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औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ का विभागों में समायोजन को लेकर आत्मदाह की चेतावनी - औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ अध्यक्ष टिकेश्वर यादव

सोमवार को पूर्व में कार्यरत औपचारिकेत्तर शिक्षा के अनुदेशक और पर्यवेक्षकों को योग्यता अनुसार विभिन्न विभागों में समायोजन करने को लेकर दोपहर 3 से 4 बजे तक आत्मदाह की चेतावनी दी गई थी. प्रशासन की ओर से संयुक्त कलेक्टर निधि साहू और तहसीलदार द्वारा औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ को समझाइश दी गई.

Self-immolation warning of non-formal teachers union
औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ की आत्मदाह की चेतावनी
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Published : Sep 5, 2022, 10:37 PM IST

रायपुर: सोमवार को पूर्व में कार्यरत औपचारिकेत्तर शिक्षा के अनुदेशक और पर्यवेक्षकों को योग्यता अनुसार विभिन्न विभागों में समायोजन करने को लेकर दोपहर 3 से 4 बजे तक आत्मदाह की चेतावनी दी गई थी. जिसके बाद पुलिस और प्रशासन को इन्हें रोकने के लिए काफी मशक्कत (Non formal teachers union warns of self immolation) करनी पड़ी. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही प्रशासन की ओर से संयुक्त कलेक्टर निधि साहू और तहसीलदार द्वारा आत्मदाह की चेतावनी देने वाले औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ को समझाइश दी गई. इन प्रदर्शनकारियों को मंत्रालय में अधिकारी से मुलाकात के लिए प्रतिनिधि मंडल को ले गए थे. जिसके बाद फिलहाल आत्मदाह का यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है.

संघ का विभागों में समायोजन को लेकर आत्मदाह की चेतावनी
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्रालय में अधिकारियों से की मुलाकात: सोमवार का दिन राजधानी के बूढ़ा तालाब में काफी गहमागहमी का माहौल रहा. एक तरफ प्रदेश के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी है. दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ द्वारा मुख्यमंत्री निवास घेराव का कार्यक्रम था. साथ ही छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ द्वारा आत्मदाह की चेतावनी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था.आत्मदाह के इस कार्यक्रम को देखते हुए पुलिस के जवान फायर ब्रिगेड के उपकरण हाथ में लेकर मौके पर मौजूद थे. इसके साथ ही प्रदर्शन स्थल पर एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी बुलाई गई थी. काफी देर तक पुलिस और प्रशासन की मशक्कत के बाद प्रतिनिधिमंडल मंत्रालय जाने को तैयार हुआ. मंत्रालय से प्रतिनिधिमंडल को कुछ आश्वासन भी मिले हैं. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने आत्मदाह की चेतावनी जैसे कार्यक्रम को स्थगित कर दिया. यह भी पढ़ें: रायपुर में होगा बीजेपी का मेगा शो, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भव्य स्वागत की तैयारी


फरियाद सुनने वाला कोई मंत्री और अधिकारी नहीं: छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष टिकेश्वर यादव ने बताया कि "हाईकोर्ट में केस जीतने के बाद भी इनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं था. कई बार शासन के मंत्री और अधिकारियों को ज्ञापन देने के बाद भी इनकी मांग पर किसी तरह का कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल पाया. जिससे तंग आकर मानसिक रूप से परेशान आज आत्मदाह जैसे कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा. 2 सितंबर को छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ज्ञापन भी सौंपा था. उन्होंने कहा कि "ऐसे अंधेर नगरी में जीने से क्या फायदा ऐसे में मौत को गले लगाना ज्यादा अच्छा है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि या तो उन्हें मध्यप्रदेश में भेज दिया जाए या फिर सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ में उन्हें नौकरी दी जाए. मध्यप्रदेश में औपचारिकेत्तर शिक्षक आज भी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के औपचारिकेत्तर शिक्षकों को अपने काम से हाथ धोना पड़ा है."

लगभग 4500 है औपचारिकेत्तर शिक्षक: औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ के कोरबा परियोजना के अध्यक्ष रामलाल गबेर ने बताया कि " पूरे प्रदेश में औपचारिकेत्तर शिक्षकों की संख्या लगभग 4500 है. जो पिछले 22 सालों से बेरोजगार हो गए हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय सन 1975 में औपचारिकेत्तर शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई थी. लेकिन सन 1999 में औपचारिकेत्तर शिक्षक का पद समाप्त कर दिया गया. जिसके बाद छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ अपनी मांगों को लेकर कानून का दरवाजा खटखटाया. औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ ने बताया कि "साल 2005 में जबलपुर हाईकोर्ट से केस जीत गए थे. उसके बाद छत्तीसगढ के बिलासपुर हाईकोर्ट से 2010 में केस जीतने के बाद भी उन्हें बेरोजगार रहना पड़ रहा है. ऐसे में उनके सामने करो या मरो की स्थिति है. जिससे तंग आकर शिक्षक दिवस के दिन दोपहर 3 से 4 बजे तक आत्मदाह की चेतावनी दी थी. इसकी पूरी जवाबदारी सरकार और प्रशासन के ऊपर होगा."

