किताबों को पढ़कर सुनाएगा. इस एप में टेक्स्ट टू स्पीच तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसमें लिखे हुए समाचार को अब मशीन की मदद से सुना जा सकेगा.

ट्रांसलेसन मशीन बनाने पर भी काम
इस एप को लॉन्च करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च की टीम 30 जुलाई को ट्रिपल आईटी नया रायपुर पहुंची थी.आदिवासी रेडियो एप के लिए एक टीम गोंडी से हिंदी और अन्य भाषाओं में मशीन की मदद से ट्रांसलेशन मशीन बनाने पर भी काम कर रही है.

400 कहानियों को किया गया है अनुवाद
फिलहाल एप में 400 बच्चों की कहानियों को गोंडी में अनुवाद किया गया है. हिंदी से गोंडी में अनुवाद किए गए 10 हजार वाक्यों को अब ट्रांसलेशन के लिए कंम्प्यूटर में फीड किया जाएगा. अगर यह प्रयोग सफल होता है तो बाद में ऐसी मशीन बनाई जाएगी जिससे हिंदी और अन्य भाषाओं से गोंडी में और गोंडी से हिंदी समेत अन्य भाषाओं में इसका अनुवाद किया जा सकेगा.

आदिवासियों को बाहरी दुनिया से जुड़ने में मिलेगी मदद
आदिवासी क्षेत्रों में ज्यादातर लोग कम पढ़े-लिखे ही होते हैं और वे अपनी स्थानीय भाषा में ही आपस में बात संवाद करते हैं. जिसके कारण देश-दुनिया की सूचना और जानकारी उन्हें नहीं मिल पाती है. अब इस एप की मदद से आदिवासी क्षेत्र के लोगों को गोंडी में आसानी से सूचना मिल जाएगी.

अनुराग शुल्का ने बनाया है एप
ट्रिपल आईटी में कंप्यूटर साइंस के छात्र अनुराग शुक्ला ने इस एप को बनाया है. इसे बनाने में माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च फेलो सबेस्टियन ने अनुराग की मदद की है. एप के लिए सीजी नेट स्वर फाउंडेशन ने हिंदी से गोंडी में ट्रांसलेशन का काम किया है और गोंडी में आर्टिकल दिया है. अनुराग ने बताया की गोंडी समाज के लोग बाहरी दुनिया से नहीं जुड़े हैं. साथ ही उन तक किसी भी प्रकार की सूचना नहीं पहुंच पाती है. जिसके लिए प्लान करके यह एप्लीकेशन बनाया गया है.

रायपुर: तकनीक ने लोगों की जिंदगी को इस कदर आसान बना दिया है कि अब अखबार और किताबें भी आप अपनी क्षेत्रीय भाषा में सुन सकते हैं. माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च और सीजी नेट के साथ मिलकर ट्रिपल आईटी नया रायपुर ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो आपको आपकी भाषा में अखबार सुनाएगी.

बस एक क्लिक पर गोंडी में सुनिए खबर

सीजीनेट के शुभ्रांशु चौधरी बताते हैं, छत्तीसगढ़ की गोंडी और अन्य आदिवासी भाषा जिसमें ज्यादातर लोग पढ़ नहीं सकते हैं, उनको ये आदिवासी रेडियो एप उनकी भाषा में खबर और किताबों को पढ़कर सुनाएगा. इस एप में टेक्स्ट टू स्पीच तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसमें लिखे हुए समाचार को अब मशीन की मदद से सुना जा सकेगा.

ट्रांसलेसन मशीन बनाने पर भी काम
इस एप को लॉन्च करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च की टीम 30 जुलाई को ट्रिपल आईटी नया रायपुर पहुंची थी.आदिवासी रेडियो एप के लिए एक टीम गोंडी से हिंदी और अन्य भाषाओं में मशीन की मदद से ट्रांसलेशन मशीन बनाने पर भी काम कर रही है.

400 कहानियों को किया गया है अनुवाद
फिलहाल एप में 400 बच्चों की कहानियों को गोंडी में अनुवाद किया गया है. हिंदी से गोंडी में अनुवाद किए गए 10 हजार वाक्यों को अब ट्रांसलेशन के लिए कंम्प्यूटर में फीड किया जाएगा. अगर यह प्रयोग सफल होता है तो बाद में ऐसी मशीन बनाई जाएगी जिससे हिंदी और अन्य भाषाओं से गोंडी में और गोंडी से हिंदी समेत अन्य भाषाओं में इसका अनुवाद किया जा सकेगा.

