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SPECIAL: खेल से हो रहा खिलवाड़, लगातार कम हो रहे खेल के मैदान, प्रैक्टिस तक के लिए नहीं बची जगह

रायपुर के खेल मैदान विलुप्त होने के कगार पर हैं. ज्यादातर मैदानों में राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते रहते हैं. हालात ऐसे कि खिलाड़ियों के प्रैक्टिस तक के लिए मैदानों में जगह नहीं बची है.

playgrounds of Raipur
रायपुर में विलुप्त होते खेल मैदान
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Published : Nov 10, 2020, 10:49 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धीरे-धीरे खेल के मैदान खत्म होते जा रहे हैं. हम उन खेल मैदानों की बात कर रहे हैं, जहां गली मोहल्ले के बच्चे बिना किसी रूकावट के खेला करते थे. इन मैदानों में क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो, टेनिस, बैडमिंटन सहित कई खेल होते थे. लेकिन समय के साथ-साथ कई खेल मैदान विलुप्त हो गए तो कुछ पर अतिक्रमण कर लिया गया. साथ ही कुछ सियासत की भेंट चढ़ गए. जिसकी वजह से बच्चों को गलियों में खेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे में छत्तीसगढ़ को अच्छे खिलाड़ी कैसे मिलेंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है.

रायपुर में विलुप्त होते खेल मैदान

खिलाड़ियों ने बताया कि आज शहर में खेल मैदान ना होने की वजह से उन्हें प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. खिलाड़ी विनय भूटान ने बताया कि यहां मात्र 4-6 मैदान उपलब्ध हैं. लेकिन उन मैदानों में खेल छोड़ बाकी सारे आयोजन किए जाते हैं. ऐसे में उन्हें प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कत होती है.

प्रैक्टिस करने में हो रही दिक्कत

यदुवंश मणि मिश्रा का कहना है कि मैदान ना होने की वजह से उन्हें फुटबॉल की प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कत हो रही है. कुछ मैदानों में फुटबॉल की प्रैक्टिस करना भी संभव नहीं है. बावजूद इसके उस मैदान में इन्हें छोटे-छोटे पास देकर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. इसके बाद जब वे बड़े मैदान में खेलते हैं तो इसका प्रभाव सीधे तौर पर उनके प्रदर्शन पर पड़ता है. विकास मिंज ने बताया कि अब खुली जगह पर कालोनियां बन गई है. खेल के मैदान कम हो गए हैं. जिस वजह से उन्हें प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही क्लब दूर होने की वजह से वे वहां प्रैक्टिस के लिए नहीं जा पाते हैं. इस दौरान उन्होंने सरकार से खेल मैदान को बचाने की अपील भी की.

पढ़ें-रायपुर: हिंद स्पोर्टिंग ग्राउंड में लगाया जाएगा पटाखों का बाजार

'खेल छोड़ बाकी सभी आयोजन होते हैं'

वहीं फुटबॉल कोच प्रीतम यादव का कहना है कि खेल मैदान ना होने की वजह से बहुत परेशानी होती है. प्रैक्टिस के लिए मैदान नहीं है और यदि मैदान ही नहीं होंगे तो बच्चे प्रैक्टिस कहां करेंगे. उनका फिटनेस कैसे अच्छा रहेगा. रायपुर में गिने-चुने मैदान हैं, उसमें भी खेल छोड़ बाकी सभी आयोजन होते हैं.

मैदान पर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

वहीं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि पहले हर मोहल्ले में खेल मैदान हुआ करता था. लेकिन अब धीरे-धीरे खेल मैदान खत्म हो गए हैं. इसके अलावा जो खेल मैदान बच गए उसमें धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम होते हैं. उन्होंने खेल विभाग से खेल मैदानों में सिर्फ खेल के आयोजन की व्यवस्था बनाए जाने की मांग की है. भाजपा की इस मांग पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पिछले 15 साल के भाजपा शासनकाल में कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार के चलते बिना योजना के खेल मैदानों पर बहुत सारे निर्माण किए गए थे.जिसका लाभ यहां खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रहा है. भूपेश बघेल की सरकार स्टेडियमों का लाभ खिलाड़ियों के मिले इसके लिए ठोस नीति तैयार करेगी.

