रायपुर: हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. मान्यता है कि जो भी गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करता है, या उनके पूजन के लिए 11 दिनों तक उन्हें अपने घर या मोहल्ले में स्थापित करता है. भगवान गणेश उनके कष्टों को हर लेते हैं. भगवान गणेश शुद्धता के प्रतीक माने जाते हैं. उनके आने से मांगलिक कार्यों का आरंभ होता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते पंडालों में गणेश प्रतिमा कम नजर आ रही है. ज्यादातर लोग अपने घरों में ही भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना कर रहे हैं.
गणेश स्थापना के मुहूर्त की बात की जाए, तो लोग पंडाल या घरों पर सुबह 11 बजे से दोपहर लगभग 2 तक गणेश स्थापना का कार्य कर सकते हैं. बता दें कि रात 8 बजे तक पंडाल या फिर घरों में गणेश स्थापना की जा सकती है. माना जाता है कि गणेश जी का जन्म मध्यान में हुआ था, इसलिए गणेश जी की पूजा भी दोपहर में की जाती है. गणेश जी को बुद्धि, विवेक, धन, रिद्धि-सिद्धि का कारक माना जाता है. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ-लाभ की प्राप्ति होती है और समृद्धि के साथ धन वृद्धि भी होती है.
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गणेश चतुर्थी की पूजन विधि
स्नान के बाद जिस स्थल पर प्रतिमा विराजित करनी है, उसे गंगाजल डालकर साफ करना चाहिए.भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर स्थापित की जानी चाहिए. धूप दीप और अगरबत्ती जलाएं, ध्यान रखें, जब तक गणेश जी आपके घर में रहेंगे तब तक अखंड दीपक जलाकर रखें. गणेश जी के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं फिर चावल दूर्वा-घास और पुष्प अर्पित करें. गणेशजी का स्मरण कर गणेश स्तुति और गणेश चालीसा का पाठ करें. इसके बाद ओम गं गणपते नमः का जप करें. भगवान गणेश की आरती करें, आरती के बाद गणेश जी को फल या मिठाई का भोग लगाएं. संभव हो तो मोदक का भोग जरूर लगाएं क्योंकि भगवान गणेश को मोदक प्रिय है. गणेश जी को जब तक अपने घर या पंडाल में रखें उन्हें अकेला ना छोड़े, कोई ना कोई व्यक्ति हर समय गणेश जी की प्रतिमा के पास रहें.