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SPECIAL: छत्तीसगढ़ सरकार की नई उद्योग नीति ने कोरोना काल में भी पार की MSME सेक्टर की नैया

छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में दूसरे राज्यों के मुकाबले कोरोना का इफेक्ट कम ही रहा है. सुविधाजनक व्यवस्था के साथ स्थानीय उद्योगों के उत्पादों को प्राथमिकता देने जैसे कई बड़े फैसलों ने छत्तीसगढ़ के उद्योग जगत के लिए संजीवनी का काम किया है.

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Published : Dec 30, 2020, 1:53 PM IST

industrial policy of Chhattisgarh government
MSME सेक्टर को हुआ फायदा

रायपुर: कोरोना और लॉकडाउन ने वैसे तो देश दुनिया के तमाम सेक्टर्स पर अपना इफेक्ट डाला है. देश के तमाम राज्य कोरोना की जद में आकर इंडस्ट्रियल ग्रोथ को लेकर परेशान रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में दूसरे राज्यों के मुकाबले इसका असर कम ही रहा है. उद्योगों को बिजली दर में रियायत, अनुदान, सहायता, सरल और सुविधाजनक व्यवस्था के साथ स्थानीय उद्योगों के उत्पादों को प्राथमिकता देने जैसे कई बड़े फैसलों ने छत्तीसगढ़ के उद्योग जगत के लिए संजीवनी का काम किया है. ETV भारत ने जब उद्योग जगत के तमाम लोगों से इसे लेकर बात की, तो दूसरे राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में एमएसएमई सेक्टर में कोरोना काल के दौरान भी अच्छा काम चलने की बात सामने आई.

MSME सेक्टर को हुआ फायदा

सूक्ष्म और लघु उद्योग सेक्टर किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते देशभर में यह सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित रहा. देशभर में हो रहे पलायन के चलते तमाम राज्यों में रॉ मटेरियल और लेबर की कमी के चलते उद्योग जगत पूरी तरह प्रभावित हुआ. छत्तीसगढ़ में स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सस्ते दर पर बिजली, जमीनों की रियायत, फ्री होल्ड करने और रॉ-मटेरियल उपलब्ध करवाने जैसे कई फैसलों से छत्तीसगढ़ में कोरोना के दौर में भी औद्योगिक गतिविधियां नहीं थमीं. छत्तीसगढ़ के कोर सेक्टर के उद्योगों में भी उत्पादन जारी रहा. साल 2020 में जनवरी से लेकर अब तक 848 औद्योगिक इकाईयों ने 14 हजार 983 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश कर उद्योगों में 15 हजार 424 व्यक्तियों को रोजगार दिया है.

भूपेश कैबिनेट ने उद्योगों को दी राहत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लॉकडॉउन के दौरान अलग-अलग सेक्टर के उद्योग प्रतिनिधियों से चर्चा कर उनकी समस्याएं सुनीं. साथ ही इसे सुलझाने के लिए कई फैसले भी लिए. भूपेश कैबिनेट ने बैठक लेकर उद्योगों को लीज पर दी गई जमीन पर उद्योग लगाने के लिए निर्धारित 1 साल के समय को बढ़ा दिया. नए बायोएथेनॉल प्लांट लगाने के लिए अर्ली बर्ड अनुदान के लिए 18 महीने का समय तय किया गया. राज्य सरकार ने औद्योगिक नीति 2019 से 2024 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के उद्यमियों और स्टार्टअप के लिए स्पेशल पैकेज भी घोषित किया.

पढ़ें: रायपुर: हैंडलूम एक्सपो पर पड़ रही कोविड-19 और किसान आंदोलन की दोहरी मार

औद्योगिक नीति 2019-2024 में स्थापित होने वाले उद्योगों को विस्तार देने के लिए अनुदान छूट और रियायतों की पात्रता का अनुमोदन का फैसला भी कैबिनेट ने लिया. सूक्ष्म उद्योगों के साथ-साथ लघु और मध्यम उद्योगों को भी स्थायी पूंजी निवेश अनुदान की सुविधा देने का फैसला लिया गया. कोर सेक्टर के उद्योगों को पूरे राज्य में विद्युत शुल्क की छूट दी गई. स्पंज आयरन और स्टील सेक्टर के उद्योगों के लिए भी सपोर्ट पॉलिसी के तहत विशेष पैकेज घोषित करते हुए क्षेत्रवार छूट की सीमा 60% से 150% तक कर दी गई. इसी तरह भूजल के औद्योगिक उपयोग के लिए निर्धारित दरों में 20 से 33% तक की कमी की गई.

