ETV Bharat / state

Chhattisgarh Election 2023 : छत्तीसगढ़ में 'नोटा का टेंशन', प्रदर्शनों के कारण क्या नाराज वोटर्स बिगाड़ सकते हैं विनिंग सीटों का चुनावी गणित ? - Effect of NOTA in Chhattisgarh Elections

Chhattisgarh Election 2023 : साल के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हैं. इस समय कई संगठन अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. ये माहौल क्या नोटा वोटों की संख्या पर असर डाल सकता है ?. अगर कुछ असर हुआ तो छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के परिणाम काफी दिलचस्प हो सकते हैं. हांलाकि इसको लेकर राजनीतिक पार्टियां और कर्मचारी संगठनों के अलग अलग दावे हैं. NOTA Data May Increase In Chhattisgarh Election

Chhattisgarh Election 2023
राजनीतिक दलों में NOTA का टेंशन
author img

By

Published : Aug 2, 2023, 6:42 PM IST

Updated : Aug 2, 2023, 6:48 PM IST

रायपुर: नोटा यानि कि 'None Of The Above'.(NOTA) ये एक अधिकार है, जो निवार्चन आयोग मतदाताओं को देता है कि, वो चुनाव में खड़े किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में वोट दें या नहीं दे. इस अधिकार का छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में मतदाता जमकर उपयोग करते हैं. इस समय रायपुर में तमाम संगठन प्रदर्शन भी कर रहे हैं. कई संगठन कह रहे हैं मांगे नहीं मांनी गई तो नोटा के तहत वोट पड़ेंगे. वहीं पार्टियों ने माहौल और नोटा को मिलाकर अपने फायदे नुकसान का गणित लगाना शुरू कर दिया है. नोटा इतना महत्त्वपूर्ण क्यों हैं ? सबसे पहले इसको समझते हैं.

केस 01 धमतरी सीट: विधानसभा चुनाव 2018 के परिणामों में धमतरी का नाम बहुत लिया गया. अब तो शायद मतदाताओं को भी याद नहीं होगा कि ऐसा क्यों हुआ था ? कारण जान लीजिए. यहां पर हार-जीत का फैसला केवल 464 वोटों के अंतर से हुआ था. धमतरी विधानसभा सीट पर कुल वोटर थे, 2 लाख 09 हजार 369. इनमें से एक लाख 71 हजार 931 ने वोट डाला था. इसके अलावा यहां नोटा वोट 551 पड़े थे. यानि इतने मतदाताओं ने किसी को मत के लायक नहीं समझा था. यानि हार-जीत के अंतर से ज्यादा यहां नोटा वोट था.

Chhattisgarh Election 2023
धमतरी में पिछले चुनाव में नोटा वोटों का हाल

केस 02 खैरागढ़ सीट: यहां पर कुल मतदाता दो लाख 01 हजार 701 थे. इसमें कुल मतदान हुआ एक लाख 67 हजार 441 . नोटा के तहत वोट डाले गए तीन हजार 68. हार जीत का अंतर रहा 870 वोटों से. यानि यहां पर भी हार-जीत के अंतर से ज्यादा नोटा वोट डाला गया था. अगर बड़े रूप में देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में 2018 के चुनाव में 15 सीटों पर हार-जीत का अंतर पांच हजार वोटों से भी कम का था. वहीं दूसरी तरफ नोटा वोट कई विधानसभा में पांच हजार से भी ज्यादा था. इस वजह से पूरा चुनाव परिणाम बहुत रोचक हो गया था.

Chhattisgarh Election 2023
खैरागढ़ विधानसभा सीट पर नोटा वोटों की स्थिति

छत्तीसगढ में नोटा कब से शुरू हुआ ?: साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने नोटा की व्यवस्था लागू करने की बात पहली बार की थी. इसके बाद याचिका लगाई गई. इस पर 2013 में इसका विकल्प मतदान के समय दिया गया. ईवीएम में लिखा गया ‘इनमें से कोई नहीं’ यानी नोटा. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि नोटा के वोटों को गिना जरूर जाएगा, पर किसी भी पार्टी में जोड़ा नहीं जाएगा. यानि कुल मिलाकर, जब 2013 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब पहली बार नोटा का उपयोग करने का अधिकार मतदाताओं को मिला था.

