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delisting: डिलिस्टिंग को लेकर सुलगी सियासत, रायपुर में जनजातीय सुरक्षा मंच का आंदोलन, गणेश राम भगत ने खोला मोर्चा - चुनावी साल में डिलिस्टिंग

छत्तीसगढ़ में डिलिस्टिंग को लेकर फिर घमासान छिड़ गया है. रविवार को रायपुर में डिलिस्टिंग को लेकर आंदोलन है. जनजातीय सुरक्षा मंच आंदोलन करने जा रहा है. इस पर ईटीवी भारत ने जनजातीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत से खास बातचीत की है. janajati suraksha manch

Ganesh Ram Bhagat
डिलिस्टिंग को लेकर सुलगी सियासत,
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Published : Apr 16, 2023, 1:08 AM IST

गणेश राम भगत से खास बातचीत

रायपुर: चुनावी साल में डिलिस्टिंग का मुद्दा गरमाता जा रहा है. आज रायपुर में जनजातीय सुरक्षा मंच का आंदोलन है. यह आंदोलन वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर के मैदान में होने जा रहा है. इस पर जनजातीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने अपने विचार ईटीवी के सामने रखे.

सवाल: राजधानी रायपुर में डिलिस्टिंग की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन है. किस तरह का आयोजन है?

जवाब- राजधानी रायपुर ही नहीं पूरे देश की राजधानी में बड़े बड़े आंदोलन हो रहे हैं. जहां नहीं हुआ है वहां आंदोलन किया जाएगा. अधिकांश प्रदेश के हिस्सो में डी लिस्टिंग को लेकर आंदोलन हो गया है.

सवाल- चुनाव नजदीक है क्या इसलिए डिलिस्टिंग की मांग उठाई जा रही है?

जवाब- चुनाव और राजनीति एक अलग विषय है. डिलिस्टिंग उससे बिल्कुल अलग विषय है. जनजातियों को भारत सरकार सुविधा देती है.उसमें से जो अनुसूचित जनजाति के लोग धर्म आधारित हो गए हैं. ऐसे लोग भी उस सुविधा का लाभ ले रहे हैं. जनजातीय सुरक्षा मंच की भारत सरकार से मांग है कि, जो रूढ़ि को नहीं मान रहे हैं. अपने पुरखों की परंपराओं को नहीं मान रहे हैं. उन्हें आरक्षण क्यों दिया जा रहा है. सरकार कहती है कि, हम आदिवासियों को आरक्षण दे रहे हैं. आदिवासी की परिभाषा आपने रूढ़ि से जोड़ी है. आदिवासियों को आरक्षण तो दे रहे हैं. लेकिन जो धर्मान्तरित हो गए हैं. उन्हें भी आरक्षण दिया जा रहा है. इसलिए, हम आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे लोग जो धर्मान्तरित होकर अपने रीति-रिवाजों को छोड़ चुके हैं. वह आदिवासी कैसे हो गए?. इसलिए हम पूरे देश में मांग कर रहे हैं. जो इस तरह की स्थिति है. ऐसे में धर्मान्तरित लोगों का आरक्षण बंद किया जाए. ये लोग आरक्षण का दोहरा लाभ ले रहे हैं. जो धर्मान्तरित लोग हैं, वे आदिवासी आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. इसके साथ ही अल्पसंख्यक आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. ऐसे में जिन आदिवासियों के सर्वांगीण विकास की बात सरकार करती है.लेकिन अधिकांश पैसे धर्मान्तरित लोगों पर खर्च किया जा रहा है. हम इसे बंद करने की मांग कर रहे हैं. जब तक यह बंद नहीं होगा आंदोलन जारी रहेगा.

सवाल: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि, भाजपा और आरएसएस के अनुषांगिक संगठन डिलिस्टिंग पर राजनीति कर रहें है. उन्हें मांग ही करनी है तो दिल्ली में जाकर आंदोलन करें. यहां आंदोलन करने की क्या जरूरत है?