आयरन एंड स्टील क्षेत्र को प्रोत्साहन

छत्तीसगढ़ सरकार की नई औद्योगिक नीति के तहत स्पंज आयरन एंड स्टील क्षेत्र के अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट में निवेश के लिए विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज देने का भी फैसला लिया गया. मेगा निवेशकों के लिए घोषित किए गए पैकेज में अधिकतम 500 करोड़ रुपये तक का निवेश प्रोत्साहन मान्य किया जा रहा है. प्रस्तावित इकाईयों के लिए 31 अक्टूबर 2024 को या उसके पहले पहले व्यावसायिक उत्पादन शुरू करना जरूरी होगा.

राज्य सरकार को मिला राष्ट्रीय सम्मान

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहन को लेकर भारत सरकार सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय नई दिल्ली ने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर एमएसएमई प्रमोशन और डेवलपमेंट के क्षेत्र में पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त करने के लिए सम्मानित किया. इसी तरह राज्य में अब तक 415 से ज्यादा स्टार्टअप को केंद्र शासन ने मान्यता दी है. युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 2020 में 1 हजार 572 हितग्राहियों को विभिन्न बैंकों ने 68.28 करोड़ का कर्ज दिया है.

लॉकडाउन में भी सबसे पहले शुरू हुआ संचालन

लॉकडाउन होने के बाद पड़ोसी राज्यों से सबसे पहले छत्तीसगढ़ में उद्योगों का संचालन शुरू हुआ. प्रदेश में बड़े उद्योग लॉकडाउन के दौरान भी कम क्षमता के साथ संचालित हो रहे थे. चाहे भिलाई इस्पात संयंत्र हो, बाल्को हो या एसीसीएल, तमाम खदानों में भी कम उत्पादन क्षमता के साथ काम चल रहा था.

पढ़ें: कोरोना काल में साइकिल बनी इम्यूनिटी बूस्ट करने की 'मेडिसिन' !

848 इकाईयों को 100 करोड़ से ज्यादा का अनुदान

बैंकों के जरिए दो हजार लघु और सूक्ष्म इकाइयों के लिए करीब 36 करोड़ की धनराशि हितग्राहियों को बांटी गई है. इसी तरह राज्य सरकार ने 848 औद्योगिक इकाइयों को 103 करोड़ रुपए का अनुदान दिया. राज्य की 282 औद्योगिक इकाइयों को स्टांप शुल्क से छूट दी गई. इसी तरह राज्य सरकार ने 101 स्थानों पर फूड पार्क के लिए 300 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की. 15 जगहों पर 200 हेक्टेयर जमीन का स्थानांतरण भी किया जा चुका है. जहां फूड पार्क की स्थापना का काम भी शुरू हो चुका है.

एक नजर नई औद्योगिक नीति पर

  • छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास को गति देने और समावेशी विकास के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने नई औद्योगिक नीति बनाई है. इसके तहत कई तरह के प्रावधान किए गए-
  • कृषि एवं वन आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहन
  • कोविड-19 को देखते हुए औद्योगिक भूमि के आवंटन में भू प्रीमियम पर 30 से 60% तक की छूट.
  • औद्योगिक भूमि लीज रेंट 3% से घटाकर 2% किया गया
  • औद्योगिक भूमि के स्थानांतरण शुल्क में भी 5% की कमी की गई.
  • धान और गन्ने से बायोएथेनॉल के उत्पादन को विशेष रूप से उच्च प्राथमिकता दी जा रही है. ताकि कृषि उत्पादों को स्थानीय स्तर पर समुचित दाम मिल सके.
  • नई औद्योगिक नीति के तहत स्थापित होने वाले उद्यमों में आवश्यक कौशल श्रेणी में 70%, अकुशल श्रेणी में 100% और प्रबंधन श्रेणी में 40% रोजगार स्थानीय निवासियों को देने का भी प्रावधान रखा गया है.
  • राज्य में 200 फूड पार्क बनाने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक प्रदेश के 28 जिलों के 101 विकासखंडों में भूमि का सीमांकन किया गया है. सुकमा, कोंटा, छिंदगढ़ और बस्तर के लोहंडीगुड़ा में भूमि का अधिपत्य भी पूरा कर लिया गया है.
  • रायपुर के पंडरी में 10 एकड़ जमीन पर जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क की स्थापना के लिए भी भूमि सीएसआईडीसी को दी जा चुकी है.

