रायपुर: प्रदेश में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े कम हो रहे हैं. लेकिन पोस्ट कोविड के मामले लगातार बढ़ते नजर आ रहे हैं. प्रदेश में पोस्ट कोविड मरीजों में डायबिटीज की बीमारी लगातार देखने को मिल रही है. वहीं रायपुर की बात की जाए तो रायपुर में भी ऐसे कई मरीज हैं जो पहले डायबिटिक नहीं थे. लेकिन कोरोना होने के बाद डायबिटीज के लक्षण भी उनमें नजर आ रहे हैं. कई मरीजों की जांच के बाद डायबिटीज बढ़ने की पुष्टि हुई है. कुछ ऐसे मरीज हैं जिनको पहले से डायबिटीज की शिकायत थी, लेकिन कोरोना होने के बाद उनकी इम्यूनिटी कमजोर हुई और डायबिटीज की बीमारी और बढ़ गई.
अस्पतालों में बढ़े पोस्ट कोविड डायबिटीज के मरीज
एमडी मेडिसिन डॉक्टर आरएल खरे ने बताया कि कोरोना के फर्स्ट वेव और सेकंड वेव दोनों के बाद पोस्ट कोरोना मरीज तेजी से सामने आ रहे हैं. ऐसे पेशेंट जिन्हें कोविड और निमोनिया के इलाज के लिए एस्ट्रोराइड दिए गए या जिन पेशेंट में अधिक मात्रा में एस्ट्रोराइड का उपयोग हुआ उनमें लक्षण अधिक है. इसके अलावा कुछ ऐसे पेशेंट जिनका शुगर लेवल बॉर्डर लाइन पर था लेकिन उनको पता नहीं था कि उनका शुगर बॉर्डर लाइन पर है वह डायबिटिक पेशेंट में कन्वर्ट हो रहे हैं. ऐसे मरीज जो पहले से ही डायबिटिक हैं उनमें कोरोना से रिकवर होने के दो-तीन हफ्ते बाद डायबिटीज बढ़ रहा है. यह स्थिति पेशेंट में 1 महीने से 3 महीने तक रहती है.
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35-40 आयू वर्ग के लोग ज्यादा मरीज ं
अभी अस्पतालों में युवा डायबिटिक पेशेंट भी ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. खासतौर पर 35 से 40 आयु वर्ग के लोगों में अधिक प्रभाव दिख रहा है. ऐसा अनुमान भी लगाया जा रहा है कि शायद कोरोना से पहले पता नहीं था कि शुगर लेवल बॉर्डर में है. ऐसा भी हो सकता है कि कोविड के कारण ही लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हो रही है. लोगों में डायबिटीज दिखाई दे रही है. क्योंकि वायरस हमारे अंगों पर और पैंक्रियास पर असर कर रहा है जिस वजह से डायबिटीज के पेशेंट बढ़ रहे हैं.
योगा, प्राणायाम और हेल्दी डाइट से कंट्रोल होगा शुगर
डॉक्टरों का मानना है कि पहले से डायबिटीज से ग्रसित लोगों में ब्लड शुगर बहुत ज्यादा बढ़ रहा है. इसे कंट्रोल करने में काफी समय लग रहा है. पहले कुछ पेशेंट जो बिल्कुल डायबिटिक नहीं थे अब उनमें लक्षण नजर आ रहे हैं. पोस्ट कोविड डायबिटीज मरीज जल्दी रिकवर भी हो रहे हैं. जो पहले से डायबिटिक हैं उनको दवाइयां थोड़ी बढ़ानी पड़ेंगी. लेकिन जो नए डायबिटिक पेशेंट्स आ रहे हैं, उनको हमें वॉच करना पड़ेगा. बहुत सारे लोगों में यह टेंपरेरी है. 1 महीने से 3 महीने तक धीरे-धीरे दवाओं के माध्यम से योगा, प्राणायाम, डाइट कंट्रोल के माध्यम से डायबिटीज खत्म होता हुआ नजर आ रहा है.
कोरोना मरीजों में इन्सुलिन रेजिस्टेंस और एस्टोरॉयड से बढ़ता है डायबिटीज
कोरोना आईसीयू डिपार्टमेंट हेड ओपी सुंदरानी ने बताया कि कोरोना इन्सुलिन रेजिस्टेंस पैदा करता है. इन्सुलिन रेजिस्टेंस के कारण ब्लड शुगर बढ़ता है. कोरोना में ब्लड शुगर बढ़ने का एक कारण यह भी है. दूसरा वह सारे मरीज जिनको एस्टोरॉयड मिला हो, कोरोना के दौरान जिनका ऑक्सीजन लेवल कम होता है इनको एस्टोरॉयड दिए जाते हैं. एस्टोरॉयड की भी प्रवृत्ति होती है. शरीर में ब्लड शुगर बढ़ाने के, दो कैटेगरी ऐसी होती है जिसमें ब्लड शुगर काफी बढ़ता है.
क्या कहते हैं पोस्ट कोविड मरीज ?
- संतोष कुमार साहू ने बताया कि पहले उन्हें शुगर नहीं था. लेकिन 17 अप्रैल 2021 को कोरोना हुआ. कुछ समय तक में हॉस्पिटल में एडमिट थे. वहां ऑक्सीजन पर थे. निमोनिया भी हो गया था फिर जैसे ही ठीक होकर घर लौटे अचानक वेट लॉस होने लगा. प्यास अधिक लगने लगी. बार बार पेशाब होने की दिक्कत शुरू हो गई. भूख ज्यादा लगने लगा. शरीर में थकावट होने लगी. जिसके बाद में शुगर का टेस्ट करवाया. जिसके बाद पता चला कि उनका शुगर काफी हाई है. जिसके बाद निजी डॉक्टर से दवाई ले रहे हैं.
- पुष्पराज पांडे ने बताया कि सितंबर 2020 में उन्हें कोरोना हुआ. 15 दिन बाद में निगेटिव आ गए. डॉक्टर आरएल खरे से कंसल्ट किया. उन्होंने मुझे कुछ टेस्ट करने के लिए कहा और उन टेस्ट में मेरा डायबिटीज कंट्रोल था. कोरोना के बाद शुगर काफी बढ़ गया था. उन्होंने डॉक्टर के एडवाइस को फॉलो किया. कुछ अपने हैबिट्स को छोड़कर एक्सरसाइज करना शुरू किया. अपना रूटीन चेंज किया और कुछ समय बाद दोबारा टेस्ट करने के लिए डॉक्टर ने एडवाइस किया. फिर उनका डायबिटीज कंट्रोल में था. उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कोरोना पेशेंट में इस तरह के प्रॉब्लम देखने को मिल रहे हैं. उन्हें डॉक्टर से मिलने की सलाह देता हूं. जैसा डॉक्टर कहते हैं वैसे करने के लिए कहता हूं.