ETV Bharat / state

SPECIAL: लूट, वसूली छोड़िए यहां से 'आतंकी फंड' जुटा रहे हैं नक्सली - ETV भारत

ETV भारत की पड़ताल में पता लगा कि लूट और ठेकेदारों से वसूली तो नक्सलियों के आमदनी का एक छोटा का हिस्सा आता है. इनकी असली आय का जरिया तो कुछ और ही है. नक्सली दहशत के साथ ही गांजेकी खेती कर छत्तीसगढ़ को खोखला करने की साजिश रच रहे हैं.

लूट, वसूली छोड़िए यहां से 'आतंकी फंड' जुटा रहे हैं नक्सली
author img

By

Published : Aug 11, 2019, 12:07 AM IST

रायपुर: बस्तर को 'लाल आतंक' गढ़ माना जाता है. अबूझमाड़ के जंगल से लेकर जिले के अंदरूनी इलाके में नक्सलियों ने अपनी पैठ जमा रखी है. सरकार और सुरक्षाबलों की ओर से समय-समय पर ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों को निशाना बनाया जाता है. इसके बाद भी नक्सल समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.

लूट, वसूली छोड़िए यहां से 'आतंकी फंड' जुटा रहे हैं नक्सली

हाल के दिनों में नक्सली अत्याधुनिक हथियारों से जवानों का मुकाबला करते देखे गए हैं अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर लाल आतंक के आंकाओं के पास काले कारनामों को संचालित करने के लिए फंड कहा से आता है. ETV भारत की पड़ताल में पता लगा कि लूट और ठेकेदारों से वसूली तो नक्सलियों के आमदनी का एक छोटा का हिस्सा आता है. इनकी असली आय का जरिया तो कुछ और ही है. नक्सली दहशत के साथ ही गांजे की खेती कर छत्तीसगढ़ को खोखला करने की साजिश रच रहे हैं.

दूसरे प्रदेशों में भी होती है सप्लाई !
जानकार बताते हैं कि नक्सलियों की क्षेत्र दक्षिण बस्तर के प्रभाव वाले क्षेत्र ओर ओडिशा के मलकानगिरी में गांजे की खेती करवाई जाती है. इसके बाद इन नशीली पत्तियों को छत्तीसगढ़ में खपाए जाने के साथ ही इसकी खेप को दूसरे प्रदेशों तक भी पहुंचाया जाता है.

आंकड़ों के जरिए गणित समझने की कोशिश करते हैं-

  • साल 2015 से जून 2019 के बीच बस्तर संभाग में दर्ज किए गए 395 मामले.
  • 2015 से 2019 के बीच कुल 38 हजार किलो गांजा जब्त किया गया.
  • जब्त गांजे का बाजार मूल्य 40 करोड़ रुपये आंका गया.
  • दोनों राज्यों ने नहीं उठाए कोई कदम

बता दें कि अभी तक गांजे की तस्करी रोकने के लिए दोनों राज्यों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. गांजे की तस्करी के लिए ज्यादातर सड़क मार्ग का प्रयोग किया जाता है. इस मार्ग से निजी वाहन, ट्रक और बस के जरिए गांजे की खेप को दूसरे राज्यों तक पहुंचाया जाता है.

'गांजा तस्करी नक्सलियों की आय का प्रमुख साधन'
वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर का कहना की गांजे की खेती और उसकी तस्करी भी नक्सलियों की आय का प्रमुख साधन है. उनका तो यहां तक दावा है कि 'प्रदेश में गांजा ओडिशा से नहीं लाया जाता बल्कि नक्सल प्रभाव वाले दक्षिण बस्तर क्षेत्र में ही इसकी खेती कराई जाती है. पुसदकर ने कहा कि अगर सरकार की ओर से गांजे की खेती और तस्करी रोकने के लिए पहल की जाए तो नक्सलियों की कमर तोड़ने में वह कारगर साबित हो सकती है.