पढ़ें-कटघोरा: खेल का मैदान बना शराब पीने का अड्डा, मैदान में पड़ी रहती हैं शराब की बोतलें

दिल्ली के प्रगति मैदान की तर्ज पर बनेगा नया मैदान

महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि पूर्व में खेल मैदान को लेकर ध्यान नहीं दिया गया. लेकिन उनके महापौर बनने के बाद खेल मैदान को संरक्षित किया जा रहा है. साथ ही खेल मैदानों पर लगने वाले मेले को भी आने वाले समय में अन्य जगह ले जाया जाएगा. इन मेलों के लिए एक अलग जगह देखी गई है और वहां पर ही मेला लगाया जाएगा. यह मेला मैदान दिल्ली के प्रगति मैदान की तर्ज पर बनेगा. इसके बनने के बाद शहर के अंदर खेल मैदानों में सिर्फ खेल के आयोजन होंगे.

योजनाओं में खेल मैदान ही गायब

बता दें कि केंद्र सहित राज्य सरकारों ने खेल को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं बनाई है. लेकिन उन योजनाओं में खेल मैदान ही गायब है. जिस वजह से खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए जगह ही नहीं मिलती है. ऐसे में बेहतर और अच्छे खिलाड़ी कैसे निकलेंगे इसका अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है.

पढ़ें-कोरिया: बच्चों के लिए खेल मैदान का वन विभाग ने किया सीमांकन, ग्रामीणों ने दिया धन्यवाद

रायपुर के प्रमुख खेल मैदानों पर एक नजर-

गॉस मेमोरियल मैदान

जिसमें महीनों से फन वर्ल्ड फेयर लगा हुआ है, इसके अलावा यहां पर गरबा और कार एग्जिबिशन सहित कई अन्य आयोजन होते रहे हैं. बस नहीं होता है तो खेल का आयोजन.

सप्रे शाला मैदान

एक समय यह मैदान काफी बढ़ा हुआ करता था, यहां एक साथ दो हॉकी के मैच होते थे. लेकिन बाद में सड़क चौड़ीकरण के चलते इस मैदान का आकार काफी छोटा हो गया. साथ ही इस मैदान में अलग-अलग खेलों के मैदान भी बना दिए गए. जिस वजह से यह विशाल मैदान अपने अस्तित्व को खो चुका है.

गांधी मैदान
पुराना कांग्रेस भवन के सामने स्थित है गांधी मैदान, यहां पर कार पार्किंग की जाती है. साथ ही हाल ही में सड़क चौड़ीकरण के कारण भी इस मैदान का बहुत बड़ा हिस्सा खत्म होने वाला है. इस मैदान का उपयोग पिछले कई साल से खेल के लिए नहीं किया जा सका है.

नेताजी सुभाष स्टेडियम

यह मैदान काफी पुराना है, यहां हॉकी और फुटबॉल का मैदान हुआ करता था. लेकिन साल 2018 में नगर निगम ने लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत से नए सिरे से स्टेडियम का निर्माण कराया. बड़ी बिल्डिंग तैयार की गई लेकिन ग्राउंड इतना छोटा कर दिया गया कि यहां पर हॉकी और फुटबॉल के मैच होना मुश्किल है. हालांकि, कबड्डी के कई मैच इस मैदान पर हो चुके हैं.

हिंद स्पोर्टिंग मैदान
यह एक समय काफी बड़ा फुटबॉल मैदान हुआ करता था. लेकिन इस पर अवैध कब्जा कर मैदान का आकार छोटा कर दिया गया है. साथ ही यहां पर वर्तमान में धरना प्रदर्शन जैसे आयोजन होते हैं.

साइंस कॉलेज मैदान

यहां कभी कई खेलों के आयोजन एक साथ हुआ करते थे. क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी ऐसे आयोजन इस मैदान में होते रहे है. लेकिन बाद में इस मैदान का स्वरूप भी छोटा कर दिया गया है. यहां हॉकी स्टेडियम, ऑडिटोरियम सहित अन्य चीजें बना दी गई. बचे-कुचे मैदान पर राज्योत्सव, युवा महोत्सव सहित अन्य आयोजन किए गए हैं.

जेएन पांडे स्कूल
पिछले कुछ सालों तक यह मैदान भी काफी बढ़ा हुआ करता था. लेकिन सड़क चौड़ीकरण के बाद इस मैदान का आकार भी छोटा हो गया. जिस वजह से यहां अब पहले जैसे खेल के आयोजन नहीं हो पा रहे हैं.

