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national education day 2022 छत्तीसगढ़ में शिक्षा की स्थिति

देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस हर साल 11 नवंबर को मनाया जाता है भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन के मौके पर हर साल शिक्षा दिवस मनाया जाता है,छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुए 22 साल पूरे हो चुके हैं . इन 22 सालों में छत्तीसगढ़ के प्रगति पर एक नजर डालें तो प्रदेश के आंकड़े सुखद रहे हैं.लेकिन क्या इन 22 सालों में प्रदेश की शिक्षा की स्थिति सुधरी है. आज हम इसी बात की पड़ताल करेंगे.

छत्तीसगढ़ में शिक्षा की स्थिति
छत्तीसगढ़ में शिक्षा की स्थिति
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Published : Nov 11, 2022, 12:51 PM IST

Updated : Nov 12, 2022, 12:41 PM IST

रायपुर : राज्य गठन के दौरान तकरीबन 7000 करोड़ रुपए से विकास बजट से प्रदेश के बजट एक लाख करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार कर चुका है. प्रदेश के गठन के समय शिक्षा क्षेत्र में भी लगातार विकास कार्य हुए हैं. शिक्षा के क्षेत्र में विकास के मामले पर छत्तीसगढ़ प्रदेश अन्य राज्यों के बराबरी कर रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में अगर बात की जाए तो छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण (chhattisgarh state formation) के समय शिक्षा के क्षेत्र में बेहद मामूली संस्थाएं थी. 22 सालों में इस दिशा में काफी काम हुआ है . स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी विकास हुआ है हालांकि अभी इस दिशा में और काम करने की आवश्यकता है. प्रदेश में स्कूल शिक्षा की क्या स्थिति है इसे लेकर ईटीवी भारत ने शिक्षाविदों से खास बातचीत की.

शिक्षाविद् स्कूल शिक्षा को लेकर राजीव गुप्ता का कहना है कि '' छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की तो हो रही है. लेकिन अपेक्षाकृत तरक्की नहीं है कि बहुत अच्छा काम हो रहा है. सरकार ने आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले हैं . लेकिन उन्हें स्कूलों की संख्या इतनी कम है कि पूरे प्रदेश के परिदृश्य में कोई बेहतर काम हो रहा है क्या कहना सही नहीं होगा. प्रदेश में लगभग 45000 से अधिक सरकारी स्कूल हैं . स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल (Swami Atmanand English Medium School) 200 हैं. प्रदेश में ड्रॉपआउट रेट कम हुए हैं. लेकिन सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी एजुकेशन में यह राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. उसे कम किए जाने की आवश्यकता है. ड्रॉपआउट रेट कम करना इसलिए भी जरूरी है कि छत्तीसगढ़ एक गरीब राज्य है. प्रदेश में कुपोषितों की संख्या ज्यादा है. जब तक बच्चे स्कूल तक नहीं आएंगे तब तक कुपोषण की समस्या दूर नहीं की जा सकेगी. इसलिए इसमें छत्तीसगढ़ सरकार को और उसको शिक्षा विभाग को बेहद गंभीर रूप से काम करने की जरूरत है.''