आदिवासियों को बाहरी दुनिया से जुड़ने में मिलेगी मदद
आदिवासी क्षेत्रों में ज्यादातर लोग कम पढ़े-लिखे ही होते हैं और वे अपनी स्थानीय भाषा में ही आपस में बात संवाद करते हैं. जिसके कारण देश-दुनिया की सूचना और जानकारी उन्हें नहीं मिल पाती है. अब इस एप की मदद से आदिवासी क्षेत्र के लोगों को गोंडी में आसानी से सूचना मिल जाएगी.

अनुराग शुल्का ने बनाया है एप
ट्रिपल आईटी में कंप्यूटर साइंस के छात्र अनुराग शुक्ला ने इस एप को बनाया है. इसे बनाने में माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च फेलो सबेस्टियन ने अनुराग की मदद की है. एप के लिए सीजी नेट स्वर फाउंडेशन ने हिंदी से गोंडी में ट्रांसलेशन का काम किया है और गोंडी में आर्टिकल दिया है. अनुराग ने बताया की गोंडी समाज के लोग बाहरी दुनिया से नहीं जुड़े हैं. साथ ही उन तक किसी भी प्रकार की सूचना नहीं पहुंच पाती है. जिसके लिए प्लान करके यह एप्लीकेशन बनाया गया है.

Intro:गोंडी भाषा को बचाने और आदिवासी क्षेत्रों में लोगों तक सूचना पहुंचाने लिए आज ट्रिपल आई में आदिवासी रेडियो एप को लांच किया गया।इस एप में टेक्स्ट टू स्पीच की सुविधा है जिसमे गोंडी मे लोगो को सूचना दी जाएगी ।।

आई आई आई टी नया रायपुर ,माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च और सीजी नेट स्वर ने मिलकर आदिवासी रेडियो एप बनाया है ।। 1 साल से इस एप को पर का काम चल रहा था जिसे आज लॉन्च किया गया।।

आदिवासी क्षेत्रों में ज्यादा तर लोग कम पढ़े लिखे होते है ओर वे गोंडी भाषा मे ही संवाद कर पाते है । उन तक देश दुनिया कक।सूचना और जानकारी नही मिल पाती । अब इस एप की मदद से आदिवासी क्षेत्रों के लोग गोंडी मे आसानी से सूचना प्राप्त कर सकेंगे।।आदिवासी क्षेत्र के लोगो के लिए यह सूचना प्राप्त करने का अच्छा माध्य्म साबित होगा।

ट्रिपल आईटी में कंप्यूटर साइंस तृतीय वर्ष के छात्र अनुराग शुल्का ने इस एप को बनाया है , इसे बनाने में माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च फेलो सबेस्टियन ने अनुराग की मदद की , साथ ही cg नेट स्वर फाउंडेशन ने हिंदी से गोंडी में ट्रांसलेशन का काम किया है।। ओर उन्हें गोंडी में आर्टिकल पोवाईड कराई है।।







Body:ट्रिपल आईटी के डायरेक्टर डॉ प्रदीप के सिन्हा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए 1 साल से काम चल रहा था। सीजी नेट स्वर फाउंडेशन ने हमे बताया कि वे ट्राईबल रीजन के लोगों के लिए काम करते हैं। उन्हें डेवलपमेंट वर्क के लिए स्टूडेंट्स के सहयोग की जरूरत है।जिसके बाद माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के साथ मिलकर इस एप पर काम शुरू किया गया । उन्होंने बताया कि आज के समय में लोग सोशल मीडिया के माध्यम से इंफॉर्मेशन एक दूसरे से शेयर करते हैं। लेकिन इसका लाभ सिर्फ पढ़े लिखे लोग ही ले पाते हैं। आदिवासी क्षेत्र में लोग ना पढ़ सकते हैं ना लिख सकते हैं। इसलिए उनके साथ इंफॉर्मेशन शेयरिंग की टेक्नोलॉजी के रूप में इस ऐप को तैयार किया गया। जो text-to-speech के माध्यम से ट्राईबल एरिया में लोगों की मदद करेगा और उन तक सूचना पहुंचाने का काम करेगा।।


