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कमल विहार प्रोजेक्ट: न सड़क, न बिजली न पानी और निवेश 900 करोड़ रुपये

जैसे हर चमकती चीज सोना नहीं होती, ठीक वैसे ही ऊंची-ऊंची बिल्डिंग और बड़े प्रोजेक्ट फाइव स्टार नहीं होते. रायपुर का कमल विहार प्रोजेक्ट को लेकर भी लोगों का कुछ ऐसा ही कहना है. लोगों के मुताबिक वे जिन वादों को सुनकर इसका हिस्सा बने थे, आज वो सारे वादे खोखले साबित हुए, न सड़क है न बिजली लोग ऊंची अटालिका में बैठे पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं.

कमल विहार प्रोजेक्ट
कमल विहार प्रोजेक्ट
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Published : Aug 18, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 4:29 PM IST

रायपुर: 21 नंबर 2009 को कमल विहार लॉच किया गया. 900 करोड़ का यह प्रोजेक्ट आज पूरी तरह से डूब चुका है. न सड़क है, न बिजली, न सुरक्षा के कोई इंतजाम लोग अंधकार में जीने को मजबूर है. कमल विहार प्रोजेक्ट से कई लोगों के आशियाने जुड़े हैं. सैकड़ों की तादाद में लोगों ने रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के कमल विहार की जमीन खरीदी थी. इन लुभावने वादों से आकर्षित होकर काफी लोगों ने यहां अपना आशियाना बनाने को सपना देखा और मकान भी खरीदे, लेकिन आज यहीं लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. कई लोगों के लिए मकान बनाने का सपना बस सपना रहा गया. 1600 एकड़ में फैला ये प्रोजेक्ट बदहाली की मार झेल रहा है. जो लोग अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई लगा इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बने थे, आज उन्हें बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है.

न सड़क, न बिजली न पानी और निवेश 900 करोड़ रुपये

कमल विहार निवासी गौरव मिश्रा बताते हैं, वे 3 साल से यहां रह रहे हैं, यहां सबसे बड़ी समस्या बिजली की है. यहां बहुत से लोग टेंपरेरी बिजली कनेक्शन लेकर किसी तरह काम चला रहे हैं. वहीं सुरक्षा के लिहाज से कमल विहार बिल्कुल असुरक्षित है. किसी वक्त भी वारदात यहां दस्तक दे सकती है. यहां शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है. लोगों की लगातार शिकायत के बाद भी स्थिति जस की तस की बनी है. साफ-सफाई के भी पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं.

तार खींचकर टेंपरेरी कनेक्शन से घर हो रहा रोशन

सेंट्रल बिजनेस डिस्टिक में रहने वाले अनिल गुप्ता ने बताया कि उन्होंने 4 साल पहले कमर्शियल सेक्टर में प्लॉट खरीदा था और पिछले डेढ़ साल से वह दुकान खोल चुके हैं, लेकिन आरडीए के द्वारा परमानेंट बिजली मीटर का कनेक्शन की सुविधा भी उन्हें नहीं मिल पाई है. उन्होंने अपने दुकान के लिए 420 मीटर स्वयं के खर्च से तार खींचकर टेंपरेरी कनेक्शन लिया है, जो आंधी तूफान के आते ही बिजली के तार टूट जाते हैं.

सोनल भट्टाचार्य ने बताया कि जिन स्थानों पर घर बन चुके हैं, वहां स्ट्रीट लाइट नहीं पहुंच पाई है और सड़कों की बात की जाए तो सड़कें भी कच्ची है. रात के बाद यह स्ट्रीट लाइट भी बंद कर दी जाती है. इस कारण महिलाएं घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं, वो खुद को हर वक्त असुरक्षित महसूस करती हैं. वे ये भी बताती हैं कि बिजली का बिल हर महीने 10 से 15 हजार रुपए तक आता है. उन्होंने कहा कि आरडीए द्वारा किसी तरह की सुविधाएं नहीं दी की जा रही है, जिसके कारण वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

पढ़ें : अनलॉक इंडिया: फिर शुरू हुआ मीठे जहर का कारोबार, लॉकडाउन में छूट गई थी आदत

आरडीए में शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं
कमल विहार निवासी पूर्ति सिंह ने बताया कि साफ-सफाई सीवरेज के नाम पर यहां कुछ नहीं हुआ है, कभी बिजली नहीं रहती है, तो कभी साफ-सफाई का हाल बेहाल रहता है. इसके कारण बच्चों को भी तकलीफ हो रही है. आए दिन घरों में जहरीले सांप, बिच्छू भी घुस जाते हैं. आरडीए में शिकायत के बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं. मीना अग्रवाल बताती हैं कि जिस तरह से इस प्रोजेक्ट का गुणगान किया गया था आज किसी तरह की भी सुविधाएं नहीं है. पानी, बिजली, साफ-सफाई जैसी सुविधा को देने का वादा किया गया था, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है. लोगों का कहना है कि लोन लेकर जमीन ली, घर बनाया लेकिन आज तक बिजली कनेक्शन भी नहीं मिला.

