रायपुर: 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है. राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों की याद में मनाया जाता है. इस गैस कांड में हजारों लोगों की मिथाइल आइसोसाइनाइट के रिसाव की वजह से मौत हो गई थी. लाखों परिवारों पर इसका सीधा असर हुआ था. उस डरावनी भयानक रात को याद कर आज भी गैस पीड़ित कांप उठते हैं. भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक प्रदूषण आपदाओं में से एक माना जाता है. भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्रदूषण नियंत्रण के प्रति जागरूक करना है.
दुनियाभर में आज प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रही है. प्रदूषण की वजह से आए दिन मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाने और प्रदूषण की रोकथाम के लिए अलग-अलग तरीके समाज में जागरूकता लाने की है.
राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस का उद्देश्य
- औद्योगिक आपदा प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर जागरूकता फैलाना
- औद्योगिक प्रक्रिया और मानवीय लापरवाही से पैदा होने वाली प्रदूषण को रोकना
- प्रदूषण नियंत्रण अधिनियमों के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना
प्रदूषण रोकने के लिए अब तक उठाए गए कदम
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1974
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) उपकर अधिनियम 1977
- वायु (रोकथाम और प्रदूषण का नियंत्रण) अधिनियम 1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986
- पर्यावरण (संरक्षण) 1986 के नियम
- 1989 के खतरनाक रासायनिक नियमों का निर्माण, भंडारण और आयात
- 1996 की रासायनिक दुर्घटनाएँ (आपातकालीन, योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया) नियम
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट 1998 के नियम
- पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक निर्माण और 1999 के उपयोग के नियम
- 2000 के ओजोन हटाने वाले पदार्थ (विनियमन) नियम
- 2000 का शोर प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम
- नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) 2000 के नियम
- साल 2001 के बैटरियों (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम
- पर्यावरण प्रभाव आकलन 2006 की अधिसूचना
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और बाउन्ड्री आंदोलन) नियम, 2016
- जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- ई-वेस्ट (प्रबंधन) नियम, 2016
- निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
पर्यावरण में मौजूद विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारण जल, वायु, भूमि के साथ प्राकृतिक वन संसाधन तेजी से प्रभावित हो रहे हैं. पर्यावरण की रक्षा और प्रदूषण को कम करने के लिए नियमों का सही तरीके से लागू करना बहुत जरूरी है. हालांकि इसके लिए भारत सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का गठन सितंबर 1974 को जल अधिनियम के तहत किया था.
CPCB के कार्य
जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों की कुओं की सफाई को बढ़ावा देना, वायु की गुणवत्ता में सुधार करना और देश में वायु प्रदूषण को रोकना है.
वायु प्रदूषण के दुष्परिणाम
- दुनिया भर में दस में से नौ लोग आज साफ हवा में सांस नहीं ले रहे हैं.
- वायु प्रदूषण से हर साल वैश्विक स्तर पर 7 मिलियन लोगों की मौत, इसमें 4 मिलियन लोग इनडोर वायु प्रदूषण से मर जाते हैं.
- वायु प्रदूषण से बच्चे और बूढ़े ज्यादा प्रभावित होते हैं.
- वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन के लिए भी जिम्मेदार है.
प्रदूषण से रोकथाम के तरीके:
- स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले धुएं के रूप में अपशिष्ट को नहीं जलायें.
- अक्षय ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें.
- शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण को कम करने के लिए शहरी वन और वृक्षारोपण को बढ़ावा दें.