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1563 साल बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग, शक संवत और चैत्र नवरात्र का हो रहा है प्रारंभ - नूतन वर्ष के राजा शनि

1563 वर्षोें बाद दुर्लभ संयोग में नवरात्रि प्रारंभ हो रही है. यह चैत्र नवरात्रि नल नाम से जानी जाएगी. इस नूतन वर्ष के राजा शनि हैं. मंत्री गुरु और सषयेश सूर्य, दुर्गेश बुध, धनेश शनि, रसेष मंगल, धान्येश शुक्र, नीरसेश शनि और फलेश बुध होंगे.

विनीत शर्मा
विनीत शर्मा
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Published : Mar 27, 2022, 10:44 PM IST

रायपुर: 1563 वर्षोें बाद दुर्लभ संयोग में नवरात्रि प्रारंभ हो रही है. यह चैत्र नवरात्रि नल नाम से जानी जाएगी. इस नूतन वर्ष के राजा शनि हैं. मंत्री गुरु और सषयेश सूर्य, दुर्गेश बुध, धनेश शनि, रसेष मंगल, धान्येश शुक्र, नीरसेश शनि और फलेश बुध होंगे. ऐसी स्थिति ग्रहों का संयोग 22 मार्च 459 ईसवी में यह संयोग बना था. 1563 वर्षों के बाद यह स्थिति निर्मित हो रही है. यह नव संवत्सर 2079 शक संवत 1944 कहलायेगा. यह कलयुगाब्ध 5124 सृष्टि संवत 1 अरब 95 करोड़ 29 लाख 49 हजार 124 वां वर्ष कहलाएगा. इस महीने नवरात्रि सहित नौ ग्रहों की स्थितियां बदलने वाली है. नौ ग्रहों का राशि परिवर्तन होने जा रहा है.

चैत्र नवरात्र का हो रहा है प्रारंभ

यह भी पढ़ें: राजस्थान कोयला आपूर्ति मामले में अंतिम अनुमति बाकी, आदिवासी हित से समझौता नहीं : सीएम बघेल

सूर्य के मेष राशि में आने से होगा विवाह मुहूर्त: 7 अप्रैल को मंगल मकर से कुंभ राशि में आएंगे. अगले दिन बुध ग्रह मेष में होंगे. 12 अप्रैल को राहु, केतु, मेष और तुला में आएंगे. 13 अप्रैल को गुरु, कुंभ राशि में और 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे. 14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में आने के साथ ही विवाह मुहूर्त प्रारंभ हो जाएंगे. मांगलिक कार्य विवाह की चर्चा फलदान तिलक और विवाह संपन्न होना जैसे शुभ योग प्रारंभ हो जाएंगे. यह तिथि खरमास की समाप्ति की भी स्थिति रहेगी. 1 महीने तक लगभग सूर्य के मीन राशि में रहने की वजह से खरमास लगा हुआ था. अप्रैल महीने के अंतिम दिनों में शनि ग्रह का भी बदलाव होगा. यह ग्रह 29 अप्रैल को अपनी स्वयं की राशि कुंभ राशि में प्रवेश करेगा.

साल के शुरू में मंगल ग्रह उच्चा रहेगा: इस वर्ष के प्रारंभ में मंगल ग्रह उच्च रहेगा. इस वजह से प्रॉपर्टी जमीन जायदाद संपत्ति रियल स्टेट में वृद्धि के संकेत मिलते हैं. शनि की वजह से पेट्रोलियम-डीजल और स्टील-लोहा आदि क्षेत्रों में बढ़त की संभावना बनती है. मीन राशि में गुरु के प्रवेश से शिक्षा, अध्यात्म, धार्मिकता और शोध के क्षेत्र में नवीनता रहेगी. मंगल की उच्च प्रभाव से कृषि विकास दर में बढ़ोतरी के संकेत हैं. इसके साथ ही भारत की सैन्य क्षमता, सैन्य दक्षता विभिन्न मिसाइलों आदि के सफल प्रक्षेपण की संभावना बनती है. क्योंकि राहु और केतु का भी बदलाव हो रहा है. अतः स्पेस अंतरिक्ष रॉकेट आदि क्षेत्रों में भारत का प्रभुत्व बढ़ता रहेगा और भारत नई ऊंचाइयों को छू पायेगा.

रायपुर: 1563 वर्षोें बाद दुर्लभ संयोग में नवरात्रि प्रारंभ हो रही है. यह चैत्र नवरात्रि नल नाम से जानी जाएगी. इस नूतन वर्ष के राजा शनि हैं. मंत्री गुरु और सषयेश सूर्य, दुर्गेश बुध, धनेश शनि, रसेष मंगल, धान्येश शुक्र, नीरसेश शनि और फलेश बुध होंगे. ऐसी स्थिति ग्रहों का संयोग 22 मार्च 459 ईसवी में यह संयोग बना था. 1563 वर्षों के बाद यह स्थिति निर्मित हो रही है. यह नव संवत्सर 2079 शक संवत 1944 कहलायेगा. यह कलयुगाब्ध 5124 सृष्टि संवत 1 अरब 95 करोड़ 29 लाख 49 हजार 124 वां वर्ष कहलाएगा. इस महीने नवरात्रि सहित नौ ग्रहों की स्थितियां बदलने वाली है. नौ ग्रहों का राशि परिवर्तन होने जा रहा है.

चैत्र नवरात्र का हो रहा है प्रारंभ

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सूर्य के मेष राशि में आने से होगा विवाह मुहूर्त: 7 अप्रैल को मंगल मकर से कुंभ राशि में आएंगे. अगले दिन बुध ग्रह मेष में होंगे. 12 अप्रैल को राहु, केतु, मेष और तुला में आएंगे. 13 अप्रैल को गुरु, कुंभ राशि में और 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे. 14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में आने के साथ ही विवाह मुहूर्त प्रारंभ हो जाएंगे. मांगलिक कार्य विवाह की चर्चा फलदान तिलक और विवाह संपन्न होना जैसे शुभ योग प्रारंभ हो जाएंगे. यह तिथि खरमास की समाप्ति की भी स्थिति रहेगी. 1 महीने तक लगभग सूर्य के मीन राशि में रहने की वजह से खरमास लगा हुआ था. अप्रैल महीने के अंतिम दिनों में शनि ग्रह का भी बदलाव होगा. यह ग्रह 29 अप्रैल को अपनी स्वयं की राशि कुंभ राशि में प्रवेश करेगा.

साल के शुरू में मंगल ग्रह उच्चा रहेगा: इस वर्ष के प्रारंभ में मंगल ग्रह उच्च रहेगा. इस वजह से प्रॉपर्टी जमीन जायदाद संपत्ति रियल स्टेट में वृद्धि के संकेत मिलते हैं. शनि की वजह से पेट्रोलियम-डीजल और स्टील-लोहा आदि क्षेत्रों में बढ़त की संभावना बनती है. मीन राशि में गुरु के प्रवेश से शिक्षा, अध्यात्म, धार्मिकता और शोध के क्षेत्र में नवीनता रहेगी. मंगल की उच्च प्रभाव से कृषि विकास दर में बढ़ोतरी के संकेत हैं. इसके साथ ही भारत की सैन्य क्षमता, सैन्य दक्षता विभिन्न मिसाइलों आदि के सफल प्रक्षेपण की संभावना बनती है. क्योंकि राहु और केतु का भी बदलाव हो रहा है. अतः स्पेस अंतरिक्ष रॉकेट आदि क्षेत्रों में भारत का प्रभुत्व बढ़ता रहेगा और भारत नई ऊंचाइयों को छू पायेगा.

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