रायपुर: सोमवार को पूर्व में कार्यरत औपचारिकेत्तर शिक्षा के अनुदेशक और पर्यवेक्षकों को योग्यता अनुसार विभिन्न विभागों में समायोजन करने को लेकर दोपहर 3 से 4 बजे तक आत्मदाह की चेतावनी दी गई थी. जिसके बाद पुलिस और प्रशासन को इन्हें रोकने के लिए काफी मशक्कत (Non formal teachers union warns of self immolation) करनी पड़ी. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही प्रशासन की ओर से संयुक्त कलेक्टर निधि साहू और तहसीलदार द्वारा आत्मदाह की चेतावनी देने वाले औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ को समझाइश दी गई. इन प्रदर्शनकारियों को मंत्रालय में अधिकारी से मुलाकात के लिए प्रतिनिधि मंडल को ले गए थे. जिसके बाद फिलहाल आत्मदाह का यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है.

संघ का विभागों में समायोजन को लेकर आत्मदाह की चेतावनी
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्रालय में अधिकारियों से की मुलाकात: सोमवार का दिन राजधानी के बूढ़ा तालाब में काफी गहमागहमी का माहौल रहा. एक तरफ प्रदेश के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी है. दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ द्वारा मुख्यमंत्री निवास घेराव का कार्यक्रम था. साथ ही छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ द्वारा आत्मदाह की चेतावनी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था.आत्मदाह के इस कार्यक्रम को देखते हुए पुलिस के जवान फायर ब्रिगेड के उपकरण हाथ में लेकर मौके पर मौजूद थे. इसके साथ ही प्रदर्शन स्थल पर एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी बुलाई गई थी. काफी देर तक पुलिस और प्रशासन की मशक्कत के बाद प्रतिनिधिमंडल मंत्रालय जाने को तैयार हुआ. मंत्रालय से प्रतिनिधिमंडल को कुछ आश्वासन भी मिले हैं. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने आत्मदाह की चेतावनी जैसे कार्यक्रम को स्थगित कर दिया. यह भी पढ़ें: रायपुर में होगा बीजेपी का मेगा शो, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भव्य स्वागत की तैयारी


फरियाद सुनने वाला कोई मंत्री और अधिकारी नहीं: छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष टिकेश्वर यादव ने बताया कि "हाईकोर्ट में केस जीतने के बाद भी इनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं था. कई बार शासन के मंत्री और अधिकारियों को ज्ञापन देने के बाद भी इनकी मांग पर किसी तरह का कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल पाया. जिससे तंग आकर मानसिक रूप से परेशान आज आत्मदाह जैसे कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा. 2 सितंबर को छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ज्ञापन भी सौंपा था. उन्होंने कहा कि "ऐसे अंधेर नगरी में जीने से क्या फायदा ऐसे में मौत को गले लगाना ज्यादा अच्छा है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि या तो उन्हें मध्यप्रदेश में भेज दिया जाए या फिर सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ में उन्हें नौकरी दी जाए. मध्यप्रदेश में औपचारिकेत्तर शिक्षक आज भी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के औपचारिकेत्तर शिक्षकों को अपने काम से हाथ धोना पड़ा है."

लगभग 4500 है औपचारिकेत्तर शिक्षक: औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ के कोरबा परियोजना के अध्यक्ष रामलाल गबेर ने बताया कि " पूरे प्रदेश में औपचारिकेत्तर शिक्षकों की संख्या लगभग 4500 है. जो पिछले 22 सालों से बेरोजगार हो गए हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय सन 1975 में औपचारिकेत्तर शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई थी. लेकिन सन 1999 में औपचारिकेत्तर शिक्षक का पद समाप्त कर दिया गया. जिसके बाद छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ अपनी मांगों को लेकर कानून का दरवाजा खटखटाया. औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ ने बताया कि "साल 2005 में जबलपुर हाईकोर्ट से केस जीत गए थे. उसके बाद छत्तीसगढ के बिलासपुर हाईकोर्ट से 2010 में केस जीतने के बाद भी उन्हें बेरोजगार रहना पड़ रहा है. ऐसे में उनके सामने करो या मरो की स्थिति है. जिससे तंग आकर शिक्षक दिवस के दिन दोपहर 3 से 4 बजे तक आत्मदाह की चेतावनी दी थी. इसकी पूरी जवाबदारी सरकार और प्रशासन के ऊपर होगा."

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