नोटा कब शुरू और कहां शुरू हुआ ? : नोटा का पहला उपयोग अमेरिकी लोकतंत्र में हुआ था. कैलीफोर्निया में 1976 में इस्ला विस्टा म्युनिसिपल एडवाइजरी कैंसिंल के चुनाव हुए थे. वहां नोटा का इस्तेमाल किया गया था. फिर ये दुनियाभर के देशों में लागू हुआ. इसमें यूरोप के कई देश भी शामिल हैं. इसके लिए अलग-अलग नामों का इस्तेमाल होता है. कुछ देश में ये व्यवस्था 'नन ऑफ दीज कैंडिडेट के नाम से भी इस्तेमाल होती है.

छत्तीसगढ़ में कितने नोटा वोट पड़े ?: छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में नोटा को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है. इसी वजह से पिछले चुनावों के नोटा वोट का डेटा फिर से देखा जाने लगा है. डेटा के अनुसार, 2013 में करीब चार लाख एक हजार 058 वोट नोटा के तहत डाले गए थे. जो कि कुल वोट का 3.07 फीसदी थे. वहीं 2018 में जब छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जगह कांग्रेस की सरकार आई,तब करीब दो लाख 82 हजार 738 वोट नोटा के तहत डाले गए थे. जो कुल वोट के 1.98 फीसदी थे.

Effect of NOTA in Chhattisgarh Elections
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नोटा ने चलाया सोटा


इस बार भी क्या नोटा होगा ज्यादा इस्तेमाल ?: इस सवाल का जवाब पक्के से नहीं दिया जा सकता है.पर जो परिस्थितियां सामने हैं उनसे इनकार भी नहीं किया जा सकता है. सरकार के खिलाफ कई संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा हैं. जो सरकार द्वारा की गई घोषणाओं पर अमल नहीं होने की वजह से नाराज हैं.

"पहले की सरकार हो या वर्तमान, कर्मचारियों की मांगों को सुना नहीं गया है. जिस प्रकार से कर्मचारियों ने बीजेपी को सत्ता से बाहर किया था, इस कांग्रेस को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. यही स्थिति रही तो कर्मचारियों का वोट नोटा में भी जा सकता है"- अजय तिवारी, प्रांतीय संरक्षक, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ

राज्य में 20 लाख वोट बिगाड़ सकते हैं समीकरण: सरकार से नाराज कर्मचारियों और उनके परिवार के वोट करीब 20 लाख बताए जाते हैं. छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांतीय प्रवक्ता विजय कुमार डागा ने बताया" 6 लाख शासकीय कर्मचारी हैं, यदि उनके परिवारों को जोड़ा जाए तो 20 लाख वोट चुनाव में शासकीय कर्मचारियों और उनके परिवार के पड़ते हैं. सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं कर रही है. हमारे पास नोटा का विकल्प है.यह विकल्प भी इसीलिए बनाया गया है कि आपको यदि कोई पसंद नहीं है तो आर इस पर वोट कर सकते हैं. यदि मांगे पूरी नहीं हुई तो लगभग 20 लाख से ज्यादा वोट नोटा में जाएंगे"

कर्मचारियों ने छत्तीसगढ़ चुनाव में नोटा इस्तेमाल करने की दी धमकी

संविदाकर्मियों ने नोटा को लेकर अभी स्थिति नहीं की स्पष्ट: संविदा कर्मी लंबे समय से अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. ये कर्मी नया रायपुर में प्रदर्शन कर रहे हैं. इनसे जब चुनावी रणनीति को लेकर चर्चा की गई तो उनका कहना था कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी सरकार ने हमारी नहीं सुनी. इसका परिणाम सत्ता परिवर्तन के रूप में देखने को मिला है. संविदा कर्मियों की प्रदेश में लगभग 45000 संख्या है .यदि हमने चुनाव को लेकर कोई निर्णय लिया तो उसका असर भी देखने को मिलेगा. हालांकि नोटा को लेकर उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है.

क्या नोटा का फायदा बीजेपी को मिल सकता है ?: बीजेपी नेताओं ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नोटा वोटों की संख्या में गिरावट दर्ज होने की बात कही है.