2000 करोड़ का खर्च जनता के सिर

कमल विहार रेसीडेंशियल सोसायटी के संस्थापक आशीष भट्टाचार्य बताते हैं कि सन 2015 में उन्होंने सबसे पहला मकान कमल विहार में बनाया था, लेकिन पिछले साढ़े 5 साल के बाद भी बिजली पानी की सुविधा उन्हें नहीं मिल रही है. इतने अच्छे प्रोजेक्ट और इतनी बढ़िया टाउनशिप को रायपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है और लेट लतीफी के चलते 900 करोड़ का यह प्रोजेक्ट आने वाले समय में यह लगभग डेढ़ हजार से 2000 करोड़ रुपए का खर्च बैठेगा, जो निवासियों को ही देना पड़ेगा. बिजली पानी सीवरेज और सुरक्षा के नाम पर आरडीए ने लोगो के साथ मजाक किया है.

पढ़ें : SPECIAL: ढोकरा आर्ट के शिल्पकारों पर कोरोना की मार, कहीं गुम न हो जाए छत्तीसगढ़ की पहचान

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का नहीं हुआ निर्माण

1600 एकड़ में फैले टाउनशिप में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण होना था, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी अबतक एसबीपी का निर्माण नहीं हो पाया है. वही एजेंसियों द्वारा भी धीमी गति से कार्य चल रहा है, जिसके चलते यहां के कार्य व्यवस्थित ढंग से नहीं हो पा रहा है. ऐसे में यहां रहने वाले रहवासियों को आर्थिक रूप से भी क्षति हो रही है. कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने जमीन तो ली, लेकिन मकान नहीं बनाया है. इस कारण खाली प्लॉट पर घास उग गई है, जो मवेशियों के चारे के काम आती है और दिनभर यहां मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है.

वादों के मुताबिक नहीं किया गया काम

आशीष भट्टाचार्य बताते हैं 21 नवम्बर 2009 को आरडीए द्वारा कमल विहार को लांच किया गया था. एग्रीमेंट के अनुसार 31 दिसंबर 2016 तक कमल विहार प्रोजेक्ट को पूरा करना था, लेकिन इनकी कार्य पद्धति के चलते इस टाउनशिप को नुकसान में डाल दिया. 2016 से 2020 हो गया है, लेकिन सेक्टर 1, सेक्टर 11, सेक्टर 14 में बिजली नहीं है, रोड नहीं है. यहां छोटे-छोटे परिवार के लोगों ने अपना घर बनाया है, लेकिन गंदगी के चलते अर्बन असलम की तरह यह डेवलप हो गया है. स्थानीय निवासी अब कमल विहार रेजिडेंशियल एसोसिएशन के अधिकारियों और मुख्यमंत्री से मांग कर रहे हैं कि उन्हें जरुरी सुविधा मुहैया कराया जाए.

रायपुर: 21 नंबर 2009 को कमल विहार लॉच किया गया. 900 करोड़ का यह प्रोजेक्ट आज पूरी तरह से डूब चुका है. न सड़क है, न बिजली, न सुरक्षा के कोई इंतजाम लोग अंधकार में जीने को मजबूर है. कमल विहार प्रोजेक्ट से कई लोगों के आशियाने जुड़े हैं. सैकड़ों की तादाद में लोगों ने रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के कमल विहार की जमीन खरीदी थी. इन लुभावने वादों से आकर्षित होकर काफी लोगों ने यहां अपना आशियाना बनाने को सपना देखा और मकान भी खरीदे, लेकिन आज यहीं लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. कई लोगों के लिए मकान बनाने का सपना बस सपना रहा गया. 1600 एकड़ में फैला ये प्रोजेक्ट बदहाली की मार झेल रहा है. जो लोग अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई लगा इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बने थे, आज उन्हें बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है.

न सड़क, न बिजली न पानी और निवेश 900 करोड़ रुपये

कमल विहार निवासी गौरव मिश्रा बताते हैं, वे 3 साल से यहां रह रहे हैं, यहां सबसे बड़ी समस्या बिजली की है. यहां बहुत से लोग टेंपरेरी बिजली कनेक्शन लेकर किसी तरह काम चला रहे हैं. वहीं सुरक्षा के लिहाज से कमल विहार बिल्कुल असुरक्षित है. किसी वक्त भी वारदात यहां दस्तक दे सकती है. यहां शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है. लोगों की लगातार शिकायत के बाद भी स्थिति जस की तस की बनी है. साफ-सफाई के भी पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं.

तार खींचकर टेंपरेरी कनेक्शन से घर हो रहा रोशन

सेंट्रल बिजनेस डिस्टिक में रहने वाले अनिल गुप्ता ने बताया कि उन्होंने 4 साल पहले कमर्शियल सेक्टर में प्लॉट खरीदा था और पिछले डेढ़ साल से वह दुकान खोल चुके हैं, लेकिन आरडीए के द्वारा परमानेंट बिजली मीटर का कनेक्शन की सुविधा भी उन्हें नहीं मिल पाई है. उन्होंने अपने दुकान के लिए 420 मीटर स्वयं के खर्च से तार खींचकर टेंपरेरी कनेक्शन लिया है, जो आंधी तूफान के आते ही बिजली के तार टूट जाते हैं.

