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PREGNANCY : गर्भावस्था में रखें खुद का खास ख्याल, खतरनाक साबित हो सकती है लापरवाही

महिलाओं (Women) को रोजोना के खान-पान की आदत उनकी गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान अगर जारी रहती है, तो उसका सीधा असर उनके सेहत पर पड़ता है. यही कारण है कि चिकित्सक (Doctor) अक्सर गर्भवती महिलाओं (Pregnant women)को हेल्दी खाने के साथ पोषक तत्वों (Nutrients) को शामिल करने की सलाह देते हैं.

negligence during pregnancy
गर्भावस्था के दौरान की गई लापरवाही
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Published : Oct 14, 2021, 5:36 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 6:06 PM IST

रायपुरः मौजूदा समय में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है. हालांकि आज के दौर में भी ग्रामीण क्षेत्र (Rural area) की महिलाएं (Women) अपने हक से वंचित रह जा रहीं हैं. आज भी कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां महिलाएं खुद को दबा हुआ महसूस करती हैं. अक्सर महिला चाहे वो शहरी हो या ग्रामीण घर के कामकाज में उलझ कर सेहत (Health) पर ध्यान नहीं देतीं. घरवालों को खाना खिलाने के बाद या तो बासी भोजन ही खा लेती है, या फिर कभी-कभी कम खाकर रह जाती है, या कभी मजबूरन अधिक खा लेती है. यही कारण है कि इन सबका सीधा असर महिला के सेहत पर पड़ता है.

गर्भावस्था में रखें खुद का खास ख्याल

गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जयसवाल (Gynecologist Dr. Jyoti Jaiswal) की राय

“आँखों से करें प्यार” : विश्व दृष्टि दिवस 2021

यही चीजें महिलाओं को उस वक्त तकलीफ देती है, जब वो गर्भावस्था (Pregnancy) में हो. ऐसी अवस्था में पोषक तत्वों (Nutrients )की कमी का असर साफ तौर पर देखने को मिलता है. समय से खाना और पोषक खाना महिलाओं के लिए काफी जरूरी बन जाता है. प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं (Pregnant women)को किस तरह अपना स्वास्थ्य रखना चाहिए इस बारे में गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जयसवाल से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. बातचीत के दौरान डॉ. ज्योति ने बताया कि किस तरीके से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपना ख्याल रखना चाहिए.

जेंडर डिस्क्रिमिनेशन से भी पड़ता है स्वास्थ्य पर असर

गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जायसवाल (Gynecologist Dr. Jyoti Jaiswal) ने बताया कि अगर हम बात करें ग्रामीण महिलाओं की तो शहर से ज्यादा गांवों में जेंडर डिस्क्रिमिनेशन सभी घरों में ज्यादा देखा जाता है. घर में पुरुषों को कोई परेशानी हो तो उनपर पहले ध्यान दिया जाता है. वहीं, घर का हर सदस्य चाहे वो बच्चा हो या कोई पुरुष पहले भोजन करता है. इतना ही नहीं घर का हर सदस्य समय से भोजन करता है. हालांकि अक्सर महिलाओं को बची हुई रोटी या फिर बचा हुआ चावल खाना पड़ता है. जो कि उनके सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होता है. वहीं, अगर घर मे दूध आता है तो अक्सर महिलाएं सबको दूध दे देती हैं हालांकि खुद नहीं पीती. इन सभी बातों को अक्सर हर घर में देखा जाता है, यही कारण है कि इसका सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है.

प्रेगनेंसी के दौरान दूध के साथ खाने में फाइबर है जरूरी

वहीं, अगर गर्भवती महिलाओं की बात की जाए तो बच्चे के पोषण के लिए महिलाओं को सुबह का नाश्ता अच्छे तरीके से करना चाहिए. सुबह का नाश्ता राजा की तरह खाएं और शाम का खाना गरीब की खाए. गर्भवती महिलाओं को सुबह का नाश्ता अच्छा और हैवी खाना चाहिए. नाश्ता में हर वैरायटी के फूड रहने चाहिए, जिसमें गेहूं, दाल, हरी सब्जियां, फल, सलाद सभी चीजें शामिल हैं. यहां पर प्रचलन नहीं है कि इन सभी चीजों के साथ फ्रूट और सैलेड भी खाना है. लेकिन फ्रूट और सैलेड भी खाना बहुत जरूरी होता है. वहीं, ऐसी महिलाओं को खाने में फाइबर की मात्रा भरपूर रखना चाहिए, इससे कॉन्स्टिपेशन से बच सकते हैं. साथ ही पेट में कब्ज नहीं होता और गैस की परेशानी भी नहीं होती.