वहीं पुलिस भी इस बात से इंकार नहीं कर रही है कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बॉर्डर पर नक्सली गांजे की खेती करते हैं. वहीं जब इस मामले में हमने सूबे में पुलिस के मुखिया डीएम अवस्थी से बात की तो उनका कहना था कि, गांजे के साथ-साथ नक्सलियों के पास आय के कई दूसरे साधन भी हैं.

नक्सल ऑपरेशन डीआईजी ने भी मानी बात
वहीं नक्सल ऑपरेशन डीआईजी सुंदर राज पी भी मानते हैं कि छत्तीसगढ़ उड़ीसा बॉर्डर पर नक्सलियों द्वारा गांजे की खेती की जाती है और फिर उसका परिवहन किया जाता है इसे रोकने के लिए लगातार सुरक्षाकर्मी और पुलिस विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती है.

ओडिशा के रास्ते छत्तीसगढ़ लाए जा रहे गांजे के परिवहन को रोके जाने पर जब परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 'गांजे की तस्करी रोकना गृह विभाग का काम है. परिवहन विभाग का काम गाड़ियों की फिटनेस देखना है. रजिस्ट्रेशन है या नहीं, वाहन के मालिक ने टैक्स चुकाया है कि नहीं लेकिन अगर इस तरह अगर कोई जानकारी आएगी तो आने वाले समय में उचित निर्णय लिया जाएगा'.

ETV भारत की पड़ताल में यह बात निकलकर सामने आई कि गांजा तस्करी रोकने को लेकर न तो कोई कदम उठाए गए और न ही इस पर किसी भी तरह का ध्यान नहीं रखा गया. हालांकि बीच-बीच में पुलिस विभाग की ओर से कार्रवाई जरूर की जाती है, लेकिन सवाल यह उठता है कि नशे के सामान की तस्करी करने वाली बड़ी मछलियां कब खाकी के जाल में फंसेंगी.

रायपुर: बस्तर को 'लाल आतंक' गढ़ माना जाता है. अबूझमाड़ के जंगल से लेकर जिले के अंदरूनी इलाके में नक्सलियों ने अपनी पैठ जमा रखी है. सरकार और सुरक्षाबलों की ओर से समय-समय पर ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों को निशाना बनाया जाता है. इसके बाद भी नक्सल समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.

लूट, वसूली छोड़िए यहां से 'आतंकी फंड' जुटा रहे हैं नक्सली

हाल के दिनों में नक्सली अत्याधुनिक हथियारों से जवानों का मुकाबला करते देखे गए हैं अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर लाल आतंक के आंकाओं के पास काले कारनामों को संचालित करने के लिए फंड कहा से आता है. ETV भारत की पड़ताल में पता लगा कि लूट और ठेकेदारों से वसूली तो नक्सलियों के आमदनी का एक छोटा का हिस्सा आता है. इनकी असली आय का जरिया तो कुछ और ही है. नक्सली दहशत के साथ ही गांजे की खेती कर छत्तीसगढ़ को खोखला करने की साजिश रच रहे हैं.

दूसरे प्रदेशों में भी होती है सप्लाई !
जानकार बताते हैं कि नक्सलियों की क्षेत्र दक्षिण बस्तर के प्रभाव वाले क्षेत्र ओर ओडिशा के मलकानगिरी में गांजे की खेती करवाई जाती है. इसके बाद इन नशीली पत्तियों को छत्तीसगढ़ में खपाए जाने के साथ ही इसकी खेप को दूसरे प्रदेशों तक भी पहुंचाया जाता है.

आंकड़ों के जरिए गणित समझने की कोशिश करते हैं-

  • साल 2015 से जून 2019 के बीच बस्तर संभाग में दर्ज किए गए 395 मामले.
  • 2015 से 2019 के बीच कुल 38 हजार किलो गांजा जब्त किया गया.
  • जब्त गांजे का बाजार मूल्य 40 करोड़ रुपये आंका गया.
  • दोनों राज्यों ने नहीं उठाए कोई कदम

बता दें कि अभी तक गांजे की तस्करी रोकने के लिए दोनों राज्यों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. गांजे की तस्करी के लिए ज्यादातर सड़क मार्ग का प्रयोग किया जाता है. इस मार्ग से निजी वाहन, ट्रक और बस के जरिए गांजे की खेप को दूसरे राज्यों तक पहुंचाया जाता है.