रायपुर: कोरोना और लॉकडाउन ने वैसे तो देश दुनिया के तमाम सेक्टर्स पर अपना इफेक्ट डाला है. देश के तमाम राज्य कोरोना की जद में आकर इंडस्ट्रियल ग्रोथ को लेकर परेशान रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में दूसरे राज्यों के मुकाबले इसका असर कम ही रहा है. उद्योगों को बिजली दर में रियायत, अनुदान, सहायता, सरल और सुविधाजनक व्यवस्था के साथ स्थानीय उद्योगों के उत्पादों को प्राथमिकता देने जैसे कई बड़े फैसलों ने छत्तीसगढ़ के उद्योग जगत के लिए संजीवनी का काम किया है. ETV भारत ने जब उद्योग जगत के तमाम लोगों से इसे लेकर बात की, तो दूसरे राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में एमएसएमई सेक्टर में कोरोना काल के दौरान भी अच्छा काम चलने की बात सामने आई.

MSME सेक्टर को हुआ फायदा

सूक्ष्म और लघु उद्योग सेक्टर किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते देशभर में यह सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित रहा. देशभर में हो रहे पलायन के चलते तमाम राज्यों में रॉ मटेरियल और लेबर की कमी के चलते उद्योग जगत पूरी तरह प्रभावित हुआ. छत्तीसगढ़ में स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सस्ते दर पर बिजली, जमीनों की रियायत, फ्री होल्ड करने और रॉ-मटेरियल उपलब्ध करवाने जैसे कई फैसलों से छत्तीसगढ़ में कोरोना के दौर में भी औद्योगिक गतिविधियां नहीं थमीं. छत्तीसगढ़ के कोर सेक्टर के उद्योगों में भी उत्पादन जारी रहा. साल 2020 में जनवरी से लेकर अब तक 848 औद्योगिक इकाईयों ने 14 हजार 983 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश कर उद्योगों में 15 हजार 424 व्यक्तियों को रोजगार दिया है.

भूपेश कैबिनेट ने उद्योगों को दी राहत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लॉकडॉउन के दौरान अलग-अलग सेक्टर के उद्योग प्रतिनिधियों से चर्चा कर उनकी समस्याएं सुनीं. साथ ही इसे सुलझाने के लिए कई फैसले भी लिए. भूपेश कैबिनेट ने बैठक लेकर उद्योगों को लीज पर दी गई जमीन पर उद्योग लगाने के लिए निर्धारित 1 साल के समय को बढ़ा दिया. नए बायोएथेनॉल प्लांट लगाने के लिए अर्ली बर्ड अनुदान के लिए 18 महीने का समय तय किया गया. राज्य सरकार ने औद्योगिक नीति 2019 से 2024 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के उद्यमियों और स्टार्टअप के लिए स्पेशल पैकेज भी घोषित किया.

पढ़ें: रायपुर: हैंडलूम एक्सपो पर पड़ रही कोविड-19 और किसान आंदोलन की दोहरी मार

औद्योगिक नीति 2019-2024 में स्थापित होने वाले उद्योगों को विस्तार देने के लिए अनुदान छूट और रियायतों की पात्रता का अनुमोदन का फैसला भी कैबिनेट ने लिया. सूक्ष्म उद्योगों के साथ-साथ लघु और मध्यम उद्योगों को भी स्थायी पूंजी निवेश अनुदान की सुविधा देने का फैसला लिया गया. कोर सेक्टर के उद्योगों को पूरे राज्य में विद्युत शुल्क की छूट दी गई. स्पंज आयरन और स्टील सेक्टर के उद्योगों के लिए भी सपोर्ट पॉलिसी के तहत विशेष पैकेज घोषित करते हुए क्षेत्रवार छूट की सीमा 60% से 150% तक कर दी गई. इसी तरह भूजल के औद्योगिक उपयोग के लिए निर्धारित दरों में 20 से 33% तक की कमी की गई.

