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Shastra Pooja In Dussehra 2023 : दशहरा में कैसे करें शस्त्र पूजा,जानिए पूरा विधान ? - रावण दहन

Shastra Pooja In Dussehra 2023 दशहरे के दिन शस्त्र पूजा की परंपरा है.लेकिन सिर्फ दशहरा के दिन ही ऐसा क्यों होता है.जबकि साल में ऐसे कई शुभ मुहूर्त आते हैं.आईए जानते हैं क्यों दशहरा का दिन शस्त्र पूजन के लिए निर्धारित किया गया है.Dussehra 2023

Tradition and method of weapon worship in Dussehra
दशहरा में शस्त्र पूजन कैसे करें
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 22, 2023, 5:12 AM IST

दशहरा में कैसे करें शस्त्र पूजा,जानिए पूरा विधान

रायपुर : 24 अक्टूबर को विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाएगा. दशहरा में रावण दहन के साथ ही शस्त्र पूजन का चलन पुरातनकाल से ही चला आ रहा है.इस दिन अस्त्र और शस्त्र पूजन का महत्व है.शस्त्रों की पूजा करने की परंपरा देवी दुर्गा से जुड़ा है.ऐसा माना जाता है कि राक्षसों का संहार करने के लिए देवी दुर्गा अवतरित हुईं और उनका अस्त्र शस्त्र से वध किया.

अस्त्र-शस्त्र में देवी दुर्गा का वास : ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी पर महिषासुर नाम के राक्षस का आतंक बढ़ चुका था. किसी भी देवता के काबू में असुर नहीं आ रहा था. ब्रह्मा के वरदान के कारण महिषासुर को कोई भी देवता पराजित करने में असफल रहा.ऐसे में देवी और देवताओं ने असुर की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया. सारे देवी देवताओं ने अपने अस्त्र और शस्त्र देवी दुर्गा को दिए.जिसके बाद मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया. इसलिए दुर्गा पूजा के दिन देवी के वास को मानकर अस्त्र और शस्त्र की पूजा की जाती है.

देवी दुर्गा ने अस्त्रों से किया था संहार : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि महिषासुर नामक राक्षस का अंत करने के लिए सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र और शस्त्र माँ दुर्गा को दिए थे. इसके बाद मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया. तब से ही विजयादशमी के दिन अस्त्र और शस्त्रों की पूजा की जाती है.

'' दशहरे के दिन देवी दुर्गा की जय और विजया स्वरूप की पूजा का विधान है. जो साधक को जीवन से जुड़ी चुनौतियों पर विजय दिलाने का आशीर्वाद देती है. मान्यता है कि जय और विजया के आशीर्वाद से साधक को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है."- पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी,ज्योतिषाचार्य



कैसे दशहरे के दिन करें शस्त्र की पूजा : दशहरे के दिन शस्त्र पूजा करने के लिए सुबह उठकर नहाएं.फिर विजय मुहूर्त में शस्त्रों को निकालकर चौकी पर साफ कपड़ों में रखे.इसके बाद सावधानी के साथ शस्त्रों को साफ करके गंगाजल से पवित्र करें.फिर शस्त्रों को रोली चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से विधि विधान के साथ पूजा करें. शस्त्र पूजा के समय भगवान श्रीराम और मां काली के मंत्र का विशेष रूप से जाप करें. शस्त्र पूजा के बाद अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए.


शस्त्र पूजा के दिन किन बातों का रखें ध्यान : दशहरे पर शस्त्र पूजा करते समय अपने शस्त्रों को बेहद सावधानी के साथ साफ करें. शस्त्र पूजा करते समय शस्त्रों से छोटे बच्चों को इससे दूर रखें जाए. शस्त्र पूजन के दिन किसी भी शस्त्र के साथ खिलवाड़ करने की भूल कभी ना करें.

दशहरा में कैसे करें शस्त्र पूजा,जानिए पूरा विधान

रायपुर : 24 अक्टूबर को विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाएगा. दशहरा में रावण दहन के साथ ही शस्त्र पूजन का चलन पुरातनकाल से ही चला आ रहा है.इस दिन अस्त्र और शस्त्र पूजन का महत्व है.शस्त्रों की पूजा करने की परंपरा देवी दुर्गा से जुड़ा है.ऐसा माना जाता है कि राक्षसों का संहार करने के लिए देवी दुर्गा अवतरित हुईं और उनका अस्त्र शस्त्र से वध किया.

अस्त्र-शस्त्र में देवी दुर्गा का वास : ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी पर महिषासुर नाम के राक्षस का आतंक बढ़ चुका था. किसी भी देवता के काबू में असुर नहीं आ रहा था. ब्रह्मा के वरदान के कारण महिषासुर को कोई भी देवता पराजित करने में असफल रहा.ऐसे में देवी और देवताओं ने असुर की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया. सारे देवी देवताओं ने अपने अस्त्र और शस्त्र देवी दुर्गा को दिए.जिसके बाद मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया. इसलिए दुर्गा पूजा के दिन देवी के वास को मानकर अस्त्र और शस्त्र की पूजा की जाती है.

देवी दुर्गा ने अस्त्रों से किया था संहार : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि महिषासुर नामक राक्षस का अंत करने के लिए सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र और शस्त्र माँ दुर्गा को दिए थे. इसके बाद मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया. तब से ही विजयादशमी के दिन अस्त्र और शस्त्रों की पूजा की जाती है.

'' दशहरे के दिन देवी दुर्गा की जय और विजया स्वरूप की पूजा का विधान है. जो साधक को जीवन से जुड़ी चुनौतियों पर विजय दिलाने का आशीर्वाद देती है. मान्यता है कि जय और विजया के आशीर्वाद से साधक को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है."- पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी,ज्योतिषाचार्य



कैसे दशहरे के दिन करें शस्त्र की पूजा : दशहरे के दिन शस्त्र पूजा करने के लिए सुबह उठकर नहाएं.फिर विजय मुहूर्त में शस्त्रों को निकालकर चौकी पर साफ कपड़ों में रखे.इसके बाद सावधानी के साथ शस्त्रों को साफ करके गंगाजल से पवित्र करें.फिर शस्त्रों को रोली चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से विधि विधान के साथ पूजा करें. शस्त्र पूजा के समय भगवान श्रीराम और मां काली के मंत्र का विशेष रूप से जाप करें. शस्त्र पूजा के बाद अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए.


शस्त्र पूजा के दिन किन बातों का रखें ध्यान : दशहरे पर शस्त्र पूजा करते समय अपने शस्त्रों को बेहद सावधानी के साथ साफ करें. शस्त्र पूजा करते समय शस्त्रों से छोटे बच्चों को इससे दूर रखें जाए. शस्त्र पूजन के दिन किसी भी शस्त्र के साथ खिलवाड़ करने की भूल कभी ना करें.

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