'गांजा तस्करी नक्सलियों की आय का प्रमुख साधन'
वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर का कहना की गांजे की खेती और उसकी तस्करी भी नक्सलियों की आय का प्रमुख साधन है. उनका तो यहां तक दावा है कि 'प्रदेश में गांजा ओडिशा से नहीं लाया जाता बल्कि नक्सल प्रभाव वाले दक्षिण बस्तर क्षेत्र में ही इसकी खेती कराई जाती है. पुसदकर ने कहा कि अगर सरकार की ओर से गांजे की खेती और तस्करी रोकने के लिए पहल की जाए तो नक्सलियों की कमर तोड़ने में वह कारगर साबित हो सकती है.

वहीं पुलिस भी इस बात से इंकार नहीं कर रही है कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बॉर्डर पर नक्सली गांजे की खेती करते हैं. वहीं जब इस मामले में हमने सूबे में पुलिस के मुखिया डीएम अवस्थी से बात की तो उनका कहना था कि, गांजे के साथ-साथ नक्सलियों के पास आय के कई दूसरे साधन भी हैं.

नक्सल ऑपरेशन डीआईजी ने भी मानी बात
वहीं नक्सल ऑपरेशन डीआईजी सुंदर राज पी भी मानते हैं कि छत्तीसगढ़ उड़ीसा बॉर्डर पर नक्सलियों द्वारा गांजे की खेती की जाती है और फिर उसका परिवहन किया जाता है इसे रोकने के लिए लगातार सुरक्षाकर्मी और पुलिस विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती है.

ओडिशा के रास्ते छत्तीसगढ़ लाए जा रहे गांजे के परिवहन को रोके जाने पर जब परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 'गांजे की तस्करी रोकना गृह विभाग का काम है. परिवहन विभाग का काम गाड़ियों की फिटनेस देखना है. रजिस्ट्रेशन है या नहीं, वाहन के मालिक ने टैक्स चुकाया है कि नहीं लेकिन अगर इस तरह अगर कोई जानकारी आएगी तो आने वाले समय में उचित निर्णय लिया जाएगा'.

ETV भारत की पड़ताल में यह बात निकलकर सामने आई कि गांजा तस्करी रोकने को लेकर न तो कोई कदम उठाए गए और न ही इस पर किसी भी तरह का ध्यान नहीं रखा गया. हालांकि बीच-बीच में पुलिस विभाग की ओर से कार्रवाई जरूर की जाती है, लेकिन सवाल यह उठता है कि नशे के सामान की तस्करी करने वाली बड़ी मछलियां कब खाकी के जाल में फंसेंगी.

Intro:रायपुर । नक्सलियों से निपटने के लिए लगातार सरकार के द्वारा नई नई रणनीति और योजनाएं बनाई जा रही है लेकिन एक क्षेत्र ऐसा है जिसे लेकर सरकार की ओर से अभी तक कोई विशेष रणनीति तैयार नहीं की गई है जो है नकसलियों की आय का सबसे प्रमुख जरिया .




Body:जब नक्सलियों के प्रमुख आय के जरिए की ईटीवी भारत के द्वारा पड़ताल की गई तो पता चला कि लूटपाट कंपनी और ठेकेदारों से रंगदारी वसूलने सहित एक ऐसा जरिया भी है जिससे नक्सलियों को बहुत अधिक आर्थिक लाभ मिल रहा है वह है गांजा की खेती और उसकी तस्करी।
P2c

जानकार बताते हैं कि नक्सलियों द्वारा उनके प्रभाव वाले क्षेत्र दक्षिण बस्तर ओर ओड़ीसा के मलकानगिरी में गांजे की खेती करवाई जाती है । इसके बाद इस गाजे को छत्तीसगढ़ में खपाया जाता है साथ ही छत्तीसगढ़ के रास्ते भारी मात्रा में अन्य प्रदेशों में भी गांजे की खेप पहुचाई जाती है।