राजीव गुप्ता के मुताबिक '' छत्तीसगढ़ में सरकारी और प्राइवेट स्कूल लगभग 56 हजार स्कूल है, सरकारी स्कूल में जिसमें पिछले साल ड्रॉप आउट एक प्रतिशत हुआ. प्रदेश में सबसे स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल है तब से प्राइवेट स्कूलों में ड्रॉपआउट रेट बढ़ा है. सही मायने में कहा जाए तो यह ड्रॉपआउट नहीं है. प्राइवेट स्कूलों में लगभग 21% ड्रॉपआउट हुए हैं. छत्तीसगढ़ के शिक्षा की अगर बात की जाए तो जोगी सरकार ने प्रदेश में 123 सीबीएसई स्कूल बनाए थे. क्योंकि प्रदेश में एकाएक सीबीएसई स्कूल बना दिए गए थे. लेकिन ना टीचर तैयार हुए और ना ही बच्चे तैयार हुए. उस महत्वकांक्षी योजना को बंद कर दिया गया. 2009 में जब शिक्षा का अधिकार कानून बना बहुत सारे प्राइवेट स्कूल और सरकारी स्कूल खुले. वहीं कोविड में लॉकडाउन के वक्त छत्तीसगढ़ में डिजिटल एजुकेशन में अच्छा नाम बनाया ,लेकिन आज हम जहां खड़े हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वामी आत्मानंद स्कूल के माध्यम से प्रदेश में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल की शुरुआत की.यह एक अच्छी पहल है. इसमें तकलीफ सिर्फ यह आ सकती है कि इस गुणवत्ता को कितने दिन बरकरार रखा जाएगा. अभी सिर्फ यह देख रहा है कि अधोसंरचना को बेहतर कर दिया गया है. लेकिन बच्चों के रिजल्ट जब आएंगे. तब यह समझ आएगा कि शैक्षणिक कार्य कितना अच्छा हो रहा है. आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल में, दो-तीन सालों में यह पता चलेगा कि शैक्षणिक गुणवत्ता में यह स्कूल कितना फायदेमंद रहा अभी इस पर कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी हालांकि सरकार कि यह पहल बहुत अच्छी है.''


शिक्षाविद् नागेंद्र दुबे का कहना है कि '' छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद शिक्षा का स्तर शहरी क्षेत्रों में अच्छा हुआ है. सरकार द्वारा स्वामी आत्मानंद योजना के तहत गरीब लोग जो अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने की इच्छा रखते थे उनका सपना साकार हुआ. लेकिन यह दुर्भाग्य का विषय है कि राजधानी के 50 -100 किलोमीटर सरकार की पहुंच बेहतर नहीं है. जिस तरह से स्कूल में शिक्षक चाहिए और बच्चों को व्यवस्थाएं मिलनी चाहिए क्षेत्र में सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. स्वामी आत्मानंद स्कूल में ही जिस तरह से शिक्षकों की भर्ती हो रही है और उस योग्यता के आधार पर सुदूर जिलों में शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं ऐसी स्थिति में सरकार को अपने भर्ती प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता है.





कम किया जा रहा ड्राप आउट रेट : छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम (School Education Minister Dr Premsai Singh Tekam) का कहना है कि '' एजुकेशन के क्षेत्र में लगातार सरकार कार्य कर रही है. प्रदेश में ड्रॉपआउट रेट को कम करने के लिए भी ओपन स्कूल के साथ अन्य माध्यमों के जरिए बच्चों को पढ़ाई के मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. यह देखा गया है कि कई बार बच्चों के घर किस दिन ठीक नहीं रहती. तो ऐसे में बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं. बहुत से बच्चे दूसरे स्कूलों में प्रवेश लेते हैं. जिसे एक और दिखाई देता है कि बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं लेकिन वास्तव में वे दूसरे स्कूल में पढ़ाई कर रहे होते हैं. वहीं ज्यादातर बच्चे प्राइवेट स्कूलों से निकलकर शासकीय स्वामी आत्मानंद स्कूल में प्रवेश लिए हैं. स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना है वह बेहतर ढंग से चल रही है. जहां मुख्यमंत्री भेट मुलाकात किए जा रहे हैं जनता की डिमांड आ रही है कि उनके क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले जाए.''




छत्तीसगढ़ में स्कूलों की संख्या :जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था उस दौरान प्रदेश में स्कूल शिक्षा की व्यवस्था बेहतर रही थी लेकिन पिछले 22 सालों में लगातार स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में लगातार विकास कार्य किए जा रहे हैं वर्तमान में सरकार स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम योजना के तहत सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित किया गया है वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 171 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल है ,वहीं 32 नए स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल भी शुरू किए गए हैं .नवगठित राज्य के दौरान छत्तीसगढ़ में साल 2003-2004 में प्राथमिक स्कूल हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल की संख्या 18196 थी. वर्तमान में शैक्षणिक सत्र 2021 22 में छत्तीसगढ़ में प्राथमिक स्कूल, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों की कुल संख्या 56 हजार 464 है.