रायपुरः मौजूदा समय में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है. हालांकि आज के दौर में भी ग्रामीण क्षेत्र (Rural area) की महिलाएं (Women) अपने हक से वंचित रह जा रहीं हैं. आज भी कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां महिलाएं खुद को दबा हुआ महसूस करती हैं. अक्सर महिला चाहे वो शहरी हो या ग्रामीण घर के कामकाज में उलझ कर सेहत (Health) पर ध्यान नहीं देतीं. घरवालों को खाना खिलाने के बाद या तो बासी भोजन ही खा लेती है, या फिर कभी-कभी कम खाकर रह जाती है, या कभी मजबूरन अधिक खा लेती है. यही कारण है कि इन सबका सीधा असर महिला के सेहत पर पड़ता है.

गर्भावस्था में रखें खुद का खास ख्याल

गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जयसवाल (Gynecologist Dr. Jyoti Jaiswal) की राय

“आँखों से करें प्यार” : विश्व दृष्टि दिवस 2021

यही चीजें महिलाओं को उस वक्त तकलीफ देती है, जब वो गर्भावस्था (Pregnancy) में हो. ऐसी अवस्था में पोषक तत्वों (Nutrients )की कमी का असर साफ तौर पर देखने को मिलता है. समय से खाना और पोषक खाना महिलाओं के लिए काफी जरूरी बन जाता है. प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं (Pregnant women)को किस तरह अपना स्वास्थ्य रखना चाहिए इस बारे में गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जयसवाल से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. बातचीत के दौरान डॉ. ज्योति ने बताया कि किस तरीके से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपना ख्याल रखना चाहिए.

जेंडर डिस्क्रिमिनेशन से भी पड़ता है स्वास्थ्य पर असर

गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ज्योति जायसवाल (Gynecologist Dr. Jyoti Jaiswal) ने बताया कि अगर हम बात करें ग्रामीण महिलाओं की तो शहर से ज्यादा गांवों में जेंडर डिस्क्रिमिनेशन सभी घरों में ज्यादा देखा जाता है. घर में पुरुषों को कोई परेशानी हो तो उनपर पहले ध्यान दिया जाता है. वहीं, घर का हर सदस्य चाहे वो बच्चा हो या कोई पुरुष पहले भोजन करता है. इतना ही नहीं घर का हर सदस्य समय से भोजन करता है. हालांकि अक्सर महिलाओं को बची हुई रोटी या फिर बचा हुआ चावल खाना पड़ता है. जो कि उनके सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होता है. वहीं, अगर घर मे दूध आता है तो अक्सर महिलाएं सबको दूध दे देती हैं हालांकि खुद नहीं पीती. इन सभी बातों को अक्सर हर घर में देखा जाता है, यही कारण है कि इसका सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है.

प्रेगनेंसी के दौरान दूध के साथ खाने में फाइबर है जरूरी

वहीं, अगर गर्भवती महिलाओं की बात की जाए तो बच्चे के पोषण के लिए महिलाओं को सुबह का नाश्ता अच्छे तरीके से करना चाहिए. सुबह का नाश्ता राजा की तरह खाएं और शाम का खाना गरीब की खाए. गर्भवती महिलाओं को सुबह का नाश्ता अच्छा और हैवी खाना चाहिए. नाश्ता में हर वैरायटी के फूड रहने चाहिए, जिसमें गेहूं, दाल, हरी सब्जियां, फल, सलाद सभी चीजें शामिल हैं. यहां पर प्रचलन नहीं है कि इन सभी चीजों के साथ फ्रूट और सैलेड भी खाना है. लेकिन फ्रूट और सैलेड भी खाना बहुत जरूरी होता है. वहीं, ऐसी महिलाओं को खाने में फाइबर की मात्रा भरपूर रखना चाहिए, इससे कॉन्स्टिपेशन से बच सकते हैं. साथ ही पेट में कब्ज नहीं होता और गैस की परेशानी भी नहीं होती.

Last Updated : Oct 14, 2021, 6:06 PM IST
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