जवाब: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मेरे अच्छे मित्र हैं. मैं उनके बारे में कुछ नहीं बोलना चाहता. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि, "डिलिस्टिंग, चुनाव के पहले या बाद का सवाल नहीं है. हम 17 साल से आंदोलन कर रहे हैं और, आज यह देश व्यापी आंदोलन हो गया है. हर गांव हर परिवार में यह संदेश चले गया है. हम पूरे देश में आंदोलन खड़ा कर रहे हैं. 25 दिन पहले ओडिशा के भुवनेश्वर में आंदोलन हुआ. लाखों जनजाति के लोग जुटे. ओडिशा में चुनाव नहीं हो रहा है. चुनाव और राजनीति से इसे नहीं जोड़ना चाहिए. यह जनजाति की मूल आस्था का विषय है. उससे इसे जोड़ने की जरूरत है.धर्मान्तरित लोगों को अल्पसंख्यक का आरक्षण दीजिए. हमें आपत्ति नहीं है. हमारा धर्म से भी विरोध नहीं है. अगर लाभ लेना है तो एक लाभ लिया जाए. दोहरा लाभ क्यों लिया जा रहा है, और इसी बात का हम विरोध कर रहे हैं."

सवाल: जो लोग दोहरा लाभ ले रहे हैं. इससे मूल आदिवासियों को कितना नुकसान हो रहा है?

जवाब: अंकगणित मुझे समझ नहीं आता,लेकिन 80 प्रतिशत मूल आदिवासियों को दोहरा लाभ लेने वालों से नुकसान हो रहा है,

सवाल: राजधानी में बड़ा आंदोलन हो रहा है कितने लोग शामिल होंगे?

जवाब: कल पूरे प्रदेश से लोग आंदोलन में शामिल होंगे. यह एक जन आंदोलन है, इसका निश्चित दायरा नहीं है. हमने आह्वान किया है. कितने लोग आएंगे यह नहीं कहा जा सकता है.लेकिन आंदोलन सफल होगा, अच्छा होगा और कानून के दायरे में रहकर किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: Delisting in Chhattisgarh: चुनावी साल में डिलिस्टिंग का मुद्दा गरमाया, क्या है राजनेताओं और आदिवासी समुदाय की राय

सवाल: आंदोलन में कितने लोगों की आप व्यवस्था कर रहे हैं?

जवाब: अगर हम संख्या बता देंगे तो आप कल हम पर ही सवाल खड़े करेंगे. हजारों की संख्या में लोग इस आंदोलन में आएंगे. आदिवासियों को पीड़ा है. 100 रुपए एक आदिवासी के लिए सरकार देती है. उसमें से 80 रुपए धर्मान्तरित लोग ले जाते हैं, और 20 रुपए में मूल आदिवासी अपने परिवार का लालन पालन करता है. आदिवासियों में बहुत दर्द है. उस दर्द को राजधानी में आकर भी व्यक्त करेंगे.

सवाल: डिलिस्टिंग की मांग आप लोग कर रहे हैं. लेकिन यह कैसे संभव है? क्योंकि इसे भारत सरकार को करना है. लोकसभा में संशोधन होगा ?

जवाब: यह एक जन आंदोलन है. हम लगातार इसकी मांग कर रहे हैं. महात्मा गांधी ने देश की आजादी के लिए लोगों को खड़ा किया. इतनी संख्या में लोग खड़े हो गए कि देश आजाद हो गया. उन्होंने अपने आंदोलन में कानून को हाथ में नहीं लिया. हमारा आंदोलन गांधीवादी है. हम कानून को हाथ में नहीं ले रहे हैं. हम लड़ाई झगड़ा और लाठी डंडा नहीं चला रहे हैं. हम आंदोलन के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं. सरकार से मांग कर रहे हैं कि जो लोग अनुसूचित जनजाति के धर्मान्तरित हो गए हैं. उन्होंने अपनी आस्था परंपराओं को छोड़ दिया है, और हमारे बराबर उन्हें हिस्सा दिया जा रहा है. यह ठीक नहीं है. इसे बंद करना चाहिए, हमारा धर्मान्तरित हुए लोगों से कोई विवाद नहीं हैं. ना अपलसंख्यक योजना का लाभ ले रहे हैं. उससे कोई नाराजगी है. उन्हें जो करना है वो करें. लेकिन हमें हमारा हक दिया जाए.

