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रायपुर: RTE के तहत एडमिशन लेने के बाद ज्यादातर बच्चे छोड़ रहे स्कूल

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Published : May 31, 2020, 5:57 PM IST

RTE के तहत एडमिशन लेने के बाद छत्तीसगढ़ में ज्यादातर बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. मामले में हैरान करने वाली बात ये है कि ड्रॉपअप करने वाले बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं या पढ़ाई छोड़ चुके हैं इसकी जानकारी भी शिक्षा विभाग के पास नहीं है.

most of the students are leaving school in chhattisgarh after taking admission under rte
RTE के बाद भी नहीं सुधरा शिक्षा का स्तर

रायपुर: RTE यानि राइट टू एजुकेशन के तहत स्कूलों में एडमिशन लेने वाले ज्यादातर बच्चे स्कूल छोड़ दे रहे हैं. ड्रॉपअप के नए आंकड़े के मुताबिक बीते 9 साल में छत्तीसगढ़ के तकरीबन 21.4 फीसदी बच्चों ने बड़े स्कूलों में एडमिशन लेकर स्कूल छोड़ दिया. इतना ही नहीं ड्रापअप करने वाले बच्चे किन स्कूलों में हैं या पढ़ाई छोड़ चुके हैं इसकी जानकारी भी विभाग के पास नहीं है. ड्रॉपअप के मामले में छत्तीसगढ़ देश भर में सातवें स्थान पर है.

RTE के बाद भी नहीं सुधरा शिक्षा का स्तर

RTE के तहत बेहतर स्कूल में शिक्षा देने के लिए राज्य सरकार ने 25 फीसदी कोटे के तहत व्यवस्था की है. इसके तहत अपने बच्चों को बड़े और इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा दिलाने की चाह रखने वाले पेरेंट्स RTE के तहत इस कोटे का लाभ ले सकते हैं, लेकिन जो आंकड़े सामने आए हैं उससे ये स्पष्ट हो रहा है कि इस सुविधा के तहत बच्चों का स्कूलों में एडमिशन तो होता है लेकिन उनकी आगे की पढ़ाई कहां तक होती है इसका कोई ब्यौरा किसी के भी पास नहीं है.

इस संबंध में जब स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कई स्कूलों में बच्चे केवल नाम लिखाकर चले जाते हैं. वहीं कई स्कूलों में आगे की कक्षाएं नहीं होती, जिन स्कूलों में कक्षाएं नहीं होती वहां के बच्चे किसी अन्य स्कूल में चले जाते हैं तो वह भी ड्रॉपअप की गिनती में आ जाता है. टेकाम ने कहा कि इसकी मॉनिटरिंग के लिए सभी जिले के DEO को जिम्मा दिया गया है, ड्रॉपअप कम हो इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है.

रायपुर: RTE यानि राइट टू एजुकेशन के तहत स्कूलों में एडमिशन लेने वाले ज्यादातर बच्चे स्कूल छोड़ दे रहे हैं. ड्रॉपअप के नए आंकड़े के मुताबिक बीते 9 साल में छत्तीसगढ़ के तकरीबन 21.4 फीसदी बच्चों ने बड़े स्कूलों में एडमिशन लेकर स्कूल छोड़ दिया. इतना ही नहीं ड्रापअप करने वाले बच्चे किन स्कूलों में हैं या पढ़ाई छोड़ चुके हैं इसकी जानकारी भी विभाग के पास नहीं है. ड्रॉपअप के मामले में छत्तीसगढ़ देश भर में सातवें स्थान पर है.

RTE के बाद भी नहीं सुधरा शिक्षा का स्तर

RTE के तहत बेहतर स्कूल में शिक्षा देने के लिए राज्य सरकार ने 25 फीसदी कोटे के तहत व्यवस्था की है. इसके तहत अपने बच्चों को बड़े और इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा दिलाने की चाह रखने वाले पेरेंट्स RTE के तहत इस कोटे का लाभ ले सकते हैं, लेकिन जो आंकड़े सामने आए हैं उससे ये स्पष्ट हो रहा है कि इस सुविधा के तहत बच्चों का स्कूलों में एडमिशन तो होता है लेकिन उनकी आगे की पढ़ाई कहां तक होती है इसका कोई ब्यौरा किसी के भी पास नहीं है.

इस संबंध में जब स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कई स्कूलों में बच्चे केवल नाम लिखाकर चले जाते हैं. वहीं कई स्कूलों में आगे की कक्षाएं नहीं होती, जिन स्कूलों में कक्षाएं नहीं होती वहां के बच्चे किसी अन्य स्कूल में चले जाते हैं तो वह भी ड्रॉपअप की गिनती में आ जाता है. टेकाम ने कहा कि इसकी मॉनिटरिंग के लिए सभी जिले के DEO को जिम्मा दिया गया है, ड्रॉपअप कम हो इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है.

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