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SPECIAL: गोलगप्पे का स्वाद बनाएगा दिव्यांगों की आर्थिक सेहत - tapri the tea house

रायपुर में दिव्यांगजनों की मदद के लिए पिछले 4 सालों से काम कर रही संस्था 'टपरी' ने अब एक नई शुरुआत की है. इस संस्था ने दिव्यांगजनों को गोलगप्पे के ठेले खुलवाएं हैं. इस मदद से दिव्यांगजनों को रोजगार मिलेगा. साथ ही वे सशक्त भी बनेंगे.

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गोलगप्पे का स्टॉल लगा दिव्यांग बन रहे आत्मनिर्भर
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Published : Nov 9, 2020, 6:06 PM IST

रायपुर: किसी की मदद करने के लिए धन की नहीं, एक अच्छे मन की जरूरत होती है. अगर आपकी एक छोटी सी मदद किसी को सशक्त बनाती है, तो इससे अच्छी पहल कुछ नहीं हो सकती. आज हम आपको एक ऐसी संस्था से रूबरू करा रहे हैं, जो दिव्यांगजनों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

दिव्यांगजनों की मदद के लिए पिछले 4 सालों से काम कर रही संस्था 'टपरी' ने अब एक नई शुरुआत की है. इस मदद से दिव्यांगजनों को रोजगार मिलेगा. साथ ही वे सशक्त भी बनेंगे.

गोलगप्पे का स्टॉल लगा दिव्यांग बन रहे आत्मनिर्भर

व्हील चेयर की मदद से खोले गए ठेले

इस संस्था ने दिव्यांगजनों को गोलगप्पे का ठेला खोल कर दिया है. सबसे अच्छी बात ये है कि ये कोई आम ठेला नहीं है, इसमें व्हीलचेयर की व्यवस्था की गई है, जिससे दिव्यांगजनों को किसी भी तरह की परेशानी न हो. एक ठेले पर कुल 4 लोगों की टीम बनाई गई है.

जब ईटीवी भारत की टीम ठेले पर गोलगप्पे बेच रहे दिव्यांगजनों से बात करने पहुंची तो उन्होंने बताया कि 4 लोगों की टीम में सभी को अलग-अलग काम दिए गए हैं. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह अपनी जिंदगी में कुछ अच्छा काम कर पाएंगे, लेकिन संस्था से जुड़ने के बाद उन्हें काफी अच्छा महसूस हो रहा है.

SPECIAL : दिव्यांग भोला ने खोया सब कुछ, तोहफा में मिला आशियाना, नाम दिया गुड्डी का घर

कोरोना से पहले ही आया था आइडिया

टपरी के संचालक इरफान बताते हैं कि उन्हें ये आइडिया कोरोना काल के पहले ही आया था, लेकिन इस पहल को सफल बनाने में उन्हें थोड़ा वक्त लग गया. इरफान की सोच यहीं नहीं रुकती, वे बताते हैं कि आने वाले 4 से 6 महीने में राजधानी में कम से कम ऐसे 10 स्टॉल खोलने का लक्ष्य रखा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके.

पहले भी कैफे से लोगों को दे रहे थे रोजगार

इस नेक पहल की शुरुआत करने वाले इरफान अहमद पहले ही अपने कैफे के माध्यम से लोगों की रोजगार दे रहे हैं और अब उनकी इस सोच का ईटीवी भारत मुरीद हो गया है. वे बताते हैं कि उनके पास कई दिव्यांगजन रोजगार मांगने आते थे, लेकिन कैफे में उन्हें काम दे पाना काफी मुश्किल हो रहा था, इसलिए उन्होंने दिव्यांगों को रोजगार देने का यह नया तरीका निकाला.

वाकई इरफान की तरह नेक सोच रखने वालों की कहानियां हिम्मत देती हैं कि अगर आप कुछ अच्छा और बड़ा करने की चाहत रखते हैं तो रास्ते अपने आप बनने लगते हैं. ईटीवी भारत आपसे अपील करता है कि अगर आप सक्षम है तो अपने क्षेत्र में किसी ऐसे की मदद जरूर करें जिससे उनकी जिन्दगी बदल सके.

रायपुर: किसी की मदद करने के लिए धन की नहीं, एक अच्छे मन की जरूरत होती है. अगर आपकी एक छोटी सी मदद किसी को सशक्त बनाती है, तो इससे अच्छी पहल कुछ नहीं हो सकती. आज हम आपको एक ऐसी संस्था से रूबरू करा रहे हैं, जो दिव्यांगजनों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

दिव्यांगजनों की मदद के लिए पिछले 4 सालों से काम कर रही संस्था 'टपरी' ने अब एक नई शुरुआत की है. इस मदद से दिव्यांगजनों को रोजगार मिलेगा. साथ ही वे सशक्त भी बनेंगे.

गोलगप्पे का स्टॉल लगा दिव्यांग बन रहे आत्मनिर्भर

व्हील चेयर की मदद से खोले गए ठेले

इस संस्था ने दिव्यांगजनों को गोलगप्पे का ठेला खोल कर दिया है. सबसे अच्छी बात ये है कि ये कोई आम ठेला नहीं है, इसमें व्हीलचेयर की व्यवस्था की गई है, जिससे दिव्यांगजनों को किसी भी तरह की परेशानी न हो. एक ठेले पर कुल 4 लोगों की टीम बनाई गई है.

जब ईटीवी भारत की टीम ठेले पर गोलगप्पे बेच रहे दिव्यांगजनों से बात करने पहुंची तो उन्होंने बताया कि 4 लोगों की टीम में सभी को अलग-अलग काम दिए गए हैं. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह अपनी जिंदगी में कुछ अच्छा काम कर पाएंगे, लेकिन संस्था से जुड़ने के बाद उन्हें काफी अच्छा महसूस हो रहा है.

SPECIAL : दिव्यांग भोला ने खोया सब कुछ, तोहफा में मिला आशियाना, नाम दिया गुड्डी का घर

कोरोना से पहले ही आया था आइडिया

टपरी के संचालक इरफान बताते हैं कि उन्हें ये आइडिया कोरोना काल के पहले ही आया था, लेकिन इस पहल को सफल बनाने में उन्हें थोड़ा वक्त लग गया. इरफान की सोच यहीं नहीं रुकती, वे बताते हैं कि आने वाले 4 से 6 महीने में राजधानी में कम से कम ऐसे 10 स्टॉल खोलने का लक्ष्य रखा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके.

पहले भी कैफे से लोगों को दे रहे थे रोजगार

इस नेक पहल की शुरुआत करने वाले इरफान अहमद पहले ही अपने कैफे के माध्यम से लोगों की रोजगार दे रहे हैं और अब उनकी इस सोच का ईटीवी भारत मुरीद हो गया है. वे बताते हैं कि उनके पास कई दिव्यांगजन रोजगार मांगने आते थे, लेकिन कैफे में उन्हें काम दे पाना काफी मुश्किल हो रहा था, इसलिए उन्होंने दिव्यांगों को रोजगार देने का यह नया तरीका निकाला.

वाकई इरफान की तरह नेक सोच रखने वालों की कहानियां हिम्मत देती हैं कि अगर आप कुछ अच्छा और बड़ा करने की चाहत रखते हैं तो रास्ते अपने आप बनने लगते हैं. ईटीवी भारत आपसे अपील करता है कि अगर आप सक्षम है तो अपने क्षेत्र में किसी ऐसे की मदद जरूर करें जिससे उनकी जिन्दगी बदल सके.

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