बीटीआई मैदान

मैदान का कुछ हिस्सा सड़क चौड़ीकरण में चला गया और बाकी हिस्से पर आए दिन धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता हैं. इस वजह से इस मैदान का उपयोग भी खेल की गतिविधियों के लिए कम ही हो पाता है.

यही कारण है कि आज राजधानी रायपुर के खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए खेल मैदान की कमी से जूझना पड़ रहा है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धीरे-धीरे खेल के मैदान खत्म होते जा रहे हैं. हम उन खेल मैदानों की बात कर रहे हैं, जहां गली मोहल्ले के बच्चे बिना किसी रूकावट के खेला करते थे. इन मैदानों में क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो, टेनिस, बैडमिंटन सहित कई खेल होते थे. लेकिन समय के साथ-साथ कई खेल मैदान विलुप्त हो गए तो कुछ पर अतिक्रमण कर लिया गया. साथ ही कुछ सियासत की भेंट चढ़ गए. जिसकी वजह से बच्चों को गलियों में खेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे में छत्तीसगढ़ को अच्छे खिलाड़ी कैसे मिलेंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है.

रायपुर में विलुप्त होते खेल मैदान

खिलाड़ियों ने बताया कि आज शहर में खेल मैदान ना होने की वजह से उन्हें प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. खिलाड़ी विनय भूटान ने बताया कि यहां मात्र 4-6 मैदान उपलब्ध हैं. लेकिन उन मैदानों में खेल छोड़ बाकी सारे आयोजन किए जाते हैं. ऐसे में उन्हें प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कत होती है.

प्रैक्टिस करने में हो रही दिक्कत

यदुवंश मणि मिश्रा का कहना है कि मैदान ना होने की वजह से उन्हें फुटबॉल की प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कत हो रही है. कुछ मैदानों में फुटबॉल की प्रैक्टिस करना भी संभव नहीं है. बावजूद इसके उस मैदान में इन्हें छोटे-छोटे पास देकर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. इसके बाद जब वे बड़े मैदान में खेलते हैं तो इसका प्रभाव सीधे तौर पर उनके प्रदर्शन पर पड़ता है. विकास मिंज ने बताया कि अब खुली जगह पर कालोनियां बन गई है. खेल के मैदान कम हो गए हैं. जिस वजह से उन्हें प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही क्लब दूर होने की वजह से वे वहां प्रैक्टिस के लिए नहीं जा पाते हैं. इस दौरान उन्होंने सरकार से खेल मैदान को बचाने की अपील भी की.

पढ़ें-रायपुर: हिंद स्पोर्टिंग ग्राउंड में लगाया जाएगा पटाखों का बाजार

'खेल छोड़ बाकी सभी आयोजन होते हैं'

वहीं फुटबॉल कोच प्रीतम यादव का कहना है कि खेल मैदान ना होने की वजह से बहुत परेशानी होती है. प्रैक्टिस के लिए मैदान नहीं है और यदि मैदान ही नहीं होंगे तो बच्चे प्रैक्टिस कहां करेंगे. उनका फिटनेस कैसे अच्छा रहेगा. रायपुर में गिने-चुने मैदान हैं, उसमें भी खेल छोड़ बाकी सभी आयोजन होते हैं.

मैदान पर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

वहीं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि पहले हर मोहल्ले में खेल मैदान हुआ करता था. लेकिन अब धीरे-धीरे खेल मैदान खत्म हो गए हैं. इसके अलावा जो खेल मैदान बच गए उसमें धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम होते हैं. उन्होंने खेल विभाग से खेल मैदानों में सिर्फ खेल के आयोजन की व्यवस्था बनाए जाने की मांग की है. भाजपा की इस मांग पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पिछले 15 साल के भाजपा शासनकाल में कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार के चलते बिना योजना के खेल मैदानों पर बहुत सारे निर्माण किए गए थे.जिसका लाभ यहां खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रहा है. भूपेश बघेल की सरकार स्टेडियमों का लाभ खिलाड़ियों के मिले इसके लिए ठोस नीति तैयार करेगी.

पढ़ें-कटघोरा: खेल का मैदान बना शराब पीने का अड्डा, मैदान में पड़ी रहती हैं शराब की बोतलें

दिल्ली के प्रगति मैदान की तर्ज पर बनेगा नया मैदान

महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि पूर्व में खेल मैदान को लेकर ध्यान नहीं दिया गया. लेकिन उनके महापौर बनने के बाद खेल मैदान को संरक्षित किया जा रहा है. साथ ही खेल मैदानों पर लगने वाले मेले को भी आने वाले समय में अन्य जगह ले जाया जाएगा. इन मेलों के लिए एक अलग जगह देखी गई है और वहां पर ही मेला लगाया जाएगा. यह मेला मैदान दिल्ली के प्रगति मैदान की तर्ज पर बनेगा. इसके बनने के बाद शहर के अंदर खेल मैदानों में सिर्फ खेल के आयोजन होंगे.