रायपुर : राज्य गठन के दौरान तकरीबन 7000 करोड़ रुपए से विकास बजट से प्रदेश के बजट एक लाख करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार कर चुका है. प्रदेश के गठन के समय शिक्षा क्षेत्र में भी लगातार विकास कार्य हुए हैं. शिक्षा के क्षेत्र में विकास के मामले पर छत्तीसगढ़ प्रदेश अन्य राज्यों के बराबरी कर रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में अगर बात की जाए तो छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण (chhattisgarh state formation) के समय शिक्षा के क्षेत्र में बेहद मामूली संस्थाएं थी. 22 सालों में इस दिशा में काफी काम हुआ है . स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी विकास हुआ है हालांकि अभी इस दिशा में और काम करने की आवश्यकता है. प्रदेश में स्कूल शिक्षा की क्या स्थिति है इसे लेकर ईटीवी भारत ने शिक्षाविदों से खास बातचीत की.

शिक्षाविद् स्कूल शिक्षा को लेकर राजीव गुप्ता का कहना है कि '' छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की तो हो रही है. लेकिन अपेक्षाकृत तरक्की नहीं है कि बहुत अच्छा काम हो रहा है. सरकार ने आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले हैं . लेकिन उन्हें स्कूलों की संख्या इतनी कम है कि पूरे प्रदेश के परिदृश्य में कोई बेहतर काम हो रहा है क्या कहना सही नहीं होगा. प्रदेश में लगभग 45000 से अधिक सरकारी स्कूल हैं . स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल (Swami Atmanand English Medium School) 200 हैं. प्रदेश में ड्रॉपआउट रेट कम हुए हैं. लेकिन सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी एजुकेशन में यह राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. उसे कम किए जाने की आवश्यकता है. ड्रॉपआउट रेट कम करना इसलिए भी जरूरी है कि छत्तीसगढ़ एक गरीब राज्य है. प्रदेश में कुपोषितों की संख्या ज्यादा है. जब तक बच्चे स्कूल तक नहीं आएंगे तब तक कुपोषण की समस्या दूर नहीं की जा सकेगी. इसलिए इसमें छत्तीसगढ़ सरकार को और उसको शिक्षा विभाग को बेहद गंभीर रूप से काम करने की जरूरत है.''

राजीव गुप्ता के मुताबिक '' छत्तीसगढ़ में सरकारी और प्राइवेट स्कूल लगभग 56 हजार स्कूल है, सरकारी स्कूल में जिसमें पिछले साल ड्रॉप आउट एक प्रतिशत हुआ. प्रदेश में सबसे स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल है तब से प्राइवेट स्कूलों में ड्रॉपआउट रेट बढ़ा है. सही मायने में कहा जाए तो यह ड्रॉपआउट नहीं है. प्राइवेट स्कूलों में लगभग 21% ड्रॉपआउट हुए हैं. छत्तीसगढ़ के शिक्षा की अगर बात की जाए तो जोगी सरकार ने प्रदेश में 123 सीबीएसई स्कूल बनाए थे. क्योंकि प्रदेश में एकाएक सीबीएसई स्कूल बना दिए गए थे. लेकिन ना टीचर तैयार हुए और ना ही बच्चे तैयार हुए. उस महत्वकांक्षी योजना को बंद कर दिया गया. 2009 में जब शिक्षा का अधिकार कानून बना बहुत सारे प्राइवेट स्कूल और सरकारी स्कूल खुले. वहीं कोविड में लॉकडाउन के वक्त छत्तीसगढ़ में डिजिटल एजुकेशन में अच्छा नाम बनाया ,लेकिन आज हम जहां खड़े हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वामी आत्मानंद स्कूल के माध्यम से प्रदेश में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल की शुरुआत की.यह एक अच्छी पहल है. इसमें तकलीफ सिर्फ यह आ सकती है कि इस गुणवत्ता को कितने दिन बरकरार रखा जाएगा. अभी सिर्फ यह देख रहा है कि अधोसंरचना को बेहतर कर दिया गया है. लेकिन बच्चों के रिजल्ट जब आएंगे. तब यह समझ आएगा कि शैक्षणिक कार्य कितना अच्छा हो रहा है. आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल में, दो-तीन सालों में यह पता चलेगा कि शैक्षणिक गुणवत्ता में यह स्कूल कितना फायदेमंद रहा अभी इस पर कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी हालांकि सरकार कि यह पहल बहुत अच्छी है.''