छत्तीसगढ़ में NOTA वोटों का समीकरण समझिए

"पिछली बार नोटा का उपयोग मतदाताओं ने किया था. इस बार यह काफी कम होगा. नोटा वोट कम होगा, तो वो वोट बीजेपी के पक्ष में जाएगा. क्योंकि कांग्रेस सरकार में अपराध ,रेत माफिया, भू माफिया, गौठान घोटाला, शराब घोटाला और चावल घोटाला हुआ है. जो मतदाता नोटा का उपयोग करते थे. वो निश्चित रूप से अब इस सरकार को बदलने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट करेंगे"- केदार गुप्ता, प्रवक्ता, बीजेपी

नोटा को लेकर कांग्रेस का अपना अलग तर्क है

"सरकार ने अच्छा काम किया है इसलिए इस बार नोटा में जनता का वोट नहीं जाएगा. कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम सरकार ने चालू की है. इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा"- धनंजय सिंह, प्रवक्ता, कांग्रेस



बस्तर में सबसे ज्यादा नोटा का इस्तेमाल :चुनाव में नोटा की भागीदारी को लेकर राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि,'नोटा का छत्तीसगढ़ में इस्तेमाल सबसे ज्यादा बस्तर क्षेत्र में देखने को मिला है'. वैसे डेटा देखा जाए तो पांच हजार से ज्यादा वोट बस्तर, कोंडागांव और पत्थल गांव में पड़े थे. अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि युवा वर्ग की बात की जाए तो चुनाव में उनके सामने अनिश्चितता की स्थिति होती है. किसे चुनें, किसे नहीं. एक आंकलन किया जा सकता है कि युवाओं का ज्यादातर वोट नोटा में जाता है. छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय पार्टियां से ज्यादा वोट नोटा को जाता है.

NOTA vote count in Chhattisgarh assembly elections
छत्तसीगढ़ विधानसभा चुनाव में नोटा वोटों का हिसाब किताब
छत्तीसगढ़ की इन दो सीटों पर नोटा पड़ा भारी, जीते सांसदों के मार्जिन से भी है ज्यादा
'नोटा से घबरा जाते हैं उम्मीदवार', जानें क्या है एक्सपर्ट की राय
विश्लेषण : राजनांदगांव लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहा नोटा, बसपा प्रत्याशी से भी ज्यादा पड़े वोट

वरिष्ठ पत्रकार अनिल द्विवेदी का कहना है कि "आदिवासी ज्यादा शिक्षित ओर साक्षर नहीं है. पर इसके बाद भी यहां के लोगों ने पिछले चुनाव में सबसे अधिक नोटा का इस्तेमाल किया था. आदिवासियों ने नोटा का इस्तेमाल करके पूरे देश को सकते में डाल दिया था".

बहरहाल, नोटा एक ऐसा अधिकार है. जिसका उपयोग छत्तीसगढ़ के मतदाता अच्छे से करते आ रहे हैं. अब आंदोलनों की बाढ़, नोटा का अधिकार और उसका उपयोग करने की शिक्षा में इस्तेमाल कितना जनता अपने हक में करती है. ये आने वाले चुनाव में देखने को मिलेगा. पर ये तय है कि नोटा का उपयोग छत्तीसगढ़ के चुनाव और उसके परिणाम को रोचक बना देगा.

रायपुर: नोटा यानि कि 'None Of The Above'.(NOTA) ये एक अधिकार है, जो निवार्चन आयोग मतदाताओं को देता है कि, वो चुनाव में खड़े किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में वोट दें या नहीं दे. इस अधिकार का छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में मतदाता जमकर उपयोग करते हैं. इस समय रायपुर में तमाम संगठन प्रदर्शन भी कर रहे हैं. कई संगठन कह रहे हैं मांगे नहीं मांनी गई तो नोटा के तहत वोट पड़ेंगे. वहीं पार्टियों ने माहौल और नोटा को मिलाकर अपने फायदे नुकसान का गणित लगाना शुरू कर दिया है. नोटा इतना महत्त्वपूर्ण क्यों हैं ? सबसे पहले इसको समझते हैं.

केस 01 धमतरी सीट: विधानसभा चुनाव 2018 के परिणामों में धमतरी का नाम बहुत लिया गया. अब तो शायद मतदाताओं को भी याद नहीं होगा कि ऐसा क्यों हुआ था ? कारण जान लीजिए. यहां पर हार-जीत का फैसला केवल 464 वोटों के अंतर से हुआ था. धमतरी विधानसभा सीट पर कुल वोटर थे, 2 लाख 09 हजार 369. इनमें से एक लाख 71 हजार 931 ने वोट डाला था. इसके अलावा यहां नोटा वोट 551 पड़े थे. यानि इतने मतदाताओं ने किसी को मत के लायक नहीं समझा था. यानि हार-जीत के अंतर से ज्यादा यहां नोटा वोट था.