पुलिस के द्वारा समय समय पर गंजे की तस्करी रोकने के लिए बड़ी बड़ी मुहिम भी चलाई जाती है बावजूद इसके नक्सली गांजे की खेती कराने और उसकी तस्करी में सफल रहते हैं

विधानसभा में मिले आंकड़े के अनुसार छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में साल 2015 से जून 2019 तक गांजा के अवैध परिवहन के कुल 395 मामले दर्ज किए गए। इस दौरान करीब 38 हजार किलो गांजा जप्त किया गया जिसका बाजार मूल्य लगभग 40 करोड़ आंका गया है

विधानसभा में यह भी जानकारी दी गई कि पड़ोसी राज्य ओड़ीसा में हो रही गाजे की अवैध खेती रोकने के लिए अब तक दोनों राज्यों के बीच कोई भी संयुक्त ऑपरेशन नहीं चलाया जा रहा है

यानी की विधानसभा की जानकारी से भी यह स्पष्ट हो गया है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गांजे की खेती की जाती है और फिर उन्हें प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है इस कार्य के लिए सड़क मार्ग का ज्यादा उपयोग किया जाता है इस मार्ग से निजी वाहनों सहित ट्रको और बसों में गांजे की खेप एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाई जाती है

वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर का कहना की गांजे की खेती और उसकी तस्करी भी नक्सलियों की आय का प्रमुख साधन है उनका तो यह भी दावा है कि प्रदेश में गंजा ओड़ीसा से नहीं लाया जाता बल्कि नक्सल प्रभाव वाले दक्षिण बस्तर क्षेत्र में ही इसकी खेती कराई जाती है पुसदकर ने कहा कि यदि सरकार द्वारा गाजी की खेती और तस्करी रोकने के लिए पहल की जाए तो नक्सलियों की कमर तोड़ने में वह कारगर साबित हो सकती है
बाइट अनिल पुसद्कर वरिष्ठ पत्रकार

वहीं नक्सल ऑपरेशन डीआईजी सुंदर राज पी भी मानते हैं कि छत्तीसगढ़ उड़ीसा बॉर्डर पर नक्सलियों द्वारा गांजे की खेती की जाती है और फिर उसका परिवहन किया जाता है इसे रोकने के लिए लगातार सुरक्षाकर्मी और पुलिस विभाग द्वारा कार्यवाही की जाती है
बाइट सुंदरराज पी डीआईजी नक्सल ऑपरेशन

ओड़ीसा के रास्ते छत्तीसगढ़ लाए जा रहे गाजे के परिवहन को रोके जाने पर जब परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि गांजे की तस्करी रोकना गृह विभाग का काम है परिवहन विभाग का काम है गाड़ियों की फिटनेस देखना है रजिस्ट्रेशन है या नहीं उन्होंने टैक्स पटाया है या नहीं। फिर भी इस तरह यदि कोई जानकारी आएगी तो आने वाले समय में उचित निर्णय लिया जाएगा
बाइट मोहम्मद अकबर परिवहन मंत्री

वहीं डीजीपी डीएम अवस्थी का कहना है कि नक्सलियों की आय का स्तोत्र सिर्फ गांजा ही नही है नक्सलियों की आय के कई और भी स्त्रोत है जिस पर इनकी फाइनेंस इंटेलिजेंट नजर रखे हुए हैं और समय-समय पर कार्रवाई की जाती है साथ ही उड़ीसा बॉर्डर पर भी गांजे की तस्करी रोकने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किए गए हैं
बाइट डीएम अवस्थी डीजीपी

P2c




Conclusion:ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि अब तक शासन का ध्यान नक्सलियों की प्रमुख आय का स्त्रोत बने गांजे की खेती और तस्करी रोकने के लिए कोई बड़ी पहल नहीं की गई है हालांकि बीच-बीच में इसे रोकने के लिए छुटपुट कार्रवाई जरूर की जाती रही है जो कि पर्याप्त नहीं है यदि सरकार के द्वारा इस गाजे के कारोबार को रोकने पहल की जाती है तो यह नक्सलियों की कमर तोड़ने में काफी कारगर साबित हो सकता है
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.