योजनाओं में खेल मैदान ही गायब

बता दें कि केंद्र सहित राज्य सरकारों ने खेल को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं बनाई है. लेकिन उन योजनाओं में खेल मैदान ही गायब है. जिस वजह से खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए जगह ही नहीं मिलती है. ऐसे में बेहतर और अच्छे खिलाड़ी कैसे निकलेंगे इसका अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है.

पढ़ें-कोरिया: बच्चों के लिए खेल मैदान का वन विभाग ने किया सीमांकन, ग्रामीणों ने दिया धन्यवाद

रायपुर के प्रमुख खेल मैदानों पर एक नजर-

गॉस मेमोरियल मैदान

जिसमें महीनों से फन वर्ल्ड फेयर लगा हुआ है, इसके अलावा यहां पर गरबा और कार एग्जिबिशन सहित कई अन्य आयोजन होते रहे हैं. बस नहीं होता है तो खेल का आयोजन.

सप्रे शाला मैदान

एक समय यह मैदान काफी बढ़ा हुआ करता था, यहां एक साथ दो हॉकी के मैच होते थे. लेकिन बाद में सड़क चौड़ीकरण के चलते इस मैदान का आकार काफी छोटा हो गया. साथ ही इस मैदान में अलग-अलग खेलों के मैदान भी बना दिए गए. जिस वजह से यह विशाल मैदान अपने अस्तित्व को खो चुका है.

गांधी मैदान
पुराना कांग्रेस भवन के सामने स्थित है गांधी मैदान, यहां पर कार पार्किंग की जाती है. साथ ही हाल ही में सड़क चौड़ीकरण के कारण भी इस मैदान का बहुत बड़ा हिस्सा खत्म होने वाला है. इस मैदान का उपयोग पिछले कई साल से खेल के लिए नहीं किया जा सका है.

नेताजी सुभाष स्टेडियम

यह मैदान काफी पुराना है, यहां हॉकी और फुटबॉल का मैदान हुआ करता था. लेकिन साल 2018 में नगर निगम ने लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत से नए सिरे से स्टेडियम का निर्माण कराया. बड़ी बिल्डिंग तैयार की गई लेकिन ग्राउंड इतना छोटा कर दिया गया कि यहां पर हॉकी और फुटबॉल के मैच होना मुश्किल है. हालांकि, कबड्डी के कई मैच इस मैदान पर हो चुके हैं.

हिंद स्पोर्टिंग मैदान
यह एक समय काफी बड़ा फुटबॉल मैदान हुआ करता था. लेकिन इस पर अवैध कब्जा कर मैदान का आकार छोटा कर दिया गया है. साथ ही यहां पर वर्तमान में धरना प्रदर्शन जैसे आयोजन होते हैं.

साइंस कॉलेज मैदान

यहां कभी कई खेलों के आयोजन एक साथ हुआ करते थे. क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी ऐसे आयोजन इस मैदान में होते रहे है. लेकिन बाद में इस मैदान का स्वरूप भी छोटा कर दिया गया है. यहां हॉकी स्टेडियम, ऑडिटोरियम सहित अन्य चीजें बना दी गई. बचे-कुचे मैदान पर राज्योत्सव, युवा महोत्सव सहित अन्य आयोजन किए गए हैं.

जेएन पांडे स्कूल
पिछले कुछ सालों तक यह मैदान भी काफी बढ़ा हुआ करता था. लेकिन सड़क चौड़ीकरण के बाद इस मैदान का आकार भी छोटा हो गया. जिस वजह से यहां अब पहले जैसे खेल के आयोजन नहीं हो पा रहे हैं.

बीटीआई मैदान

मैदान का कुछ हिस्सा सड़क चौड़ीकरण में चला गया और बाकी हिस्से पर आए दिन धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता हैं. इस वजह से इस मैदान का उपयोग भी खेल की गतिविधियों के लिए कम ही हो पाता है.

यही कारण है कि आज राजधानी रायपुर के खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए खेल मैदान की कमी से जूझना पड़ रहा है.

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