Chhattisgarh Election 2023
धमतरी में पिछले चुनाव में नोटा वोटों का हाल

केस 02 खैरागढ़ सीट: यहां पर कुल मतदाता दो लाख 01 हजार 701 थे. इसमें कुल मतदान हुआ एक लाख 67 हजार 441 . नोटा के तहत वोट डाले गए तीन हजार 68. हार जीत का अंतर रहा 870 वोटों से. यानि यहां पर भी हार-जीत के अंतर से ज्यादा नोटा वोट डाला गया था. अगर बड़े रूप में देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में 2018 के चुनाव में 15 सीटों पर हार-जीत का अंतर पांच हजार वोटों से भी कम का था. वहीं दूसरी तरफ नोटा वोट कई विधानसभा में पांच हजार से भी ज्यादा था. इस वजह से पूरा चुनाव परिणाम बहुत रोचक हो गया था.

Chhattisgarh Election 2023
खैरागढ़ विधानसभा सीट पर नोटा वोटों की स्थिति

छत्तीसगढ में नोटा कब से शुरू हुआ ?: साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने नोटा की व्यवस्था लागू करने की बात पहली बार की थी. इसके बाद याचिका लगाई गई. इस पर 2013 में इसका विकल्प मतदान के समय दिया गया. ईवीएम में लिखा गया ‘इनमें से कोई नहीं’ यानी नोटा. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि नोटा के वोटों को गिना जरूर जाएगा, पर किसी भी पार्टी में जोड़ा नहीं जाएगा. यानि कुल मिलाकर, जब 2013 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब पहली बार नोटा का उपयोग करने का अधिकार मतदाताओं को मिला था.

नोटा कब शुरू और कहां शुरू हुआ ? : नोटा का पहला उपयोग अमेरिकी लोकतंत्र में हुआ था. कैलीफोर्निया में 1976 में इस्ला विस्टा म्युनिसिपल एडवाइजरी कैंसिंल के चुनाव हुए थे. वहां नोटा का इस्तेमाल किया गया था. फिर ये दुनियाभर के देशों में लागू हुआ. इसमें यूरोप के कई देश भी शामिल हैं. इसके लिए अलग-अलग नामों का इस्तेमाल होता है. कुछ देश में ये व्यवस्था 'नन ऑफ दीज कैंडिडेट के नाम से भी इस्तेमाल होती है.

छत्तीसगढ़ में कितने नोटा वोट पड़े ?: छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में नोटा को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है. इसी वजह से पिछले चुनावों के नोटा वोट का डेटा फिर से देखा जाने लगा है. डेटा के अनुसार, 2013 में करीब चार लाख एक हजार 058 वोट नोटा के तहत डाले गए थे. जो कि कुल वोट का 3.07 फीसदी थे. वहीं 2018 में जब छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जगह कांग्रेस की सरकार आई,तब करीब दो लाख 82 हजार 738 वोट नोटा के तहत डाले गए थे. जो कुल वोट के 1.98 फीसदी थे.

Effect of NOTA in Chhattisgarh Elections
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नोटा ने चलाया सोटा


इस बार भी क्या नोटा होगा ज्यादा इस्तेमाल ?: इस सवाल का जवाब पक्के से नहीं दिया जा सकता है.पर जो परिस्थितियां सामने हैं उनसे इनकार भी नहीं किया जा सकता है. सरकार के खिलाफ कई संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा हैं. जो सरकार द्वारा की गई घोषणाओं पर अमल नहीं होने की वजह से नाराज हैं.

"पहले की सरकार हो या वर्तमान, कर्मचारियों की मांगों को सुना नहीं गया है. जिस प्रकार से कर्मचारियों ने बीजेपी को सत्ता से बाहर किया था, इस कांग्रेस को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. यही स्थिति रही तो कर्मचारियों का वोट नोटा में भी जा सकता है"- अजय तिवारी, प्रांतीय संरक्षक, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ

राज्य में 20 लाख वोट बिगाड़ सकते हैं समीकरण: सरकार से नाराज कर्मचारियों और उनके परिवार के वोट करीब 20 लाख बताए जाते हैं. छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांतीय प्रवक्ता विजय कुमार डागा ने बताया" 6 लाख शासकीय कर्मचारी हैं, यदि उनके परिवारों को जोड़ा जाए तो 20 लाख वोट चुनाव में शासकीय कर्मचारियों और उनके परिवार के पड़ते हैं. सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं कर रही है. हमारे पास नोटा का विकल्प है.यह विकल्प भी इसीलिए बनाया गया है कि आपको यदि कोई पसंद नहीं है तो आर इस पर वोट कर सकते हैं. यदि मांगे पूरी नहीं हुई तो लगभग 20 लाख से ज्यादा वोट नोटा में जाएंगे"

