रायपुर: कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में पूरे विश्व को ले लिया है. इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रायास कर रहा हैं, लेकिन अभी किसी ने भी इसका इलाज ठोस इलाज नहीं मिल पाया है.. रोजाना पूरे विश्व में हजारों लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो रही है, कोरोना वायरस लगभग पूरे भारत में अपना पैर पसार चुका है.
कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरोंं को हो रही है. कोरोना वायरस के वजह से आचनक किए गए लॉकडाउन में देश के अलग-अलग राज्यों में कई लाख मजदूर फंसे हुए हैं. जो अपने घर वापसी के लिए पैदल या फिर अन्य संसाधनों से जाने को मजबूर हैं. वहीं फंसे हुए मजदूरों की घर वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है और ट्रेन के माध्यम से उन्हें उनके राज्य भेजा जा रहा है, इसके बाद भी कई मजदूर ऐसे हैं, जो पैदल ही अपने अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं.
चलाई जा रही स्पेशल ट्रेन
रोज सैकड़ों की संख्या में रायपुर के टाटीबंध में मजदूर इकट्ठा हो रहे हैं, जिनको शासन-प्रशासन की ओर से बसों के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा तक भेजा जा रहा है. वहीं स्पेशल ट्रेन चलाए जाने के बाद भी मजदूर पैदल जाने के लिए क्यों मजदूर हो रहे हैं. इसका जवाब जानने के लिए ETV भारत ने मजदूरों से बात की.
मजदूरों के पास नहीं हैं पैसें
मजदूरों ने बताया कि बाकियों की तरह हमनें भी अपने राज्य जाने के लिए फॉर्म भरकर जमा किया था, लेकिन अब तक हमें अपने राज्य नहीं भेजा गया है और अब इंतजार करके परेशान हो चुके हैं. मजदूरों ने कहा कि अब पैसें भी नहीं बचे हैं. जिसकी वजह से हम अब पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं. मजदूरों ने कहना है कि उनको परेशानी तो जरूर हो रही है, पर वह कर भी क्या सकते हैं. जेब में बिल्कुल पैसे नहीं है और अब हम दूसरे राज्य में इंतजार नहीं कर सकते हैं. हम जल्दी से जल्दी अपने घर जाना चाहते हैं.
देश के कई राज्यों से रायपुर पहुंच रहें है मजदूर
बता दें महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलांगाना सहित कई राज्यों से सैकड़ों की संख्या में मजदूर बिहार, उड़ीसा, झारखंड जाने के लिए राजधानी रायपुर के टाटीबंध में पैदल चलकर इकट्ठा हो रहे हैं. इनके लिए छत्तीसगढ़ सरकार की सहायता से बस का इंतजाम किया गया है, जो कि मजदूरों को छत्तीसगढ़ के बॉर्डर तक छोड़ देंगे जहां से वह दूसरे राज्य में जा सकते हैं. साथ ही मजदूरों के लिए खाने-पीने की भी सुविधा शासन-प्रशासन की ओर से दी गई है.