सोनल भट्टाचार्य ने बताया कि जिन स्थानों पर घर बन चुके हैं, वहां स्ट्रीट लाइट नहीं पहुंच पाई है और सड़कों की बात की जाए तो सड़कें भी कच्ची है. रात के बाद यह स्ट्रीट लाइट भी बंद कर दी जाती है. इस कारण महिलाएं घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं, वो खुद को हर वक्त असुरक्षित महसूस करती हैं. वे ये भी बताती हैं कि बिजली का बिल हर महीने 10 से 15 हजार रुपए तक आता है. उन्होंने कहा कि आरडीए द्वारा किसी तरह की सुविधाएं नहीं दी की जा रही है, जिसके कारण वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

पढ़ें : अनलॉक इंडिया: फिर शुरू हुआ मीठे जहर का कारोबार, लॉकडाउन में छूट गई थी आदत

आरडीए में शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं
कमल विहार निवासी पूर्ति सिंह ने बताया कि साफ-सफाई सीवरेज के नाम पर यहां कुछ नहीं हुआ है, कभी बिजली नहीं रहती है, तो कभी साफ-सफाई का हाल बेहाल रहता है. इसके कारण बच्चों को भी तकलीफ हो रही है. आए दिन घरों में जहरीले सांप, बिच्छू भी घुस जाते हैं. आरडीए में शिकायत के बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं. मीना अग्रवाल बताती हैं कि जिस तरह से इस प्रोजेक्ट का गुणगान किया गया था आज किसी तरह की भी सुविधाएं नहीं है. पानी, बिजली, साफ-सफाई जैसी सुविधा को देने का वादा किया गया था, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है. लोगों का कहना है कि लोन लेकर जमीन ली, घर बनाया लेकिन आज तक बिजली कनेक्शन भी नहीं मिला.

2000 करोड़ का खर्च जनता के सिर

कमल विहार रेसीडेंशियल सोसायटी के संस्थापक आशीष भट्टाचार्य बताते हैं कि सन 2015 में उन्होंने सबसे पहला मकान कमल विहार में बनाया था, लेकिन पिछले साढ़े 5 साल के बाद भी बिजली पानी की सुविधा उन्हें नहीं मिल रही है. इतने अच्छे प्रोजेक्ट और इतनी बढ़िया टाउनशिप को रायपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है और लेट लतीफी के चलते 900 करोड़ का यह प्रोजेक्ट आने वाले समय में यह लगभग डेढ़ हजार से 2000 करोड़ रुपए का खर्च बैठेगा, जो निवासियों को ही देना पड़ेगा. बिजली पानी सीवरेज और सुरक्षा के नाम पर आरडीए ने लोगो के साथ मजाक किया है.

पढ़ें : SPECIAL: ढोकरा आर्ट के शिल्पकारों पर कोरोना की मार, कहीं गुम न हो जाए छत्तीसगढ़ की पहचान

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का नहीं हुआ निर्माण

1600 एकड़ में फैले टाउनशिप में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण होना था, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी अबतक एसबीपी का निर्माण नहीं हो पाया है. वही एजेंसियों द्वारा भी धीमी गति से कार्य चल रहा है, जिसके चलते यहां के कार्य व्यवस्थित ढंग से नहीं हो पा रहा है. ऐसे में यहां रहने वाले रहवासियों को आर्थिक रूप से भी क्षति हो रही है. कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने जमीन तो ली, लेकिन मकान नहीं बनाया है. इस कारण खाली प्लॉट पर घास उग गई है, जो मवेशियों के चारे के काम आती है और दिनभर यहां मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है.

वादों के मुताबिक नहीं किया गया काम

आशीष भट्टाचार्य बताते हैं 21 नवम्बर 2009 को आरडीए द्वारा कमल विहार को लांच किया गया था. एग्रीमेंट के अनुसार 31 दिसंबर 2016 तक कमल विहार प्रोजेक्ट को पूरा करना था, लेकिन इनकी कार्य पद्धति के चलते इस टाउनशिप को नुकसान में डाल दिया. 2016 से 2020 हो गया है, लेकिन सेक्टर 1, सेक्टर 11, सेक्टर 14 में बिजली नहीं है, रोड नहीं है. यहां छोटे-छोटे परिवार के लोगों ने अपना घर बनाया है, लेकिन गंदगी के चलते अर्बन असलम की तरह यह डेवलप हो गया है. स्थानीय निवासी अब कमल विहार रेजिडेंशियल एसोसिएशन के अधिकारियों और मुख्यमंत्री से मांग कर रहे हैं कि उन्हें जरुरी सुविधा मुहैया कराया जाए.

Last Updated : Aug 19, 2020, 4:29 PM IST
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