गणेश राम भगत से खास बातचीत

रायपुर: चुनावी साल में डिलिस्टिंग का मुद्दा गरमाता जा रहा है. आज रायपुर में जनजातीय सुरक्षा मंच का आंदोलन है. यह आंदोलन वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर के मैदान में होने जा रहा है. इस पर जनजातीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने अपने विचार ईटीवी के सामने रखे.

सवाल: राजधानी रायपुर में डिलिस्टिंग की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन है. किस तरह का आयोजन है?

जवाब- राजधानी रायपुर ही नहीं पूरे देश की राजधानी में बड़े बड़े आंदोलन हो रहे हैं. जहां नहीं हुआ है वहां आंदोलन किया जाएगा. अधिकांश प्रदेश के हिस्सो में डी लिस्टिंग को लेकर आंदोलन हो गया है.

सवाल- चुनाव नजदीक है क्या इसलिए डिलिस्टिंग की मांग उठाई जा रही है?

जवाब- चुनाव और राजनीति एक अलग विषय है. डिलिस्टिंग उससे बिल्कुल अलग विषय है. जनजातियों को भारत सरकार सुविधा देती है.उसमें से जो अनुसूचित जनजाति के लोग धर्म आधारित हो गए हैं. ऐसे लोग भी उस सुविधा का लाभ ले रहे हैं. जनजातीय सुरक्षा मंच की भारत सरकार से मांग है कि, जो रूढ़ि को नहीं मान रहे हैं. अपने पुरखों की परंपराओं को नहीं मान रहे हैं. उन्हें आरक्षण क्यों दिया जा रहा है. सरकार कहती है कि, हम आदिवासियों को आरक्षण दे रहे हैं. आदिवासी की परिभाषा आपने रूढ़ि से जोड़ी है. आदिवासियों को आरक्षण तो दे रहे हैं. लेकिन जो धर्मान्तरित हो गए हैं. उन्हें भी आरक्षण दिया जा रहा है. इसलिए, हम आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे लोग जो धर्मान्तरित होकर अपने रीति-रिवाजों को छोड़ चुके हैं. वह आदिवासी कैसे हो गए?. इसलिए हम पूरे देश में मांग कर रहे हैं. जो इस तरह की स्थिति है. ऐसे में धर्मान्तरित लोगों का आरक्षण बंद किया जाए. ये लोग आरक्षण का दोहरा लाभ ले रहे हैं. जो धर्मान्तरित लोग हैं, वे आदिवासी आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. इसके साथ ही अल्पसंख्यक आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. ऐसे में जिन आदिवासियों के सर्वांगीण विकास की बात सरकार करती है.लेकिन अधिकांश पैसे धर्मान्तरित लोगों पर खर्च किया जा रहा है. हम इसे बंद करने की मांग कर रहे हैं. जब तक यह बंद नहीं होगा आंदोलन जारी रहेगा.

सवाल: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि, भाजपा और आरएसएस के अनुषांगिक संगठन डिलिस्टिंग पर राजनीति कर रहें है. उन्हें मांग ही करनी है तो दिल्ली में जाकर आंदोलन करें. यहां आंदोलन करने की क्या जरूरत है?