आयरन एंड स्टील क्षेत्र को प्रोत्साहन

छत्तीसगढ़ सरकार की नई औद्योगिक नीति के तहत स्पंज आयरन एंड स्टील क्षेत्र के अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट में निवेश के लिए विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज देने का भी फैसला लिया गया. मेगा निवेशकों के लिए घोषित किए गए पैकेज में अधिकतम 500 करोड़ रुपये तक का निवेश प्रोत्साहन मान्य किया जा रहा है. प्रस्तावित इकाईयों के लिए 31 अक्टूबर 2024 को या उसके पहले पहले व्यावसायिक उत्पादन शुरू करना जरूरी होगा.

राज्य सरकार को मिला राष्ट्रीय सम्मान

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहन को लेकर भारत सरकार सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय नई दिल्ली ने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर एमएसएमई प्रमोशन और डेवलपमेंट के क्षेत्र में पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त करने के लिए सम्मानित किया. इसी तरह राज्य में अब तक 415 से ज्यादा स्टार्टअप को केंद्र शासन ने मान्यता दी है. युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 2020 में 1 हजार 572 हितग्राहियों को विभिन्न बैंकों ने 68.28 करोड़ का कर्ज दिया है.

लॉकडाउन में भी सबसे पहले शुरू हुआ संचालन

लॉकडाउन होने के बाद पड़ोसी राज्यों से सबसे पहले छत्तीसगढ़ में उद्योगों का संचालन शुरू हुआ. प्रदेश में बड़े उद्योग लॉकडाउन के दौरान भी कम क्षमता के साथ संचालित हो रहे थे. चाहे भिलाई इस्पात संयंत्र हो, बाल्को हो या एसीसीएल, तमाम खदानों में भी कम उत्पादन क्षमता के साथ काम चल रहा था.

पढ़ें: कोरोना काल में साइकिल बनी इम्यूनिटी बूस्ट करने की 'मेडिसिन' !

848 इकाईयों को 100 करोड़ से ज्यादा का अनुदान

बैंकों के जरिए दो हजार लघु और सूक्ष्म इकाइयों के लिए करीब 36 करोड़ की धनराशि हितग्राहियों को बांटी गई है. इसी तरह राज्य सरकार ने 848 औद्योगिक इकाइयों को 103 करोड़ रुपए का अनुदान दिया. राज्य की 282 औद्योगिक इकाइयों को स्टांप शुल्क से छूट दी गई. इसी तरह राज्य सरकार ने 101 स्थानों पर फूड पार्क के लिए 300 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की. 15 जगहों पर 200 हेक्टेयर जमीन का स्थानांतरण भी किया जा चुका है. जहां फूड पार्क की स्थापना का काम भी शुरू हो चुका है.

एक नजर नई औद्योगिक नीति पर

  • छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास को गति देने और समावेशी विकास के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने नई औद्योगिक नीति बनाई है. इसके तहत कई तरह के प्रावधान किए गए-
  • कृषि एवं वन आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहन
  • कोविड-19 को देखते हुए औद्योगिक भूमि के आवंटन में भू प्रीमियम पर 30 से 60% तक की छूट.
  • औद्योगिक भूमि लीज रेंट 3% से घटाकर 2% किया गया
  • औद्योगिक भूमि के स्थानांतरण शुल्क में भी 5% की कमी की गई.
  • धान और गन्ने से बायोएथेनॉल के उत्पादन को विशेष रूप से उच्च प्राथमिकता दी जा रही है. ताकि कृषि उत्पादों को स्थानीय स्तर पर समुचित दाम मिल सके.
  • नई औद्योगिक नीति के तहत स्थापित होने वाले उद्यमों में आवश्यक कौशल श्रेणी में 70%, अकुशल श्रेणी में 100% और प्रबंधन श्रेणी में 40% रोजगार स्थानीय निवासियों को देने का भी प्रावधान रखा गया है.
  • राज्य में 200 फूड पार्क बनाने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक प्रदेश के 28 जिलों के 101 विकासखंडों में भूमि का सीमांकन किया गया है. सुकमा, कोंटा, छिंदगढ़ और बस्तर के लोहंडीगुड़ा में भूमि का अधिपत्य भी पूरा कर लिया गया है.
  • रायपुर के पंडरी में 10 एकड़ जमीन पर जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क की स्थापना के लिए भी भूमि सीएसआईडीसी को दी जा चुकी है.
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