इस प्रोजेक्ट में शामिल माइक्रोसॉफ्ट की रिसर्चर कलिका बाली ने बताया की 1 साल पहले माइक्रोसॉफ्ट की टीम, ट्रिपल आईटी ,स्वरा फाउंडेशन और गोंडी कम्युनिटी के लोग एकत्र हुए थे । जिसमे टेक्नोलॉजी के जरिए गोंडी भाषा के लिए क्या किया जा सकता है। उस पर विचार किया गया था।।उस दौरान माइक्रोसॉफ्ट में इंटर्नशिप कर रहे एक स्टूडेंट ने इंस्पायर होकर हिंदी का टीटीएस तैयार किया जो गोंडी भाषा बोलता था ।।इस प्रोजेक्ट को लेकर जब हम कॉलेज के स्टूडेंट से बात की तो अनुराग ने इस पर काम करने की इच्छा जाहिर की और सबसे ज्यादा मेहनत अनुराग ने इसे बनाया ।। आदिवासी क्षेत्र के लोगो के लिए सार्थक सिद्ध होगा।जो लोग पढ़ लिख नहीं सकते हैं वे लोग गोंडी में कहानी, आर्टिकल और इंफॉर्मेशन सुन पाएंगे




Conclusion:वह सीजी नेट स्वर फाउंडेशन से जुड़े कांकेर निवासी शेर सिंह आचला ने एप्लीकेशन के लिए हिंदी के वाक्यों को गोंडी में ट्रांसलेशन का काम किया है। उन्होंने बताया कि 6 राज्यों की गोंडी की शब्दावली और वाक्यों को समाहित करते हुए अनुवाद किया गया है। वही संस्कृति शासन-प्रशासन और समाज से जुड़े शब्दों को भी गोंडी में ट्रांसलेट किया गया है ओर ढाई हजार शब्दों की डिक्शनरी भी बनाई गई है। आदिवास रेडियो एप्लीकेशन से गोंडी भाषा को विलुप्त होने से बचाया जाएगा साथ ही आदिवासी क्षेत्रों के जो पढ़े-लिखे लोग शहर में आ गए हैं वे लोग अपनी भाषा भूलते जा रहे हैं वहीं से आपकी वजह से उन्हें भी गोंडी सीखने में मदद मिलेगी।।


सीजी नेट स्वर के फाउंडर शुभ्रांशु चौधरी ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में गोंडी भाषा जानने वाले लोग अधिक हैं। उनकी बात हम तक नही पहुची है और हमारी बात उन तक नहीं पहुंचती है। इस एप्लीकेशन की माध्यम से अखबार में लिखे यह सरकार की योजना को वे सुन सकेंगे और आदिवासी क्षेत्रों में संवाद बढ़ेगा ।



एप्लीकेशन बनाने वाले अनुराग ने बताया माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च से टीम आई हुई थी उन्होंने बताया की गोंडी समाज के लोग बाहरी दुनिया से नहीं जुड़े हैं।। साथ ही उन तक किसी भी प्रकार की सूचना नहीं पहुंच पाती जिसके लिए प्लान करके यह एप्लीकेशन बनाया गया।। उन्होंने बताया कि यह एप्लीकेशन आर्टिकल सीजी नेट स्वर के माध्यम से प्राप्त करता है। साथ ही इस ऐप के जरिए न्यूज़ देख सकते हैं। साथी एप्लीकेशन में सुविधा है कि वह इन सारी चीजों को गोंडी में बोलता है। जो लोग पढ़े लिखे नही है वह सुनकर इस एप्पलीकेशन से सूचना प्राप्त कर सकते है।।
उन्होंने बताया कि जहां इंटरनेट नहीं है वहां भी यह ऑफलाइन वर्क करेगा और आपने किसी आर्टिकल या स्टोरी को डाउनलोड किया तो उसमें ऑफलाइन भी सुना और पढ़ा जा सकता है।

एप्लीकेशन में आर्टिकल , न्यूज आर्टिकल, गोंडी में स्टोरी बुक ,एप में वीडियो भी देख सकते है ।।
खासकर यह ऐप गोंडी भाषी लोगों के लिए बनाया गया है जो दुनिका के तमाम जानकारियों को प्राप्त नही कर पाते ।। यह कौन है गोंडी में सारी इंफॉर्मेशन पहुंचाएगा।।


1 बाईट
कलिका बाली
रिसर्चर
माइक्रोसॉफ्ट बैंगलोर

2 बाईट
शेर सिंह आचला
अनुवादक


3 बाईट


डॉ प्रदीप के सिन्हा
डायरेक्ट
ट्रिपल आईटी नया रायपुर

4 बाईट
शुभ्रांशु चौधरी
सीजी नेट स्वर के फाउंडर


5 बाईट

अनुराग शुक्ला
आदिवासी रेडियो एप डेवलपर
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