शिक्षाविद् नागेंद्र दुबे का कहना है कि '' छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद शिक्षा का स्तर शहरी क्षेत्रों में अच्छा हुआ है. सरकार द्वारा स्वामी आत्मानंद योजना के तहत गरीब लोग जो अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने की इच्छा रखते थे उनका सपना साकार हुआ. लेकिन यह दुर्भाग्य का विषय है कि राजधानी के 50 -100 किलोमीटर सरकार की पहुंच बेहतर नहीं है. जिस तरह से स्कूल में शिक्षक चाहिए और बच्चों को व्यवस्थाएं मिलनी चाहिए क्षेत्र में सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. स्वामी आत्मानंद स्कूल में ही जिस तरह से शिक्षकों की भर्ती हो रही है और उस योग्यता के आधार पर सुदूर जिलों में शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं ऐसी स्थिति में सरकार को अपने भर्ती प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता है.





कम किया जा रहा ड्राप आउट रेट : छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम (School Education Minister Dr Premsai Singh Tekam) का कहना है कि '' एजुकेशन के क्षेत्र में लगातार सरकार कार्य कर रही है. प्रदेश में ड्रॉपआउट रेट को कम करने के लिए भी ओपन स्कूल के साथ अन्य माध्यमों के जरिए बच्चों को पढ़ाई के मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. यह देखा गया है कि कई बार बच्चों के घर किस दिन ठीक नहीं रहती. तो ऐसे में बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं. बहुत से बच्चे दूसरे स्कूलों में प्रवेश लेते हैं. जिसे एक और दिखाई देता है कि बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं लेकिन वास्तव में वे दूसरे स्कूल में पढ़ाई कर रहे होते हैं. वहीं ज्यादातर बच्चे प्राइवेट स्कूलों से निकलकर शासकीय स्वामी आत्मानंद स्कूल में प्रवेश लिए हैं. स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना है वह बेहतर ढंग से चल रही है. जहां मुख्यमंत्री भेट मुलाकात किए जा रहे हैं जनता की डिमांड आ रही है कि उनके क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले जाए.''




छत्तीसगढ़ में स्कूलों की संख्या :जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था उस दौरान प्रदेश में स्कूल शिक्षा की व्यवस्था बेहतर रही थी लेकिन पिछले 22 सालों में लगातार स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में लगातार विकास कार्य किए जा रहे हैं वर्तमान में सरकार स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम योजना के तहत सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित किया गया है वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 171 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल है ,वहीं 32 नए स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल भी शुरू किए गए हैं .नवगठित राज्य के दौरान छत्तीसगढ़ में साल 2003-2004 में प्राथमिक स्कूल हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल की संख्या 18196 थी. वर्तमान में शैक्षणिक सत्र 2021 22 में छत्तीसगढ़ में प्राथमिक स्कूल, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों की कुल संख्या 56 हजार 464 है.

Last Updated : Nov 12, 2022, 12:41 PM IST
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