रायपुरः मौजूदा समय में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है. हालांकि आज के दौर में भी ग्रामीण क्षेत्र (Rural area) की महिलाएं (Women) अपने हक से वंचित रह जा रहीं हैं. आज भी कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां महिलाएं खुद को दबा हुआ महसूस करती हैं. अक्सर महिला चाहे वो शहरी हो या ग्रामीण घर के कामकाज में उलझ कर सेहत (Health) पर ध्यान नहीं देतीं. घरवालों को खाना खिलाने के बाद या तो बासी भोजन ही खा लेती है, या फिर कभी-कभी कम खाकर रह जाती है, या कभी मजबूरन अधिक खा लेती है. यही कारण है कि इन सबका सीधा असर महिला के सेहत पर पड़ता है.
गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जयसवाल (Gynecologist Dr. Jyoti Jaiswal) की राय
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यही चीजें महिलाओं को उस वक्त तकलीफ देती है, जब वो गर्भावस्था (Pregnancy) में हो. ऐसी अवस्था में पोषक तत्वों (Nutrients )की कमी का असर साफ तौर पर देखने को मिलता है. समय से खाना और पोषक खाना महिलाओं के लिए काफी जरूरी बन जाता है. प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं (Pregnant women)को किस तरह अपना स्वास्थ्य रखना चाहिए इस बारे में गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जयसवाल से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. बातचीत के दौरान डॉ. ज्योति ने बताया कि किस तरीके से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपना ख्याल रखना चाहिए.
जेंडर डिस्क्रिमिनेशन से भी पड़ता है स्वास्थ्य पर असर
गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जायसवाल (Gynecologist Dr. Jyoti Jaiswal) ने बताया कि अगर हम बात करें ग्रामीण महिलाओं की तो शहर से ज्यादा गांवों में जेंडर डिस्क्रिमिनेशन सभी घरों में ज्यादा देखा जाता है. घर में पुरुषों को कोई परेशानी हो तो उनपर पहले ध्यान दिया जाता है. वहीं, घर का हर सदस्य चाहे वो बच्चा हो या कोई पुरुष पहले भोजन करता है. इतना ही नहीं घर का हर सदस्य समय से भोजन करता है. हालांकि अक्सर महिलाओं को बची हुई रोटी या फिर बचा हुआ चावल खाना पड़ता है. जो कि उनके सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होता है. वहीं, अगर घर मे दूध आता है तो अक्सर महिलाएं सबको दूध दे देती हैं हालांकि खुद नहीं पीती. इन सभी बातों को अक्सर हर घर में देखा जाता है, यही कारण है कि इसका सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है.
प्रेगनेंसी के दौरान दूध के साथ खाने में फाइबर है जरूरी
वहीं, अगर गर्भवती महिलाओं की बात की जाए तो बच्चे के पोषण के लिए महिलाओं को सुबह का नाश्ता अच्छे तरीके से करना चाहिए. सुबह का नाश्ता राजा की तरह खाएं और शाम का खाना गरीब की खाए. गर्भवती महिलाओं को सुबह का नाश्ता अच्छा और हैवी खाना चाहिए. नाश्ता में हर वैरायटी के फूड रहने चाहिए, जिसमें गेहूं, दाल, हरी सब्जियां, फल, सलाद सभी चीजें शामिल हैं. यहां पर प्रचलन नहीं है कि इन सभी चीजों के साथ फ्रूट और सैलेड भी खाना है. लेकिन फ्रूट और सैलेड भी खाना बहुत जरूरी होता है. वहीं, ऐसी महिलाओं को खाने में फाइबर की मात्रा भरपूर रखना चाहिए, इससे कॉन्स्टिपेशन से बच सकते हैं. साथ ही पेट में कब्ज नहीं होता और गैस की परेशानी भी नहीं होती.