जवाब: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मेरे अच्छे मित्र हैं. मैं उनके बारे में कुछ नहीं बोलना चाहता. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि, "डिलिस्टिंग, चुनाव के पहले या बाद का सवाल नहीं है. हम 17 साल से आंदोलन कर रहे हैं और, आज यह देश व्यापी आंदोलन हो गया है. हर गांव हर परिवार में यह संदेश चले गया है. हम पूरे देश में आंदोलन खड़ा कर रहे हैं. 25 दिन पहले ओडिशा के भुवनेश्वर में आंदोलन हुआ. लाखों जनजाति के लोग जुटे. ओडिशा में चुनाव नहीं हो रहा है. चुनाव और राजनीति से इसे नहीं जोड़ना चाहिए. यह जनजाति की मूल आस्था का विषय है. उससे इसे जोड़ने की जरूरत है.धर्मान्तरित लोगों को अल्पसंख्यक का आरक्षण दीजिए. हमें आपत्ति नहीं है. हमारा धर्म से भी विरोध नहीं है. अगर लाभ लेना है तो एक लाभ लिया जाए. दोहरा लाभ क्यों लिया जा रहा है, और इसी बात का हम विरोध कर रहे हैं."

सवाल: जो लोग दोहरा लाभ ले रहे हैं. इससे मूल आदिवासियों को कितना नुकसान हो रहा है?

जवाब: अंकगणित मुझे समझ नहीं आता,लेकिन 80 प्रतिशत मूल आदिवासियों को दोहरा लाभ लेने वालों से नुकसान हो रहा है,

सवाल: राजधानी में बड़ा आंदोलन हो रहा है कितने लोग शामिल होंगे?

जवाब: कल पूरे प्रदेश से लोग आंदोलन में शामिल होंगे. यह एक जन आंदोलन है, इसका निश्चित दायरा नहीं है. हमने आह्वान किया है. कितने लोग आएंगे यह नहीं कहा जा सकता है.लेकिन आंदोलन सफल होगा, अच्छा होगा और कानून के दायरे में रहकर किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: Delisting in Chhattisgarh: चुनावी साल में डिलिस्टिंग का मुद्दा गरमाया, क्या है राजनेताओं और आदिवासी समुदाय की राय

सवाल: आंदोलन में कितने लोगों की आप व्यवस्था कर रहे हैं?

जवाब: अगर हम संख्या बता देंगे तो आप कल हम पर ही सवाल खड़े करेंगे. हजारों की संख्या में लोग इस आंदोलन में आएंगे. आदिवासियों को पीड़ा है. 100 रुपए एक आदिवासी के लिए सरकार देती है. उसमें से 80 रुपए धर्मान्तरित लोग ले जाते हैं, और 20 रुपए में मूल आदिवासी अपने परिवार का लालन पालन करता है. आदिवासियों में बहुत दर्द है. उस दर्द को राजधानी में आकर भी व्यक्त करेंगे.

सवाल: डिलिस्टिंग की मांग आप लोग कर रहे हैं. लेकिन यह कैसे संभव है? क्योंकि इसे भारत सरकार को करना है. लोकसभा में संशोधन होगा ?

जवाब: यह एक जन आंदोलन है. हम लगातार इसकी मांग कर रहे हैं. महात्मा गांधी ने देश की आजादी के लिए लोगों को खड़ा किया. इतनी संख्या में लोग खड़े हो गए कि देश आजाद हो गया. उन्होंने अपने आंदोलन में कानून को हाथ में नहीं लिया. हमारा आंदोलन गांधीवादी है. हम कानून को हाथ में नहीं ले रहे हैं. हम लड़ाई झगड़ा और लाठी डंडा नहीं चला रहे हैं. हम आंदोलन के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं. सरकार से मांग कर रहे हैं कि जो लोग अनुसूचित जनजाति के धर्मान्तरित हो गए हैं. उन्होंने अपनी आस्था परंपराओं को छोड़ दिया है, और हमारे बराबर उन्हें हिस्सा दिया जा रहा है. यह ठीक नहीं है. इसे बंद करना चाहिए, हमारा धर्मान्तरित हुए लोगों से कोई विवाद नहीं हैं. ना अपलसंख्यक योजना का लाभ ले रहे हैं. उससे कोई नाराजगी है. उन्हें जो करना है वो करें. लेकिन हमें हमारा हक दिया जाए.

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