रायपुर: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुरुवार को जीएसटी कॉउंसिल की बैठक ली. बैठक में प्रदेश के जीएसटी मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ प्रदेश के तमाम संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों शामिल हुए. इस दौरान जीएसटी क्षतिपूर्ति के विषय में केंद्र के अटॉर्नी जनरल से ली गई राय पर राज्यों से मांगे गए.
कोरोना संक्रमण के प्रसार और लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर पड़ी मार के कारण जीएसटी की भरपाई राज्यों को करने में आने वाली दिक्कत पर केंद्र सरकार ने राज्यों से सुझाव मांगे थे. इसपर राज्य के मंत्री टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ की प्राथमिकताएं सामने रखी है.
छत्तीसगढ़ की नीति और अपेक्षाएं
सिंहदेव ने राज्य में जीएसटी क्रियान्वयन जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा के दौरान राज्य की प्राथमिकता सामने रखते हुए कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति अधिनियम और 101वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनुरूप कार्य करना केंद्र सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी और मौलिक दायित्व है. जिसपर विश्वास कर ज्यादातर राज्यों ने जीएसटी पर सहमति जताई है.
सिंहदेव ने यह स्पष्ट किया कि वर्तमान परिस्तिथि में केंद्र सरकार को अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुए राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति तुरंत देना चाहिए और यदि केंद्र आर्थिक रूप से इसमें असक्षम है और इसके लिए ऋण लेना आवश्यक हो तो केंद्र सरकार को स्वयं ऋण लेकर इसकी जिम्मेदारी लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि जीएसटी पर 2009 के श्वेत पत्र से लेकर आजतक कई बार राज्यों को यह आश्वाशन दिया गया है कि जीएसटी आने पर यदि किसी राज्य को कर वसूली में कोई नुकसान होता है तो उसको केंद्र सरकार की ओर से क्षतिपूर्ति दी जायेगी, लेकिन अबतक यह आश्वासन धरातल पर पूर्ण रूप से साकार नहीं किया जा सका है.
केंद्र को क्षतिपूर्ति पर करनी चाहिए चर्चा
सिंहदेव ने कहा कि केंद्र को क्षतिपूर्ति को कम करने और खत्म करने पर नहीं बल्कि 5 साल के आगे भी क्षतिपूर्ति देने पर चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केंद्र ने राज्यों को दिए गए आश्वासन और राज्यों के केंद्र सरकार पर विश्वास से जुड़ा हुआ है और इसकी बुनियाद पर किसी तरह का हस्तक्षेप करना गलत होगा.
मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि राज्यों ने अपने कर वसूलने के प्रमुख अधिकार क्षतिपूर्ति की शर्त पर ही छोड़े थे. इससे जीएसटी बिल लाने का रास्ता साफ हुआ था और यदि इससे केंद्र सरकार की ओर से कोई भी छेड़छाड़ की जाती है तो यह देश के संघीय ढांचे पर गहरा आघात होगा और इसलिए केंद्र सरकार को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे क्षतिपूर्ति की राशि राज्यों तक न पहुंचें. यदि इस बार जीएसटी का कर संग्रहण कम हुआ है तो केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह ऋण लेकर राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि प्रदान करें बजाय इसके कि वे इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी लेने की जगह राज्यों को ऋण लेने पर मजबूर करें.