कर्मचारियों ने छत्तीसगढ़ चुनाव में नोटा इस्तेमाल करने की दी धमकी

संविदाकर्मियों ने नोटा को लेकर अभी स्थिति नहीं की स्पष्ट: संविदा कर्मी लंबे समय से अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. ये कर्मी नया रायपुर में प्रदर्शन कर रहे हैं. इनसे जब चुनावी रणनीति को लेकर चर्चा की गई तो उनका कहना था कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी सरकार ने हमारी नहीं सुनी. इसका परिणाम सत्ता परिवर्तन के रूप में देखने को मिला है. संविदा कर्मियों की प्रदेश में लगभग 45000 संख्या है .यदि हमने चुनाव को लेकर कोई निर्णय लिया तो उसका असर भी देखने को मिलेगा. हालांकि नोटा को लेकर उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है.

क्या नोटा का फायदा बीजेपी को मिल सकता है ?: बीजेपी नेताओं ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नोटा वोटों की संख्या में गिरावट दर्ज होने की बात कही है.

छत्तीसगढ़ में NOTA वोटों का समीकरण समझिए

"पिछली बार नोटा का उपयोग मतदाताओं ने किया था. इस बार यह काफी कम होगा. नोटा वोट कम होगा, तो वो वोट बीजेपी के पक्ष में जाएगा. क्योंकि कांग्रेस सरकार में अपराध ,रेत माफिया, भू माफिया, गौठान घोटाला, शराब घोटाला और चावल घोटाला हुआ है. जो मतदाता नोटा का उपयोग करते थे. वो निश्चित रूप से अब इस सरकार को बदलने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट करेंगे"- केदार गुप्ता, प्रवक्ता, बीजेपी

नोटा को लेकर कांग्रेस का अपना अलग तर्क है

"सरकार ने अच्छा काम किया है इसलिए इस बार नोटा में जनता का वोट नहीं जाएगा. कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम सरकार ने चालू की है. इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा"- धनंजय सिंह, प्रवक्ता, कांग्रेस



बस्तर में सबसे ज्यादा नोटा का इस्तेमाल :चुनाव में नोटा की भागीदारी को लेकर राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि,'नोटा का छत्तीसगढ़ में इस्तेमाल सबसे ज्यादा बस्तर क्षेत्र में देखने को मिला है'. वैसे डेटा देखा जाए तो पांच हजार से ज्यादा वोट बस्तर, कोंडागांव और पत्थल गांव में पड़े थे. अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि युवा वर्ग की बात की जाए तो चुनाव में उनके सामने अनिश्चितता की स्थिति होती है. किसे चुनें, किसे नहीं. एक आंकलन किया जा सकता है कि युवाओं का ज्यादातर वोट नोटा में जाता है. छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय पार्टियां से ज्यादा वोट नोटा को जाता है.

NOTA vote count in Chhattisgarh assembly elections
छत्तसीगढ़ विधानसभा चुनाव में नोटा वोटों का हिसाब किताब
छत्तीसगढ़ की इन दो सीटों पर नोटा पड़ा भारी, जीते सांसदों के मार्जिन से भी है ज्यादा
'नोटा से घबरा जाते हैं उम्मीदवार', जानें क्या है एक्सपर्ट की राय
विश्लेषण : राजनांदगांव लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहा नोटा, बसपा प्रत्याशी से भी ज्यादा पड़े वोट

वरिष्ठ पत्रकार अनिल द्विवेदी का कहना है कि "आदिवासी ज्यादा शिक्षित ओर साक्षर नहीं है. पर इसके बाद भी यहां के लोगों ने पिछले चुनाव में सबसे अधिक नोटा का इस्तेमाल किया था. आदिवासियों ने नोटा का इस्तेमाल करके पूरे देश को सकते में डाल दिया था".

बहरहाल, नोटा एक ऐसा अधिकार है. जिसका उपयोग छत्तीसगढ़ के मतदाता अच्छे से करते आ रहे हैं. अब आंदोलनों की बाढ़, नोटा का अधिकार और उसका उपयोग करने की शिक्षा में इस्तेमाल कितना जनता अपने हक में करती है. ये आने वाले चुनाव में देखने को मिलेगा. पर ये तय है कि नोटा का उपयोग छत्तीसगढ़ के चुनाव और उसके परिणाम को रोचक बना देगा.

Last Updated : Aug 2, 2023, 6:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.